Delhi: रेन वॉटर हार्वेस्टिंग में अगर बरती लापरवाही तो लग सकता है पांच लाख का फटका, NGT ने रखा प्रस्ताव
राजधानी दिल्ली के द्वारका की कई सोसाइटियों में वर्षा जल संचयन प्रणाली के बंद होने की शिकायत पर एनजीटी ने दिल्ली सरकार से इस संबंध में रिपोर्ट मांगी गई थी। कुछ दिनों पहले सरकार ने उसे रिपोर्ट दी है। उसने कहा है कि नियम का उल्लंघन करने वाले गैर आवासीय इकाइयों के लिए 50 प्रतिशत जुर्माना बढ़ाया जा सकता है।

नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। वर्षा जल संचयन प्रणाली को लेकर लापरवाही करने वालों पर पांच लाख रुपये तक जुर्माना लग सकता है। जुर्माना से बचने के लिए आवासीय व व्यवसायिक परिसरों में वर्षा जल संचयन प्रणाली लगाने के बाद उसके रखरखाव पर ध्यान नहीं देते हैं।
इस संबंध में राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) में दिल्ली सरकार द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट में वर्षा चल संचयन के चालू स्थिति में नहीं होने पर पांच लाख रुपये तक पर्यावरण क्षतिपूर्ति शुल्क लगाने का प्रस्ताव रखा है।
द्वारका की कई सोसाइटियों में वर्षा जल संचयन प्रणाली के बंद होने की शिकायत पर एनजीटी ने दिल्ली सरकार से इस संबंध में रिपोर्ट मांगी थी। कुछ दिनों पहले सरकार ने उसे रिपोर्ट दी है। उसने कहा है कि नियम का उल्लंघन करने वाले गैर आवासीय इकाइयों के लिए 50 प्रतिशत जुर्माना बढ़ाया जा सकता है।
इतना लग सकता है जुर्माना
सरकार ने एक सौ से पांच सौ वर्ग मीटर तक के भूखंड वाली संपत्तियों के लिए 50 हजार रुपये, 501 से दो हजार वर्गमीटर तक के भूखंड वाली संपत्तियों पर एक लाख रुपये, दो हजार से पांच हजार वर्ग मीटर तक के भूखंड वाली संपत्तियों पर दो लाख रुपये तथा पांच हजार वर्ग मीटर से अधिक के भूखंड वाली संपत्तियों पर पांच लाख रुपये का पर्यावरण मुआवजा लगाने का सुझाव दिया है।
दिल्ली सरकार ने वर्ष 2012 में एक सौ वर्ग मीटर से ज्यादा भूखंड में बने भवन में वर्षाजल संचयन प्रणाली लगाने को अनिवार्य किया था। इसका पालन नहीं करने वालों पर पानी बिल का डेढ़ गुना जुर्माना लगाने का प्रविधान किया गया था।
वर्षा जल संचयन प्रणाली वाली संपत्तियों पर पानी के बिल में 10 प्रतिशत छूट देने की भी व्यवस्था है। दिल्ली जल बोर्ड को उन सोसाइटियों और संस्थानों के पानी के बिल में दी गई छूट वापस लेने को कहा गया है जिनके यहां वर्षाजल संचयन प्रणाली चालू स्थिति में नहीं है।
रिपोर्ट इनपुट- संतोष कुमार सिंह
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