रामलीला के दौरान लाउडस्पीकर बढ़ाएगी दिल्ली वालों की टेंशन, पिछले साल मिलीं चौंकाने वाली शिकायतें
दिल्ली में रामलीला के दौरान रात में ध्वनि प्रदूषण बढ़ने की आशंका है। रामलीला समितियों को आधी रात तक लाउडस्पीकर इस्तेमाल करने की अनुमति दी गई है जिससे ध्वनि प्रदूषण और बढ़ने की आशंका है। ध्वनि निगरानी स्टेशनों ने आवासीय क्षेत्रों के लिए निर्धारित सीमा से अधिक ध्वनि स्तर दर्ज किया है। पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने नियमों के उल्लंघन की बात कही है।

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। अगले आठ से दस दिनों तक दिल्लीवासियों के लिए रात में भी ध्वनि प्रदूषण परेशानी का सबब बन सकता है। पहले से ही प्रशासनिक लापरवाही का शिकार ध्वनि प्रदूषण इस दौरान और बढ़ेगा।
वजह यह है कि दिल्ली में रात 10 बजे के बाद लाउडस्पीकरों पर लगे प्रतिबंध में दो घंटे की ढील दी गई है। रामलीला समितियां आधी रात यानी रात 12 बजे तक लाउडस्पीकर और बड़े बूम बॉक्स का इस्तेमाल कर सकेंगी।
रामलीला और दुर्गा पूजा के दौरान बजने वाले लाउडस्पीकरों की आवाज़ घर में आराम से सो रहे लोगों, बच्चों और बुजुर्गों के स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। यह शोर उन लोगों के लिए और भी ज़्यादा नुकसानदेह साबित हो सकता है जो पहले से ही हृदय संबंधी बीमारियों से जूझ रहे हैं।
यह ढील ऐसे समय में दी गई है जब शहर भर के 26 में से 20 ध्वनि निगरानी स्टेशनों ने रात के समय ध्वनि का स्तर 47.2 से 68 डेसिबल के बीच दर्ज किया, जो आवासीय क्षेत्रों के लिए निर्धारित 45 डेसिबल (डेसिबल) की सीमा से कहीं ज़्यादा है।
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के आंकड़ों के अनुसार, ध्वनि प्रदूषण से प्रभावित क्षेत्रों में अलीपुर, जहाँगीरपुरी, सोनिया विहार, अशोक विहार, नेहरू नगर, अरबिंदो मार्ग, नजफगढ़, विवेक विहार, नेशनल स्टेडियम, जेएलएन स्टेडियम, द्वारका सेक्टर-8, मुंडका, रोहिणी सेक्टर 16, पुरथ खुर्द बवाना, कश्मीरी गेट, लाजपत नगर, लोधी रोड, शाहदरा, करोल बाग और कनॉट प्लेस शामिल हैं।
हालांकि, पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने अधिकारियों को त्योहारों के दौरान अतिरिक्त दो घंटे लाउडस्पीकर के इस्तेमाल की सशर्त अनुमति देने का निर्देश दिया है। पूजा समितियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि शोर का स्तर न्यूनतम रखा जाए और पंडालों तक ही सीमित रखा जाए।
हालांकि, लोगों को डर है कि इस आदेश का पालन करने से वे रामलीला और पूजा आयोजकों की दया पर निर्भर हो जाएँगे, क्योंकि ध्वनि मानकों को लागू करने में उदासीनता बरती जा सकती है।
पर्यावरण कार्यकर्ता भवरीन कंधारी के अनुसार, आधी रात तक तेज़ आवाज़ की अनुमति देना ध्वनि प्रदूषण नियमों और विनियमों का उल्लंघन है। ये कानून बच्चों, मरीजों और निवासियों की सुरक्षा के लिए हैं। इनकी अनदेखी करने का मतलब है अल्पकालिक सुविधा के लिए जन स्वास्थ्य की बलि चढ़ाना।
पिछले साल 40,000 से ज़्यादा शिकायतें मिलीं
2024 में, दिल्ली पुलिस को तेज़ आवाज़ से संबंधित 40,000 से ज़्यादा शिकायतें मिलीं। इनमें से 82 प्रतिशत उल्लंघन डीजे और लाउडस्पीकरों से संबंधित थे। पुलिस को इस साल मार्च में नए दिशानिर्देश जारी करने पड़े, जिसमें लाउडस्पीकरों के इस्तेमाल को नियंत्रित करने और बिना लिखित अनुमति के उनके इस्तेमाल पर रोक लगाने की बात कही गई।
उल्लंघन करने वालों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 270 (उपद्रव), 292 (अन्यथा प्रावधान न किए गए मामलों में सार्वजनिक उपद्रव), और 293 (निषेध के बाद भी उपद्रव जारी रखना) के तहत आरोप लगाए जाते हैं।
- 43624 - 2024 में दिल्ली पुलिस को प्राप्त कुल शिकायतें
- 35377 - डीजे और लाउडस्पीकर से संबंधित शिकायतें
- 29073 - रात 10 बजे से सुबह 6 बजे के बीच प्राप्त शिकायतें
- 26 - राजधानी दिल्ली में ध्वनि निगरानी केंद्र
- 20 - ध्वनि निगरानी केंद्रों पर रात में सामान्य से अधिक ध्वनि स्तर
- 47.2 और 68 डेसिबल के बीच दर्ज किया गया ध्वनि स्तर
- 45 - डेसिबल आवासीय क्षेत्रों के लिए निर्धारित ध्वनि स्तर है
- 67.9 - डेसिबल, करोल बाग में उच्चतम ध्वनि स्तर
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