Delhi Hospital Fire: 'पुलिस को मत बताओ, खुद बुझाओ', कर्मचारियों से बोला था संचालक, आग लगने के 35 मिनट बाद पुलिस को मिली सूचना
कर्मचारियों ने हादसे की सूचना घर पर आराम कर रहे अस्पताल के संचालक डॉ. नवीन खीची को दी तो उसने उनसे कहा कि पुलिस का कोई हस्तक्षेप नहीं चाहिए अपने स्तर पर आग को बुझाओ। आग लगने के 35 मिनट तक अस्पताल के प्रबंधन ने पुलिस व दमकल को कोई सूचना नहीं दी थीं। कर्मचारी कुछ कर पाते उससे पहले आग के कारण ऑक्सीजन सिलेंडर फटने लगे।

जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली। विवेक विहार में अवैध रूप से चल रहे बेबी केयर न्यू बोर्न अस्पताल में आग में झुलसकर हुई छह नवजातों की मौत के मामले में अस्पताल की बड़ी लापरवाही पुलिस जांच में सामने आई है। आग लगने के 35 मिनट तक अस्पताल के प्रबंधन ने पुलिस व दमकल को कोई सूचना नहीं दी थीं।
कर्मचारियों ने हादसे की सूचना घर पर आराम कर रहे अस्पताल के संचालक डॉ. नवीन खीची को दी तो उसने उनसे कहा कि पुलिस का कोई हस्तक्षेप नहीं चाहिए, अपने स्तर पर आग को बुझाओ।
कर्मचारी कुछ कर पाते उससे पहले आग के कारण ऑक्सीजन सिलेंडर फटने लगे। आग ने विकराल रूप धारण कर लिया, बचने के सारे रास्ते बंद होने पर एक कर्मचारी ने पुलिस को सूचना दी।
सीसीटीवी में दिखा- 11 बजे से पहले लग गई थी आग
पुलिस ने जब मामले की जांच शुरू की तो अस्पताल के पास लगे सरकारी सीसीटीवी कैमरों के फुटेज खंगाले। एक फुटेज में दिख रहा है कि शनिवार रात 10:55 बजे अस्पताल के भू-तल पर आग लगी हुई है। जबकि अस्पताल की तरफ से रात 11:30 बजे पुलिस को आग की सूचना दी गई।
सिलेंडर फटते ही आग ने लिया विकराल रूप
चार राहगीरों ने भी आग लगने की सूचना पीसीआर को दी थी। आग अस्पताल के भू-तल के मुख्य द्वार के पास लगी थी, वहां ऑक्सीजन के सिलेंडर रखे हुए थे। अस्पताल के बाहर एक बड़ा फ्लैक्स लगा हुआ था। सिलेंडर फटते ही आग विकराल हो गई।
आपातकालीन कर रखा था बंद
मकान के नक्शे में आपतकालीन द्वार जो दिखाया हुआ है, वहां अस्पताल प्रबंधन ने सामान भरकर उसको स्टोर रूम की तरह बनाया हुआ है। वह रास्ता पूरी तरह से बंद था। हादसे के वक्त अस्पताल में 12 बच्चे भर्ती थे, रात साढ़े नौ बजे एक नवजात की बीमारी से मौत हो गई थी। छह नवजात ऑक्सीजन स्पोर्ट पर थे।
आग लगते ही अस्पताल की लाइट जाने के साथ ही जनरेटर भी जल गया था। डॉ. आकाश ने पुलिस को पूछताछ में बताया कि वह बच्चों को निकालने की कोशिश कर रहा था, लेकिन नीचे जाने वाले रास्ते पर आग लगी हुई थी। आग की लपटे पहली मंजिल तक आ रही थी, जहां पर बच्चे भर्ती थे। धुंआ भर गया था, जिस वजह से कुछ दिखाई नहीं दे रहा था।
बचने का कोई रास्ता नहीं था। दमकल व पुलिस ने शहीद भगत सिंह सेवा दल की मदद से अस्पताल के पीछे के रास्ते से खिड़की को तोड़कर 12 बच्चों व कर्मचारियों को रेस्क्यू किया था। काफी देर तक छह बच्चों को ऑक्सीजन नहीं मिल सकी और आग के धुएं से झुलस भी गए थे। जिसके चलते उनकी मौत हो गई।
नवजातों की मौत की जानकारी मिलते ही संचालक जयपुर हो गया था फरार
शनिवार रात को बच्चों के मौत की सूचना मिलते ही अस्पताल संचालन नवीन खीची अपनी जान बचाने के लिए कार से राजस्थान के जयपुर फरार हो गया था। कई घंटे तक अपना मोबाइल बंद कर लिया था। रविवार को जब उसने फोन चालू किया तो उसके परिवार ने उससे कहा कि उसका बच पाना मुश्किल है।
वह जयपुर से वापस पश्चिम विहार अपने घर पर पहुंचा। जहां से पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। आरोपित ने पुलिस को पूछताछ में कहा कि वह नवजातों की मौत पर शर्मिंदा है। उसने कुबूल किया कि अस्पताल के संचालन में उसने नियमों की अनदेखी की हुई थी। उसका पांच बेड का अस्पताल था, लेकिन उसने 12 बच्चों को भर्ती किया हुआ था।
अस्पताल में काम करते थे 20 कर्मचारी
पुलिस को जांच में पता चला कि अस्पताल में 20 कर्मचारी है। इसमें से तीन बीएएमएस डॉक्टर हैं। हादसे के वक्त ड्यूटी इंचार्ज दादरी निवासी डॉ. आकाश था। इसलिए पुलिस ने उसे भी इस मामले में आरोपित बनाया है। संचालक को पता था कि बच्चों का इलाज बीएएमएस डॉक्टर नहीं कर सकता, फिर भी उसने तीन डाक्टर रखे हुए थे।
डॉ. आकाश ने भगत सिंह दल के साथ मिलकर नवजातों को ईस्ट दिल्ली एडवांस एनआइसीयू अस्पताल में भर्ती करवाया था, जब उसे पता चला कि छह बच्चों की मौत हो गई है तो वह अस्पताल से फरार हो गया था।
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