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Delhi News: E-Vehicle नीति के तहत स्वीकृत माडलों को लेकर कंपनियों के दावों पर रखी जाएगी नजर

दिल्ली में लागू हो चुकी ई-वाहन नीति के तहत स्वीकृत माडलों को लेकर कंपनियों के दावों पर नजर रखी जाएगी। इसके लिए एक समिति बनाई जाएगी जिसमें विभिन्न क्षेत्र के विशेषज्ञ शामिल होंगे। एक कंपनी की बैट्री क्षमता की आ रहीं शिकायतों को लेकर यह कदम उठाया गया है।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Updated: Thu, 25 Feb 2021 12:39 PM (IST)
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एक कंपनी की बैट्री क्षमता की आ रहीं शिकायतों को लेकर यह कदम उठाया गया है।

वी के शुक्ला, नई दिल्ली। दिल्ली में लागू हो चुकी ई-वाहन नीति के तहत स्वीकृत माडलों को लेकर कंपनियों के दावों पर नजर रखी जाएगी। इसके लिए एक समिति बनाई जाएगी, जिसमें विभिन्न क्षेत्र के विशेषज्ञ शामिल होंगे। एक कंपनी की बैट्री क्षमता की आ रहीं शिकायतों को लेकर यह कदम उठाया गया है।

परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत का कहना है कि इलेक्टि्रक वाहन नीति के तहत शामिल किए गए किसी माडल में यदि शिकायत आती है तो कंपनी के दावे की पड़ताल किया जाना जरूरी है। यदि कंपनी के दावे पर माडल खरा नहीं उतरता है तो उसे सब्सिडी नहीं मिलेगी। दिल्ली में नई इलेक्टि्रक वाहन नीति गत अगस्त से लागू है। इसके तहत वाहनों के 210 से अधिक माडल स्वीकृत किए जा चुके हैं।

दिल्ली में लगभग 7000 से अधिक नए ईवी पंजीकृत किए गए हैं। मगर इसी बीच टाटा कंपनी के पसंद किए जा रहे कार के माडल में शिकायत आ रही है। इस माडल को एक बार चार्ज करने में 312 किलोमीटर चलने का दावा किया गया था, लेकिन इलेक्टि्रक वाहन नीति के तहत दो खरीदारों ने इस माडल की शिकायत की है। इसमें एक शिकायत नजफगढ़ निवासी राजेश कुमार और दूसरी शिकायत उत्तरी दिल्ली के एक नामी अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक मनोज शर्मा की ओर से की गई है।

मनोज शर्मा ने कहा है कि वह कई महंगी कारें रख चुके हैं। उन्हें कभी कोई शिकायत नहीं आई है, लेकिन यह कार फुल चार्ज होने पर 312 किलोमीटर की जगह 100 किलोमीटर ही चलती है। राजेश कुमार की शिकायत पर परिवहन विभाग ने कंपनी को नोटिस भेजा था। उसके बाद डा शर्मा की शिकायत विभाग को मिली है। परिवहन विभाग के नोटिस पर कंपनी ने 15 फरवरी को जवाब दे दिया है। विभाग अब इस मामले में भी समिति की मदद लेगा। इस तरह की शिकायतें सामने आऩे के बाद ये कहा जा रहा है कि यदि कंपनियां इस तरह के काम करेंगी तो इलेक्ट्रिक वाहन पालिसी को पूरी तरह से लागू करना मुश्किल होगा।