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    पुराना किला खोदाई: अब तक मिल चुके हैं महाभारत काल से जुड़े ये सामान, जल्द मिलेगी पांडवों की राजधानी

    By Jagran NewsEdited By: Narender Sanwariya
    Updated: Wed, 31 May 2023 05:56 AM (IST)

    एएसआइ ने कहा है कि अगली बार खोदाई को विस्तार दिया जाएगा। इस उत्खनन से इंद्रप्रस्थ के प्राचीन शहर के बारे में और जानकारी मिलने की उम्मीद है। इस खोदाई म ...और पढ़ें

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    पुराना किला खोदाई: अब तक मिल चुके हैं महाभारत काल से जुड़े ये सामान, जल्द मिलेगी पांडवों की राजधानी

    नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी ने घोषणा की है कि पुराना किला में पांडवों की राजधानी इंद्रप्रस्थ को ढूंढने के लिए खोदाई को और विस्तार दिया जाएगा। खोदाई में कुषाण काल से लेकर मौर्य काल तक के 2500 साल के पुराने साक्ष्य मिले हैं। मंगलवार को खोदाई स्थल पर पहुंचे केंद्रीय मंत्री ने खुशी जाहिर की और खोदाई को विस्तार देने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि यहां नए खोदाई स्थल पर वर्तमान में प्रारंभिक कुषाण काल की संरचनाएं मिली हैं, जिसमें अब तक 5.50 मीटर की गहराई तक खोदाई की जा चुकी है।

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    इस उत्खनन से इंद्रप्रस्थ के प्राचीन शहर के बारे में और जानकारी मिलने की उम्मीद है। इस खोदाई में कुषाण काल का पक्की ईंटों का एक चबूतरा और बर्तन पकाने वाली एक भट्ठी मिली है। रेड्डी ने पुरातत्वविदों से खोदाई को लेकर चर्चा की, खोदाई में मिलीं धरोहर का निरीक्षण भी किया। रेड्डी ने जी-20 के दौरान सितंबर में आने वाले विदेशी मेहमानों को भी यहां लाकर उन्हें खोदाई का अवलोकन कराने की बात कही है।

    एएसआइ ने कहा है, 'मंत्री के निर्देश पर अनुमति लेकर अगली बार खोदाई को विस्तार दिया जाएगा।' केंद्रीय मंत्री रेड्डी मंगलवार सुबह पुराना किला पहुंचे थे। एएसआइ के अतिरिक्त महानिदेशक आलोक त्रिपाठी और खोदाई करा रहे एएसआइ के निदेशक वसंत स्वर्णकार ने उन्हें खोदाई स्थल का निरीक्षण कराया। स्वर्णकार इस समय पुराने किले में तीसरी बार उत्खन्न का काम करा रहे हैं।

    किले के दोनों स्थलों का निरीक्षण के दौरान खोदाई में मिले साक्ष्यों को एक-एक कर निरीक्षण करते रहे और सभी के बारे में विस्तार से उन्होंने जानकारी ली। मंत्री ने कहा कि जब इतना महत्वपूर्ण स्थल है तो खोदाई इतने छोटे स्तर पर क्यों हो रही है। इंद्रप्रस्थ ढूंढने के लिए इस कार्य को विस्तार दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के निर्देश पर पुराने किले को एक सांस्कृतिक स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा।

    संस्कृति मंत्री रेड्डी ने कहा कि यहां नौ सांस्कृतिक काल के प्रमाण मिले हैं। यह पांचवीं बार उत्खन्न किया जा रहा है। दिल्ली में ये एकमात्र पुरातात्विक स्थल है, जिसका संबंध महाभारत काल से है। जल्द ही यहां ओपन एयर संग्रहालय बनाया जाएगा, ताकि लोग उत्खन्न स्थल का अनुभव कर सकें। यहां सूचनात्मक कियोस्क और स्क्रीन भी लगाई जाएगी। इस बार गत जनवरी से एएसआइ पुराना किला में दो स्थानों पर खोदाई करा रहा है।

    पूर्व के खोदाई स्थल शेर मंडल के पीछे जमीन के अंदर बालू आ जाने पर काम रोक दिया गया है, जबकि इस बार कुंती देवी मंदिर के सामने पार्क में चुने गए नए स्थल पर अभी खोदाई जारी है। पुराना किला में उत्खन्न के दौरान पूर्व मौर्य काल, मौर्य काल, शुंग, कुषाण काल, गुप्त, उत्तर गुप्त, राजपूत काल, सल्तनत काल व मुगल काल के अवशेष प्राप्त हो चुके हैं।

    यहां मिले सिक्के और मुहरें व्यापार गतिविधियों के केंद्र के रूप में इस स्थल की महत्वपूर्ण भूमिका का संकेत देती हैं। उत्खनन से 2500 वर्षों तक फैले मानव आवास और गतिविधियों के निरंतर अस्तित्व का पता चला है, जो पुराना किला के ऐतिहासिक महत्व को रेखांकित करता है। किला में खोदाई के अवशेषों को संरक्षित किया जाएगा। यह पूछे जाने पर कि क्या पुराना किला स्थल पर नवीनतम खुदाई में आधुनिक काल से कुछ भी मिला है, स्वर्णकार ने कहा, “हमें ब्रिटिश युग का जूता पालिश बाक्स मिला है। ब्रांड का नाम ‘पैरट’ है, जिस पर ‘मेड इन इंग्लैंड’ छपा हुआ है।

    यहां मिले हैं ये पुरावशेष

    कुंती मंदिर स्थल पर वैकुंठ विष्णु भगवान की 900 साल पुरानी राजपूत काल की प्रतिमा।

    गुप्तकाल की लगभग 1200 वर्ष पुरानी गजलक्ष्मी की एक टेराकोटा की प्रतिमा।

    राजपूत काल की भगवान गणेश की एक छोटी प्रतिमा।

    सिक्के व मुहरें मिली हैं, जिन्हें पढ़ा जा चुका है। इन पर ब्राह्मी लिपि है।

    शेर मंडल के पास वाली खोदाई में मिले

    मौर्य काल से पहले के संरचनात्मक अवशेष।

    टेराकोटा का कुआं, ड्रेनेज सिस्टम। तांबे के कई सिक्के।

    शुंग-कुषाण काल से भी पुराने चार कमरों का परिसर।

    कई चित्रित मृदभांड मिले हैं, जिन्हें महाभारत कालीन माना जाता है।