एनसीआर के गैर पंजीकृत मलबा संग्रह केंद्र होंगे बंद, सीएक्यूएम ने दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान व उप्र सरकार को जारी किया आदेश
स्थानीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों से गैर पंजीकृत एनसीआर में चल रहे सभी मलबा संग्रह केंद्रों को बंद किया जाएगा। सीएक्यूएम ने इसे लेकर लिखित आदेश भी जारी कर दिए हैं। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने अपने आदेश में कहा है कि छोटे निर्माण स्थलों पर भी धूल नियंत्रण उपाय लागू किए जाने अनिवार्य हैं। ऐसा नहीं करने वाले निर्माण स्थलों पर भी कार्रवाई की जाए।

संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। गर्मियों के मौसम में भी राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में बढ़ रहे धूल प्रदूषण को लेकर वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने सख्त रवैया अख्तियार कर लिया है। स्थानीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों से गैर पंजीकृत एनसीआर में चल रहे सभी मलबा संग्रह केंद्रों को बंद किया जाएगा। सीएक्यूएम ने इसे लेकर लिखित आदेश भी जारी कर दिए हैं।
सीएक्यूएम के सदस्य सचिव अरविंद नौटियाल द्वारा दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान के मुख्य सचिवों को जारी आदेश में इस पर तत्काल प्रभाव से अमल करने को कहा है। इस आदेश में बड़े निर्माण स्थलों के साथ-साथ छोटे निर्माण स्थलों पर भी कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं।
छोटे निर्माण स्थलों पर भी लागू हो धूल नियंत्रण उपाय
आयोग ने अपने आदेश में कहा है कि छोटे निर्माण स्थलों पर भी धूल नियंत्रण उपाय लागू किए जाने अनिवार्य हैं। ऐसा नहीं करने वाले निर्माण स्थलों पर भी कार्रवाई की जाए। इस दिशा में होने वाली कार्रवाई की माहवार रिपोर्ट भी आयोग को भेजने के लिए कहा गया है।
गौरतलब है कि समूचे एनसीआर में मलबा संग्रह केंद्रों (सीएनडी साइटस) से उड़ने वाली धूल वायु प्रदूषण की बड़ी वजह हैं। चिंता की बात यह है कि इस पूरे क्षेत्र में बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य चल रहे हैं। इनमें छोटे और बड़े दोनों तरह के ही निर्माण शामिल है।
यहां होने वाले प्रदूषण की रोकथाम के लिए ही आयोग ने पूर्व में पांच हजार वर्ग मीटर से बड़े निर्माण-ध्वस्तीकरण स्थलों को वेब पोर्टल पर पंजीकरण कराने के निर्देश दिए थे। इसके साथ ही यहां पर धूल नियंत्रण के उपायों के लिए दिशा-निर्देश भी जारी किए गए थे।
नियम न मानने वालों पर कार्रवाई के निर्देश
इसके बावजूद कई निर्माण स्थलों द्वारा न तो पंजीकरण कराया गया है, न ही यहां धूल नियंत्रण उपायों को लागू किया जा रहा है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की ओर से भी इस संबंध में निर्देश जारी किए गए हैं। इसी को देखते हुए आयोग की ओर से पंजीकरण नहीं कराने और धूल नियंत्रण उपायों को लागू नहीं करने वाले निर्माण स्थलों को बंद कराने के आदेश दिए गए हैं।
आयोग ने एनसीआर में नगर निकायों, शहरी स्थानीय निकायों और सभी संबंधित विभागों को यह सुनिश्चित करने को भी कहा है कि भवन योजना मंजूरी, निविदा नोटिस, अनुबंध दस्तावेज व समझौते आदि में धूल प्रदूषण पर प्रभावी नियंत्रण के लिए नियम, निर्देश और सुरक्षा उपाय अनिवार्य रूप से शामिल होने चाहिए।

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