अंबेडकर विश्वविद्यालय में पाबंदी लगाने का आरोप, छात्रों ने जमकर किया प्रदर्शन; यौन उत्पीड़न से जुड़ा है मामला
आंबेडकर विश्वविद्यालय दिल्ली में आइसा के नेतृत्व में छात्रों ने परिसर में बढ़ती पाबंदियों के खिलाफ प्रदर्शन किया। छात्रों ने यौन उत्पीड़न की घटना के बाद सुरक्षा की मांग की थी जिसके बदले प्रशासन ने बैरिकेडिंग बढ़ा दी। छात्रों ने आरोप लगाया कि प्रशासन लोकतांत्रिक स्थानों को खत्म कर रहा है। आइसा प्रतिनिधि रजिस्ट्रार से मिलकर पाबंदियां हटाने की मांग करेंगे।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। आंबेडकर विश्वविद्यालय दिल्ली में गुरुवार को ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) के आह्वान पर 70 से अधिक छात्र-छात्राएं मुख्य द्वार पर एकत्र हुए और परिसर में लगातार बढ़ाई जा रही पाबंदियों और बैरिकेडिंग के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया।
छात्राें ने कहा कि विरोध पांच अगस्त को मदरसा रोड पर दिनदहाड़े हुई यौन उत्पीड़न की घटना के बाद किया गया है। इसके चलते छात्रों ने प्रशासन से सुरक्षा के ठोस इंतज़ाम की मांग की थी। लेकिन, छात्रों का आरोप है कि उनकी मांगों को संबोधित करने के बजाय प्रशासन ने और बैरिकेड लगा दिए और अतिरिक्त गार्ड तैनात कर छात्रों की आवाजाही पर और पाबंदियां थोप दीं।
प्रदर्शन के दौरान आइसा काउंसलर्स ने कहा कि “सुरक्षा” के नाम पर प्रशासन लगातार लोकतांत्रिक स्थानों को खत्म कर रहा है और छात्रों को उनके ही कैंपस से अलग-थलग किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन की तथाकथित सुरक्षा व्यवस्था छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के बजाय खुद को जवाबदेही से बचाने का हथियार बन गई है।
चौंकाने वाली बात यह रही कि विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार पर छात्रों के प्रवेश पर रोक का नोटिस भी चस्पा कर दिया गया, जिसे प्रदर्शनकारी औपनिवेशिक दौर की मनमानी से जोड़ रहे हैं। छात्रों ने कहा कि बैरिकेडिंग के कारण लाइब्रेरी की ओर आवाजाही और भी मुश्किल हो गई है, जिससे पढ़ाई की जगहें भी प्रभावित हो रही हैं।
प्रदर्शन के दौरान छात्रों ने प्रतिरोध के गीत गाए, नारे लगाए और प्रशासन से संवाद किया। अंततः दबाव के चलते प्रशासन ने आइसा प्रतिनिधियों से बैठक पर सहमति जताई। आइसा प्रतिनिधि अब शुक्रवार सुबह नौ बजे विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार से मिलेंगे और इन “कठोर एवं अलोकतांत्रिक” कदमों को तुरंत वापस लेने की मांग करेंगे।
एआईएसए ने साफ किया कि आंबेडकर विश्वविद्यालय छात्रों का है और इसे प्रशासन के नियंत्रण में “किले” में नहीं बदला जा सकता। संगठन ने कहा कि कैंपस की सुरक्षा, लोकतंत्र और छात्रों के अधिकारों के लिए संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक इन पाबंदियों को वापस नहीं लिया जाता।
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