दिल्ली में मच्छरों का प्रजनन मिलने पर सख्त कार्रवाई की तैयारी! जानिए कितने रुपये का कटेगा चालान?
दिल्ली नगर निगम मच्छरों के प्रजनन को रोकने के लिए चालान की राशि 500 रुपये से बढ़ाकर 50 हजार रुपये करने का प्रस्ताव कर रहा है। 1975 से चालान की राशि में कोई बदलाव नहीं हुआ है जिससे लोगों में डर कम हो गया है। निगम ने पिछले कुछ वर्षों में हजारों परिसरों में मच्छरों का प्रजनन पाया है और लाखों रुपये का जुर्माना वसूला है।

निहाल सिंह, नई दिल्ली। राजधानी में स्थानीय निकायों से लिए जाने वाले सभी लाइसेंस के शुल्क हर तीन साल में बढ़ जाते हैं, लेकिन घर, कार्यालय, निर्माण स्थलों पर मच्छरों का प्रजनन पाए जाने पर चालान शुल्क की व्यवस्था करीब 50 साल पुरानी हो चली है।
साल 1975 में डीएमसी एक्ट में इसके लिए 500 रुपये तक के चालान का प्रविधान किया गया था। 50 साल में रुपये का अवमूल्यन काफी हो चुका है, लेकिन चालान राशि में वृद्धि नहीं की गई। यही वजह है कि इसे लेकर लोगों के मन में किसी तरह भय नहीं होता है।
हर साल निगम हजारों की संख्या में ऐसे स्थानों की पहचान करता है जहां पर मच्छरों का प्रजनन होता है। इसकी वजह से डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया के मामले सामने आते हैं। निगम के अधिकारी भी मानते हैं कि चालान शुल्क कम होने की वजह से मच्छररोधी अभियान सफल नहीं हो पा रहा है।
निगम के अधिकारी इसे बढ़ाना चाहते हैं। 2019 में तत्कालीन आप सरकार के पास दिल्ली के तीनों नगर निगमों के डेंगू-मलेरिया विभाग ने इस शुल्क को 50 हजार रुपये तक करने का प्रस्ताव भेजा था। लेकिन सरकार से इसे अनुमति नहीं मिली।
अब निगम अधिकारियों को उम्मीद है कि नई सरकार इस पर फैसला ले सकती है। हालांकि इस मामले में दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री कार्यालय से पक्ष मांगा गया जो कि उपलब्ध नहीं हो सका।
पिछले वर्ष तत्कालीन आप सरकार ने इसे लागू करने की बात कही थी, लेकिन चुनावी वर्ष होने की वजह से वह भी इसे लागू नहीं कर पाई है। जबकि हाईकोर्ट ने इसे लागू करने लिए केंद्र सरकार को निर्देश दिए थे।
जुर्माने की राशि बढ़ाना क्यों जरूरी?
उल्लेखनीय है कि दिल्ली में रिहायशी संपत्तियों में डेंगू या मलेरिया और चिकनगुनिया का मच्छर का लार्वा पाये जाने पर 500 रुपये तक के जुर्माने का प्रविधान है। निगम ने इस जुर्माने को 50000 तक करना चाहता है, लेकिन अभी तक इसकी अधिसूचना दिल्ली सरकार से नहीं मिली है।
निगम के एक अधिकारी ने नाम न उजागर करने की शर्त पर बताया कि डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया को रोकने के लिए सर्वाधिक जरूरत मच्छरों के पैदा होने से रोकना है। लोग मच्छरों को पैदान न होने दे इसके लिए जुर्माने की राशि बढ़ाना जरूरी है।
दिल्ली में बात करें तो 2.44 करोड़ बार घरों और अन्य परिसरों में जांच की। इसमें 99998 परिसरों में मच्छर का प्रजनन पाया गया। इसमें 76669 लोगों को कानूनी नोटिस भेजे गए जबकि 14866 लोगों के खिलाफ कार्रवाई शुरू गई है। 3688 लोगों के खिलाफ चालान की कार्रवाई भी गई। इससे इस वर्ष 11.17 लाख रुपये की वसूली भी की गई।
चार साल में कार्रवाई
विवरण- 2022-2023-2024-2025
- कितने घरों में पाया मच्छरों का लार्वा-62041-130461-62295-10968-99998
- कानूनी नोटिस भेजे गए-55851-88254-54104-6605-76669
- कितने लोगों के खिलाफ अभियोजन की कार्रवाई शुरू की गई-16178-20240-14223-1537-14866
- कितने लोगों के चालान काटे गए- 7003-14031-3896-3688
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