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    'दिल्ली में 40 साल में वाहन 21 गुना बढ़े, सड़क नेटवर्क हुआ केवल दोगुना', CAQM अध्यक्ष ने जारी किए आंकड़े

    Updated: Thu, 05 Jun 2025 05:13 PM (IST)

    वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के अध्यक्ष राजेश वर्मा ने दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के चौंकाने वाले आंकड़े पेश किए। उन्होंने बताया कि वाहनों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है जबकि सड़क ढांचा उस अनुपात में नहीं बढ़ा। इलेक्ट्रिक बसों की संख्या में वृद्धि एक सकारात्मक संकेत है। अर्बन अड्डा 2025 में विशेषज्ञों ने वायु प्रदूषण के आर्थिक और स्वास्थ्य प्रभावों पर प्रकाश डाला।

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    '40 साल में वाहन 21 गुना बढ़े, सड़कें नेटवर्क हुआ केवल दोगुना'।

    राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) के अध्यक्ष राजेश वर्मा ने बृहस्पतिवार को दिल्ली एनसीआर के वायु प्रदूषण को लेकर कुछ चौंकाने वाले आंकड़े साझा किए।

    उन्होंने कहा कि 1981 से 2021 के बीच 40 साल में दिल्ली एनसीआर में वाहनों की संख्या 21 गुना बढ़ी है। लेकिन बुनियादी सड़क ढांचा केवल दोगुना ही हो पाया है। यही असंतुलन हमारे शहरों को दम घोंट रहा है। उन्होंने जोर दिया कि महज तकनीक पर्याप्त नहीं है, प्रवर्तन और व्यवहार परिवर्तन भी उतने ही आवश्यक हैं।

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    बसों में इलेक्ट्रिक बसों की हिस्सेदारी लगभग 25 प्रतिशत

    वर्मा ने सकारात्मक संकेतों पर भी ध्यान दिया। उन्होंने कहा कि दिल्ली की बसों में इलेक्ट्रिक बसों की हिस्सेदारी लगभग 25 प्रतिशत हो गई है। इसमें 7,600 से अधिक ई-बसें पहले ही तैनात की जा चुकी हैं। पिछले सात वर्षों में अच्छे एक्यूआइ वाले दिनों की औसत संख्या 30 प्रतिशत से अधिक बढ़ी है। इसी अवधि में गंभीर प्रदूषण वाले दिनों की संख्या में लगभग एक-चौथाई की कमी आई है।

    सीएक्यूएम अध्यक्ष सस्टेनेबल सिटीज को लेकर इंडिया हैबिटेट सेंटर में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय संवाद ''अर्बन अड्डा 2025'' के अंतिम दिन अपना वक्तव्य दे रहे थे। जी20 शेरपा व नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत ने आर्थिक और स्वास्थ्य प्रभावों की चेतावनी दी।

    उन्होंने कहा, दिल्ली हर साल तीन महीने के लिए रहने लायक नहीं रहती। वायु प्रदूषण से हमें 6.3 वर्ष की आयु हानि और लगभग 100,000 करोड़ यानी जीडीपी का तीन प्रतिशत का नुकसान होता है। उन्होंने एक ठोस एजेंडा भी प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा, सभी दो और तिपहिया वाहन एक वर्ष के भीतर इलेक्ट्रिक हों। सभी नई टैक्सियां इलेक्ट्रिक हों।

    स्कूल बसें दो वर्षों के भीतर इलेक्ट्रिक या रेट्रोफिट

    मौजूदा बेड़े को 24 महीनों में बदलें। सभी स्कूल बसें दो वर्षों के भीतर इलेक्ट्रिक या रेट्रोफिट हों। सभी ईंट भट्टे ज़िगज़ैग तकनीक अपनाएं। थर्मल पावर प्लांट एफजीडी और डीएसआइ इकाइयां करें। एसएमई को छत पर सौर ऊर्जा से संचालित इलेक्ट्रिक बायलर अपनाने होंगे। उन्होंने कहा, हमें छलांग लगानी होगी। ट्रांज़िशन ईंधन या पुरानी तकनीक में निवेश न करें, इलेक्ट्रिक की ओर जाएं, अभी जाएं।

    अर्बन अड्डा 2025 का समापन विश्व पर्यावरण दिवस पर भारत के शहरी परिवहन, जल प्रणालियों और पर्यावरणीय प्रशासन में तत्काल सुधारों के लिए एक स्पष्ट आह्वान के साथ हुआ। अंतिम दिन मुख्य फोकस वायु प्रदूषण, ट्रैफिक जाम और जलवायु जोखिमों से जूझ रहे भारतीय शहरों के विद्युतीकरण की ओर तत्काल बदलाव पर केंद्रित रहा।

    बदलाव की गति : भारतीय शहरों में स्वच्छ परिवहन को बढ़ावा

    अंतिम दिन की शुरुआत इंडियन काउंसिल आन क्लीन ट्रांसपोर्टेशन और आईआईटी रुड़की के संयुक्त अध्ययन के लांच के साथ हुई। इसमें ईवी पर छह प्रमुख भारतीय जीवनचक्र मूल्यांकन अध्ययनों की समीक्षा की गई। इस अध्ययन में ऊर्जा उपयोग, ग्रिड कार्बन तीव्रता और वास्तविक ड्राइविंग पैटर्न पर आधारित धारणाओं का विश्लेषण किया गया ताकि इलेक्ट्रिक वाहनों का सही जलवायु प्रभाव निर्धारित किया जा सके।

    काउंसिल के प्रबंध निदेशक अमित भट्ट ने कहा, "शहरों में दहन से बचना एक बुनियादी योजना सिद्धांत होना चाहिए। यह समीक्षा भारतीय शहरों को तथ्यों पर आधारित निर्णय लेने में मदद करती है, न कि धारणाओं पर।" अन्य सत्रों में वर्षा जल संचयन कैलकुलेटर और दमदमा पारिस्थितिक आधाररेखा मूल्यांकन रिपोर्ट का लांच हुआ।

    सीएक्यूएम और राहगीरी फाउंडेशन में हुआ एमओयू

    राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में सड़कों और खुले क्षेत्रों से धूल प्रदूषण कम करने के लिए एक संसाधन लैब की स्थापना हेतु सीएक्यूएम और राहगीरी फाउंडेशन के बीच एमओयू भी साइन हुआ। यह लैब एनसीआर शहरों के अधिकारियों और हितधारकों के लिए प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण का केंद्र होगी, जो टिकाऊ सड़क डिज़ाइन सिद्धांतों, धूल प्रदूषण नियंत्रण, गैर-मोटर चालित परिवहन और पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए कौशल प्रदान करेगी।