Delhi Bulldozer Action: दिल्ली में तोड़े जाएंगे 100 से ज्यादा मकान, DDA ने जारी किया नोटिस
Delhi Bulldozer Action दिल्ली के कादीपुर में डीडीए ने श्रीश्याम कॉलोनी के सौ से ज्यादा मकान मालिकों को 15 दिन में घर खाली करने का नोटिस दिया है। डीडीए का कहना है कि यह अवैध निर्माण है। निवासियों का आरोप है कि जब कॉलोनी बन रही थी तब डीडीए कहां था? लोगों का कहना है कि उन्होंने जीवन भर की कमाई से यहां मकान बनाए हैं।

जागरण संवाददाता, बाहरी दिल्ली। कादीपुर गांव की श्रीश्याम कॉलोनी में डीडीए (दिल्ली विकास प्राधिकरण) ने सौ से अधिक मकान मालिकों को नोटिस जारी कर 15 दिन के भीतर घर खाली करने काे कहा है। साथ ही, डीडीए ने चेतावनी दी है कि इस अवधि के दौरान खाली नहीं करने वालों के मकानों का ताला तोड़कर निर्माण ढहा दिया जाएगा।
छह-सात साल से पक्के मकान बनाकर रह रहे हैं लोग
नोटिस के माध्यम से डीडीए ने बताया कि विकास क्षेत्र जोन में बिना अनुमति के अवैध निर्माण किया गया है। इस कॉलोनी में ज्यादातर लोग छह-सात वर्ष से रह रहे हैं। ज्यादातर मकान 35 से लेकर 100 मीटर के आकार के हैं।
आवासी बोले- जब प्लॉट कटे, निर्माण हुआ, तब कहां था डीडीए
अपना आशियाना खोने के डर से परेशान स्थानीय लोगों ने डीडीए से सवाल किया है कि जब कॉलोनी बस रही थी, तब डीडीए के अधिकारी कहां थे, तब क्यों नहीं रोका गया। अवैध निर्माण रोकने में विफल रहने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के बारे में डीडीए से पूछा गया, लेकिन उनकी ओर से कोई जवाब नहीं मिला।
डीडीए की ओर तीन जून को जारी किए गए नोटिस के बाद से श्रीश्याम कॉलोनी में रहने वाले लोग बेचैनी हैं। बताया जाता है कि डीडीए ने सौ से अधिक लोगों को नोटिस दिए हैं। ज्यादातर नोटिस मकानों पर चस्पा किए गए हैं।
नोटिस में लिखा है कि दिल्ली डेवलपमेंट एक्ट 1957 की धारा 12 (1) के अंतर्गत घोषित किए गए विकास क्षेत्र जोन पी-2 स्थित कादीपुर में अवैध निर्माण किया गया है। एक्ट की धारा के तहत अनुमति के बिना निर्माण किया गया है। डीडीए ने लोगों से 15 दिन तक मकान खाली करने को कहा है। इस अवधि के दौरान मकान खाली नहीं किए गए तो ताला तोड़कर भवन को तोड़ दिया जाएगा।
श्रीश्याम कॉलोनी के लाेगों की उड़ी नींद
मकान खाली करने नोटिस के बाद श्रीश्याम कॉलोनी के लाेगों की नींद उड़ गई है। स्थानीय निवासी सुधीर श्रीवास्तव ने बताया कि वे यहां छह साल से 35 गज के मकान में रह रहे हैं। उन्होंने डीडीए से सवाल किया कि यह अवैध कॉलोनी बस रही थी, तब डीडीए कहां था। तभी रोका होता तो यहां मकान बनते ही नहीं।
इस कॉलोनी में रहने वाले ज्यादा लोग मजदूर वर्ग से हैं। अपने जीवन भर की पूंजी से आशियाना बनाया, अब डीडीए तोड़ना चाहता है। अखिलेश का कहना है कि यह जमीन सरकारी थी तो यहां डीडीए को बोर्ड लगाकर बताना चाहिए था। जब यहां प्लॉटिंग हो रही थी, तब डीडीए चुप क्यों था। अवैध निर्माण हो रहा था, तब क्यों नहीं रोका गया।
अगर डीडीए के अधिकारियों ने अपनी जिम्मेदारी सही से निभाई होती तो भोले-भाले लोग यहां जमीन लेते ही नहीं। पेशे से ड्राइवर सोनू ने बताया कि साढ़े तीन साल पहले डीलर के माध्यम से सौ गज का प्लॉट लेकर मकान बनाया था। जीवन भर की कमाई से मकान बनाया, अब तोड़ने का नोटिस आ गया।
अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाने वाले अधिकारियों पर कब होगी कार्रवाई
डीडीए की जमीन पर अपना आशियाना बनाने वाले जितने "गुनहगार'' हैं, उनसे बड़ा गुनाह उन अधिकारियों का है, जिनके कंधों पर अवैध निर्माण रोकने की जिम्मेदारी थी। अगर इन अधिकारियों ने अपनी जिम्मेदारी ठीक से निभाई होती तो डीडीए की जमीन पर मकान नहीं बन पाते।
डीडीए की जमीन पर पहले प्लॉटिंग और फिर भवनों का निर्माण, यह सब अधिकारियों की आंखों के सामने हुआ है। बड़ा सवाल यह है कि अपनी जिम्मेदारी का निर्ववहन नहीं करने वाले अधिकारियों के खिलाफ क्या डीडीए कोई कार्रवाई करेगा। यह प्रश्न दैनिक जागरण ने डीडीए से पूछा, लेकिन उनकी ओर से कोई उत्तर नहीं आया।
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