Mobile Gaming: मासूम बचपन पर मौत का साया, किशोरों को हिंसक बना रही मोबाइल गेमिंग की लत
दिल्ली में मोबाइल गेमिंग की लत बच्चों के लिए एक गंभीर खतरा बन गई है जिससे हिंसा और आत्महत्या की घटनाएं बढ़ रही हैं। 2021 में दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस मुद्दे पर राष्ट्रीय नीति बनाने के निर्देश दिए थे। हाल के वर्षों में कई मामले सामने आए हैं जिनमें बच्चों ने गेमिंग के कारण अपराध किए हैं या आत्महत्या की है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। मोबाइल गेमिंग की लत बच्चों को हिंसा और आत्मघात की ओर धकेल रही है। शुक्रवार को नांगलोई में की घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया कि मोबाइल गेमिंग की लत बच्चों और किशोरों को हिंसक और अवसादग्रस्त बना रही है।
इस तरह की घटनाएं नहीं थम रही हैं। दिल्ली हाई कोर्ट ने 2021 में इस तरह के बढ़ते मामलों को लेकर एक एनजीओ की जनहित याचिका पर मोबाइल गेमिंग पर राष्ट्रीय नीति बनाने के निर्देश दिए थे।
यह बताता है कि समस्या किस कदर गंभीर होती जा रही है। पिछले कुछ वर्षों में मोबाइल गेमिंग के चक्कर में कई वारदात सामने आ चुकी हैं। इसके साथ आत्महत्या के भी मामले सामने आए हैं।
पिछले कुछ वर्षों में घटनाएं
- 31 जुलाई 2025 : मध्य प्रदेश के इंदौर में मोबाइल पर गेम खेलते हुए 12 साल के बच्चे ने फंदा लगा आत्महत्या कर ली
- मार्च 2024 : पटना में आनलाइन गेम के लिए दसवीं के छात्र ने खुद की किडनैपिंग का नाटक रच मां से फिरौती की मांग कर दी
- अगस्त, 2021 : मध्य प्रदेश के छतरपुर में 13 साल के बच्चे ने इसलिए आत्महत्या कर ली क्योंकि उसने मोबाइल गेमिंग में 40 हजार गंवा दिए थे।
- जून, 2022 : लखनऊ में 16 साल के लड़के ने अपनी मां की सिर्फ इसलिए हत्या कर दी क्योंकि वह उसे मोबाइल पर खेलने से रोकती थी।
- दिसंबर, 2021 : मध्य प्रदेश में फ्री फायर व पबजी में पैसे लगाने को नाबालिग चचेरे भाई ने छोटे भाई की की गला दबाकर हत्या कर दी।
- जुलाई 2020 : पंजाब में 17 वर्षीय युवक ने पबजी खेलने के लिए पिता के अकाउंट से 16 लाख रुपये निकाल लिए
- जुलाई, 2020 : मोहाली में अपने दादा के बैंक अकाउंट से पोते ने दो लाख रुपये निकाल आनलाइन गेम में लगा दिए।
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