Delhi: छात्र से मारपीट मामले में विधायक अखिलेश त्रिपाठी दोषी, जातिसूचक शब्द बोलने के मामले में बरी
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि सात फरवरी 2020 की रात करीब 1135 बजे वह दोस्त राज किशोर के साथ घर जा रहे थे तभी अखिलेश पति त्रिपाठी ने समर्थकों के साथ ...और पढ़ें

पूर्वी दिल्ली, जागरण संवाददाता। तीन साल पुराने मामले में राउज एवेन्यू कोर्ट ने आप विधायक अखिलेश पति त्रिपाठी को एक छात्र से मारपीट करने के लिए दोषी करार दिया है। हालांकि इसी मामले में कोर्ट ने त्रिपाठी को जातिसूचक शब्द बोलने और गलत तरीके से रास्ता रोकने के आरोप से बरी कर दिया। त्रिपाठी वर्तमान में माडल टाउन विधानसभा क्षेत्र के विधायक हैं। छात्र संजीव कुमार की शिकायत पर आदर्श नगर थाने में प्राथमिकी दर्ज हुई थी।
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि सात फरवरी 2020 की रात करीब 11:35 बजे वह दोस्त राज किशोर के साथ घर जा रहे थे, तभी अखिलेश पति त्रिपाठी ने समर्थकों के साथ उन्हें झंडेवालान चौक पर रोका और स्कूटी की चाबी छीनने के बाद बुरी तरह पीटा। यह आरोप भी लगाया था कि त्रिपाठी ने उन्हें जातिसूचक शब्द कहकर उनकी और उनके परिवार की छवि को धूमिल किया। यह घटना विधानसभा चुनाव के मतदान से एक दिन पहले हुई थी।
अभियोजन ने पक्ष रखते हुए शिकायतकर्ता द्वारा लगाए गए आरोपों का जिक्र किया। हालांकि, त्रिपाठी ने दावा किया कि शिकायतकर्ता चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों का उल्लंघन कर भाजपा नेता कपिल मिश्रा के प्रचार की सामग्री बांट रहा था,उन्होंने इस पर आपत्ति जताई थी। गवाहों के बयान भी हुए। सभी को सुनने के बाद कोर्ट ने त्रिपाठी को मारपीट के लिए दोषी ठहराते हुए कहा कि इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता कि घटना हुई थी और शिकायतकर्ता को साधारण चोटें आई थीं।
इसलिए उन्हें भादस की धारा 323 तहत दोषी करार दिया जाता है। कोर्ट ने त्रिपाठी को गलत तरीके से रास्ता रोकने के आरोप से बरी कर दिया। कोर्ट ने कहा कि शिकायतकर्ता की स्कूटी रोकी गई थी, इस कथन के समर्थन में कोई ठोस साक्ष्य पेश नहीं किया गया। त्रिपाठी को कोर्ट ने एससी-एसटी एक्ट के तहत लगाए गए आरोपों से भी बरी कर दिया। कोर्ट ने कहा कि अनुसूचित जाति की वजह से शिकायतकर्ता को अपमानित या डराने का इरादा साफ नहीं हो पाया।
यह घटना राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के चलते होनी प्रतीत होती है, क्योंकि घटना के अगले दिन मतदान था। सजा पर बहस अप्रैल में होगी: विधायक की सजा पर बहस 13 अप्रैल को होगी। कोर्ट ने त्रिपाठी को 10 दिनों के भीतर संपत्ति और आय का हलफनामा पेश करने का निर्देश दिया। इसके अलावा सरकार को भी आदेश दिया कि सात दिनों के भीतर अभियोजन द्वारा किए गए खर्च का हलफनामा प्रस्तुत करें।
अखिलेश पति त्रिपाठी का कहना है कि उन्हें एससी-एसटी एक्ट के तहत लगे आरोपों से बरी कर दिया गया है। साथ ही अपमानजनक शब्द या अभद्रता करने के आरोप को कोर्ट ने खारिज कर दिया है। हालांकि आपसी झड़प को लेकर सुनवाई होनी बाकी है। उन्होंने कहा कि पूर्व पार्षद माधव प्रसाद के बेटे ने यह आरोप लगाया था। इस मामले में यदि आगे कोई उलझन की स्थिति होती है, तो उसमें मैं अपना पक्ष जरूर रखूंगा। चुनाव के एक दिन पहले मुझे बदनाम करने के लिए आरोप लगाए गए थे। मैं सभी जाति-धर्म के लोगों का सम्मान करता हूं।
सभी देशवासी मेरे परिवार हैं। ऐसे में कोर्ट ने जिस गवाह के आधार पर यह फैसला लिया था, उसने भी मना कर दिया है। केवल झगड़े की बात कोर्ट ने स्वीकार की, जिसे वे देखेंगे। कोर्ट ने अन्य सभी आरोपों से बरी कर दिया है। लाल बाग क्षेत्र के पूर्व पार्षद व शिकायतकर्ता के पिता माधव प्रसाद का कहना है कि गवाह के पलटने के कारण विधायक पर जाति के नाम पर अपमानजनक बातें कहने को लेकर बरी किया गया है। यह गवाह उनके बेटे का दोस्त राज किशोर है, जो कोर्ट में पलट गया। अभी संजीव विवेकानंद इंस्टीट्यूट से कानून की अंतिम वर्ष की पढ़ाई पूरी कर रहा है। वह लाल बाग स्थित महेंद्रू एन्क्लेव का निवासी है।

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