तो यह है वजह! दिल्ली-NCR की हवा के जहर बनने के पीछे है 'खास केमिकल', CPCB के रिसर्च में आया सामने
संजीव गुप्ता की रिपोर्ट के अनुसार वोलेटाइल आर्गेनिक कंपाउंड (वीओसी) दिल्ली-एनसीआर सहित पूरे देश में हवा को जहरीला बना रहे हैं। ये अदृश्य रसायन कई उद्योगों से निकलते हैं और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक गैसें उत्पन्न करते हैं। इनकी निगरानी और रोकथाम के लिए प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है क्योंकि ये पीएम 2.5 के स्तर को भी बढ़ाते हैं।

संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। वोलेटाइल आर्गेनिक कंपाउंड (वीओसी) के रूप में अदृश्य रसायन भी दिल्ली एनसीआर सहित देश के हर शहर की हवा में जहर घोल रहे हैं। यह वीओसी हवा में घुलने वाले तत्व होने के साथ वायु में रासायनिक तत्वों के साथ क्रिया करके खतरनाक जहरीली गैसों की उत्पत्ति कर रहे हैं। यह गैसें न सिर्फ स्वास्थ्य के लिए हानिकारक और कार्सिनोजेनिक होती है, बल्कि पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचाती है। बावजूद इसके हमारे यहां न इनकी निगरानी और न ही रोकथाम की कोई व्यवस्था है।
इंडियन जर्नल ऑफ एयर पल्यूशन कंट्रोल में प्रकाशित केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के पूर्व अपर निदेशक डॉ एस के त्यागी के पेपर में इनकी पूरी सच्चाई बयां की गई है। साथ ही इनकी निगरानी एवं रोकथाम की पुख्ता व्यवस्था के लिए पुरजोर वकालत भी की गई है। डॉ त्यागी ने वीओसी की निगरानी विधियां तैयार करने में भी योगदान दिया है, जिन्हें हाल ही में भारतीय मानक ब्यूरो (बीआइएस) द्वारा राष्ट्रीय विधियों के रूप में अधिसूचित किया गया है।
कैसे उत्पन्न होते हैं वीओसी
वीओसी रासायनिक तत्वों के मिश्रण से उत्पन्न कार्बनिक पदार्थ हैं। यह मुख्यतया पेट्रोल पंप, आयल रिफाइनरी, पेट्रो केमिकल, फार्मा, पेस्टीसाइड, पेंट, कोक ओवन, डाई उपकरण तथा ऑटोमोबाइल क्षेत्र में उत्पन्न होते हैं, कुछ ही देर में हवा में घुल जाते हैं। इन रासायनिक पदार्थो से बेंजीन, टोल्यून, जायलीन, क्लोरोफार्म, डाइक्लोरोमीथेन, साइक्लोहैक्जैन, एथेनाल, मेथेनाल, मिथाइल, एसीटोन एवं एसीटेट इत्यादि जहरीली गैसें उत्पन्न होती हैं। विशेषज्ञों की मानें तो जमीनी स्तर पर ओजोन के निर्माण तथा जलवायु परिवर्तन में इनकी अहम भूमिका होती है।
पेट्रोल पंपों लिए बना है वेपर रिकवरी सिस्टम
पेट्रोल पंप वीओसी के तहत बैंजीन का मुख्य स्रोत हैं। इसे 80 प्रतिशत तक कम करने के लिए केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने पेट्रोल पंप पर स्टेज एक और दो के वेपर रिकवरी सिस्टम लगाने का नियम बनाया है। इस नियम का पालन नहीं करने पर सीपीसीबी ने कई वर्ष पहले तीनों प्रमुख पेट्रोलियम कंपनियों हिन्दुस्तान पेट्रोलियम, भारत पेट्रोलियम और इंडियन आयल कारपोरेशन पर एक-एक करोड़ रुपये का जुर्माना भी ठोका था। लेकिन तब भी इस दिशा में काम नहीं हो पा रहा है।
आज भी नहीं होती वीओसी पर चर्चा
यह अदृश्य पदार्थ अत्यंत खतरनाक हैं। वीओसी पर निगरानी और रोकथाम वक्त की जरूरत है। इन अदृश्य पदार्थों का असर बढ़ता जा रहा है। जिनके बारे में जागरूकता है, उन पर तो काम चल ही रहा है। लेकिन इन पर भी ध्यान दिए जाने की जरूरत है।
वीओसी निगरानी और रोकथाम के लिए सुझाव
1. तमाम बढ़े शहरों में मानिटरिंग नेटवर्क के जरिये वीओसी की निगरानी की जाए।
2. निगरानी सुनिश्चित होने के बाद इनके मानक तय किए जाएं।
3. केंद्र सरकार की अगुवाई में सभी राज्य सरकार तय मानकों का पालन कराएं।
4. सभी कार्ययोजनाएं समयबद्धता के साथ बनें और उन पर काम किया जाए।
5. वीओसी के उत्पत्ति स्थलों पर तकनीक / मशीनरी में लीकेज रोकने के लिए डबल सील वाल्व लगाए जाएं।
वीओसी ओजोन और द्वितीयक एरोसोल के निर्माण में भी अग्रदूत हैं, जो पीएम 2.5 और महीन प्रदूषक कणों में 20 से 30 प्रतिशत तक का योगदान करते हैं। वीओसी की निगरानी और इसकी रोकथाम को लेकर कई बार दिल्ली सहित देश के अन्य हिस्सों में भी तकनीकी कार्यशाला हुई है। देश-विदेश के विशेषज्ञ भी शिरकत करते रहे हैं। इनमें सीपीसीबी को वीओसी की निगरानी सुनिश्चित करने, पेट्रोलियम क्षेत्र के मानक सख्ती से लागू करने तथा बचे हुए क्षेत्रों के मानक भी जल्द तैयार करने का सुझाव दिया गया था। बावजूद इसके इस दिशा में कछुआ गति से ही काम चल रहा है। - डॉ एस. के. त्यागी, पूर्व अपर निदेशक, सीपीसीबी
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