Delhi News: एम्स में बनाया जाएगा 300 बेडों का नया इमरजेंसी ब्लाक, करोड़ों की लागत से होगा कायाकल्प
दिल्ली के एम्स में करोड़ों की लागात से इमरजेंसी ब्लाक में 300 बेडों का नया इमरजेंसी ब्लाक तैयार किया जाएगा। साथ ही इस कायाकल्प के तहत 50 नए आपरेशन थिएटर्स भी बनाए जाने की योजना है। इन दिनों इमरजेंसी ब्लाक में 120 बेड हैं।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) को विश्वस्तरीय चिकित्सा विश्वविद्यालय बनाने के लिए तैयार मास्टर प्लान का डेमो और प्रस्तावित क्लीनिकल, शोध व एकेडमिक ब्लाक इत्यादि के 3डी डिजाइन को संस्थान में प्रदर्शित किया गया है। इसे देखकर सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि मास्टर प्लान पर अमल होने के बाद देश के इस सबसे प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थान का स्वरूप पूरी तरह बदल जाएगा। साथ ही इलाज की चिकित्सा सुविधाएं भी दोगुनी हो जाएंगी।
ढाई गुनी हो जाएगी बेडों की संख्या
खास बात यह कि इस परियोजना के तहत 300 बेड का इमरजेंसी ब्लाक बनेगा, जिससे एम्स की इमरजेंसी विभाग में बेडों की संख्या लगभग ढाई गुना बढ़ जाएगी। इससे इमरजेंसी में पहुंचने वाले गंभीर मरीजों को इलाज में राहत होगी।
वर्तमान समय में इमरजेंसी में बेड की कमी एम्स की सबसे बड़ी समस्या है। यहां इमरजेंसी में प्रतिदिन 250 से 300 मरीज देखे जाते हैं, जबकि इमरजेंसी विभाग के लिए करीब 120 बेड हैं। एक से 13 जनवरी के बीच यहां की इमरजेंसी में 3,379 मरीज देखे गए। इमरजेंसी में ज्यादातर दूसरे अस्पतालों से रेफर गंभीर मरीज पहुंचते हैं जिन्हें जल्द अस्पताल में भर्ती करना जरूरी होता है। बेड न मिलने से मरीज इमरजेंसी के बाहर स्ट्रेचर पर घंटों पड़े रहते हैं। सर्दी के मौसम में भी एम्स की इमरजेंसी के बाहर दर्जनों मरीज स्ट्रेचर पर पड़े दिख जाते हैं। वर्ष के 365 दिन एम्स की इमरजेंसी के बाहर यही दृश्य होता है। इसके मद्देनजर एम्स के मास्टर प्लान के तहत इमरजेंसी सेवा में विस्तार की योजना बनाई गई है।
करोड़ों की लागात से होगा कायाकल्प
उल्लेखनीय है कि 9,053 करोड़ रुपये की लागत से एम्स का कायाकल्प किया जाना है। परियोजना के लिए पिछले वर्ष सितंबर में ही पर्यावरण विभाग ने स्वीकृति दे दी है। इस वर्ष निर्माण शुरू हो जाएगा। एम्स में तीन हजार बेड बढ़ाए जाएंगे और 50 नए आपरेशन थियेटर बनाए जाने हैं। इसके तहत मरीजों के इलाज के लिए सात क्लीनिकल टावर बनेंगे।
वहीं, इमरजेंसी ब्लाक के पास एंबुलेंस के लिए विशेष कारिडोर होगा। जो रेड जोन से जुड़ा होगा, ताकि एंबुलेंस आसानी से रेड जोन के पास पहुंच सकें। साथ ही हेलीपैड की व्यवस्था भी की जाएगी।
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