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    दिल्ली पुलिस को बड़ा नुकसान, मेट्रो थाने में लगी आग से 15 साल का रिकॉर्ड हुआ नष्ट

    Updated: Sat, 01 Jun 2024 07:37 PM (IST)

    कश्मीरी गेट स्थित दिल्ली पुलिस के मेट्रो थाने में आग लगने से लगभग 15 साल का रिकॉर्ड नष्ट हो गया है। सारे दस्तावेज फर्जीचर और कंप्यूटर के साथ खाक हो गए हैं। इससे पुराना डाटा संकलन करना अब पुलिस के लिए मुमकिन नहीं होगा। ऑनलाइन डेटा को सर्वर से हासिल करने की प्रक्रिया अपनाई जाएगी। मेट्रो थाना 2002 में कश्मीरी गेट में स्थापित किया गया था।

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    कश्मीरी गेट के स्थित मेट्रो डीसीपी कार्यालय में आग लगने के बाद खाक सामान। फोटो- चंद्र प्रकाश मिश्र

    उदय जगताप, नई दिल्ली। कश्मीरी गेट स्थित दिल्ली पुलिस के मेट्रो थाने में आग लगने से लगभग 15 साल का रिकॉर्ड नष्ट हो गया है। सारे दस्तावेज फर्जीचर और कंप्यूटर के साथ खाक हो गए हैं। इससे पुराना डाटा संकलन करना अब पुलिस के लिए मुमकिन नहीं होगा। ऑनलाइन डेटा को सर्वर से हासिल करने की प्रक्रिया अपनाई जाएगी।

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    मेट्रो थाना 2002 में कश्मीरी गेट में स्थापित किया गया था। पिछले 22 साल से यहां कार्य किया जा रहा है। थाने के एक अधिकारी ने बताया कि थाने में हर साल एक हजार मामले दर्ज होते हैं। पिछले आठ सालों से सभी मामले ऑनलाइन दर्ज होने लगे हैं। लेकिन, उससे पहले कागजों में ही प्राथमिकी दर्ज की जाती थी। आग लगने से 2002 से लेकर 2016 तक का पूरा रिकॉर्ड तबाह हो गया है।

    सारा फर्नीचर, कंप्यूटर, लैपटाप और अन्य उपकरण भी जल गए हैं। इनसे जो भी डाटा सर्वर पर सुरक्षित कर लिया गया है। उसे रिस्टोर कर सुरक्षित रखने का कार्य जल्द शुरू किया जाएगा। परिसर में मेट्रो थाने के अलावा डीसीपी और एसीपी का कार्यालय भी है। इसके अलावा डीसीपी कार्यालय से जुड़ीं एचएजी, एचई समेत 10 यूनिट यहां हैं। इनका भी डाटा यहां रखा हुआ था।

    सभी पुराना डाटा आग में जलकर खत्म हो गया है। सिर्फ गलियारा सुरक्षित दिखाई दे रहा है। लेकिन, उसके ऊपर के प्लास्टिक के शेड पूरी तरह जल गए हैं। कमरों में राख के अलावा कुछ नहीं बचा है। आग इतनी भीषण थी कि कान्फ्रेंस हाल और कमरों में लगी टाइल्स पूरी तरह से चकनाचूर हो गई हैं।

    पुलिस अधिकारी ने कहा, कई ऐसे मामले हैं, जो अभी तक विचाराधीन हैं और उनमें कोई हल नहीं निकला है। उनका रिकॉर्ड पूरी तरह से गायब हो गया है। इन मामलों को लेकर समस्या जरूर उत्पन्न होगी। उन्होंने कहा, पहले यहां बहुत अधक मामले दर्ज नहीं होते थे। पिछले कुछ सालों में मामलों की संख्या बढ़ी है। कंप्यूटर में स्टोर होने से काफी डाटा सुरक्षित भी है।