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    दिल्ली के स्कूलों में दिव्यांग बच्चों को मिला दोबारा मौका, इस दिन से शुरू होगा एडमिशन के लिए रजिस्ट्रेशन

    By uday jagtap Edited By: Rajesh Kumar
    Updated: Sun, 01 Jun 2025 07:09 PM (IST)

    दिल्ली के निजी स्कूलों में नर्सरी केजी और कक्षा एक में दिव्यांग बच्चों के लिए आरक्षित सीटें अभी भी खाली हैं। शिक्षा निदेशालय ने इन सीटों को भरने के लिए फिर से आवेदन प्रक्रिया शुरू की है। अभिभावक 2 जून 2025 से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। दस्तावेजों के सत्यापन के लिए 29 क्षेत्रीय टीमों का गठन किया गया है।

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    शिक्षा निदेशालय ने इन सीटों को भरने के लिए फिर से आवेदन प्रक्रिया शुरू की है। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली के निजी स्कूलों में नर्सरी, केजी और कक्षा एक में दिव्यांग कोटे के तहत आरक्षित कई सीटें अभी भी खाली हैं। इन सीटों को भरने के लिए शिक्षा निदेशालय (डीओई) ने एक बार फिर आवेदन प्रक्रिया शुरू करने का फैसला किया है। 

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    पात्र अभिभावक 2 जून 2025 से आवेदन जमा करा सकेंगे। आवेदन प्रक्रिया पूरी तरह से ऑनलाइन होगी और इसके लिए निदेशालय की आधिकारिक लॉटरी सिस्टम वेबसाइट का इस्तेमाल किया जाएगा। शिक्षा निदेशालय ने पारदर्शिता और दस्तावेजों के उचित सत्यापन को सुनिश्चित करने के लिए 29 क्षेत्रीय टीमों का गठन किया है। ये टीमें संबंधित स्कूलों के साथ समन्वय कर नर्सरी से कक्षा एक तक दिव्यांग श्रेणी के आवेदनों की जांच करेंगी।

    अभिभावकों को अपने दस्तावेज 10 जून से 14 जून के बीच कार्य दिवसों में सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक जमा कराने होंगे। शिक्षा निदेशालय ने स्पष्ट किया है कि लॉटरी के जरिए सीट आवंटित होने के बाद स्कूल किसी छात्र को दाखिला देने से मना नहीं कर सकते। सभी दाखिले प्रामाणिक दस्तावेजों के आधार पर ही किए जाएंगे। आवेदन के साथ सरकारी अस्पताल या मेडिकल बोर्ड द्वारा जारी वैध दिव्यांगता प्रमाण पत्र जमा कराना होगा।

    स्कूलों को मनमाने फैसले लेने की अनुमति नहीं

    निदेशालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि कोई भी निजी स्कूल मनमाने तरीके से किसी भी आवेदन को अस्वीकार नहीं कर सकता। यदि कोई छात्र पहले से ही किसी स्कूल में नामांकित है और केवल स्कूल बदलने के उद्देश्य से दोबारा आवेदन करता है, तो ऐसे आवेदनों पर विचार नहीं किया जाएगा।

    इस पहल का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि विकलांगता कोटे के तहत आरक्षित सीटें वास्तव में जरूरतमंद और पात्र बच्चों को मिलें, साथ ही आरक्षण प्रणाली के दुरुपयोग को रोकना है।