Delhi: ABVP का राष्ट्रीय अधिवेशन इस दिन से होगा शुरू, चित्रों के जरिये दिल्ली के इतिहास की मिल सकेगी जानकारी
एबीवीपी के राष्ट्रीय मीडिया संयोजक आशुतोष सिंह ने कहा कि प्रदर्शनी स्थल पर ही मिट्टी और रेत से अलग-अलग कलाकृतियां उकेरी जाएंगी। दिल्ली के बुराड़ी क्रासिंग के पास स्थित विशाल डीडीए ग्राउंड में यह प्रदर्शनी सभागार बन चुका है जहां पर कलाकृतियां लगाई जा रही हैं। आशुतोष ने कहा देशभर से 10 हजार से अधिक कार्यकर्ता अधिवेशन में आ रहे हैं।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के राष्ट्रीय अधिवेशन में चित्रों के जरिये दिल्ली के इतिहास और छत्रपति शिवाजी के हिंदवी स्वराज को दिखाया जाएगा। सात दिसंबर से होने वाले अधिवेशन में थीम आधारित प्रदर्शनी लगाई जा रही है। इसमें छात्रों द्वारा बनाईं कलाकृतियां प्रदर्शित की जाएंगी।
प्रदर्शनी एबीवीपी के संस्थापक सदस्य रहे दत्ताजी डिडोलकर को समर्पित होगी। एबीवीपी के 69वें राष्ट्रीय अधिवेशन के लिए इंद्रप्रस्थ नगर नाम से टेंट सिटी बनाई गई है। इसमें एक पूरा हाल प्रदर्शनी को समर्पित होगा। करीब दो हजार वर्ग फीट क्षेत्र वाले सभागार का नाम भी दत्ताजी डिडोलकर के नाम पर होगा। इसमें विभिन्न कला महाविद्यालयों के 200 छात्रों द्वारा तैयार की गईं 160 कलाकृतियां प्रदर्शित की जाएंगी।
आठ थीम रखी गई
एबीवीपी के राष्ट्रीय मीडिया संयोजक आशुतोष सिंह ने कहा, प्रदर्शनी के लिए आठ थीम रखी गई हैं। इनमें छत्रपति शिवाजी महाराज व हिंदवी स्वराज, दिल्ली का वास्तविक इतिहास, स्वाधीनता आंदोलन की गौरवगाथा, विश्वगुरु भारत, विद्यार्थी परिषद का 75 वर्षों का इतिहास, विविध क्षेत्रों में एबीवीपी के आयामों के कार्य, राष्ट्रीय एकात्मता, पर्यावरण आदि विषय केंद्र में रहेंगे।
प्रदर्शनी स्थल पर ही मिट्टी और रेत से अलग-अलग कलाकृतियां उकेरी जाएंगी। दिल्ली के बुराड़ी क्रासिंग के पास स्थित विशाल डीडीए ग्राउंड में यह प्रदर्शनी सभागार बन चुका है, जहां पर कलाकृतियां लगाई जा रही हैं। आशुतोष ने कहा, देशभर से 10 हजार से अधिक कार्यकर्ता अधिवेशन में आ रहे हैं। दिल्ली का इतिहास अधिकतर सल्तनत काल और मुगलकाल तक सीमित रह जाता है।
हमारी कोशिश है कि राजा अनंगपाल के समय कालखंड और महाभारत काल से जुड़े इतिहास को चित्रों के माध्यम से बताया जाए। एबीवीपी राष्ट्रीय महामंत्री याज्ञवल्क्य शुक्ल ने कहा, भारत को समझने के लिए युवाओं को भारतीय दृष्टि से इतिहास का अध्ययन करना होगा।
दत्ताजी डिडोलकर का यह जन्म शताब्दी वर्ष है, शैक्षणिक संस्थानों में सुधार, विवेकानंद शिला स्मारक, कन्याकुमारी की स्थापना में प्रमुख भूमिका सहित उनके विभिन्न प्रयास वर्तमान की पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। उनका पूरा जीवन देश के अनेक सकारात्मक बदलावों को समर्पित रहा है। दत्ताजी डिडोलकर पर आधारित प्रदर्शनी राष्ट्रीय अधिवेशन में देशभर से भाग ले रहे हजारों विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा बनेगी।
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