Gangsters in Delhi: आकाओं के संरक्षण से नहीं पकड़े जा रहे मकोका आरोपी गैंगस्टर, यमुनापार में हैं गैंगस्टरों का आतंक
Gangsters in Delhi दिल्ली में गैंगस्टरों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है। इसका एक बड़ा कारण है संगठित अपराध को खत्म करने के लिए 2002 में लाए गए मकोका कानून का दिल्ली पुलिस द्वारा गंभीरता से इस्तेमाल न करना। मकोका के मामलों की बेहतर जांच न होने और जेलों में बंद अपराधियों पर गहन निगरानी का अभाव भी इस समस्या को बढ़ा रहा है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। राजधानी में गैंगस्टरों के आतंक पर अंकुश नहीं लग पाने के पीछे बड़ा कारण संगठित अपराध को खत्म करने के लिए 2002 में लाए गए मकोका कानून का दिल्ली पुलिस द्वारा गंभीरता पूर्वक इस्तेमाल न करना तो है ही, साथ ही मकोका के मामलों की बेहतर जांच न करने व जेलों में बंद अपराधियों पर गहन निगरानी का भी अभाव बताया जा रहा है।
जेलों में बंद गैंगस्टर धड़ल्ले से मोबाइल का इस्तेमाल कर रंगदारी रैकेट चला रहे हैं। राजधानी में कुछ ऐसे भी अपराधी हैं, जिन पर मकोका लगे होने के बावजूद किसी न किसी आका का संरक्षण प्राप्त होने के कारण दिल्ली पुलिस उन्हें नहीं पकड़ रही है।
दो बड़े गैंगस्टर नहीं पकड़े गए अबतक
उदाहरण के तौर पर यमुनापार के दो बड़े गैंगस्टर साबिर पहलवान व अनवर चाचा पर मकोका लगे हुए करीब पांच साल हो चुके हैं। क्राइम ब्रांच व स्थानीय थाने में इनके खिलाफ मकोका के दो-दो मामले दर्ज हैं। स्पेशल सेल व क्राइम ब्रांच सहित पूरी दिल्ली पुलिस को इस बात की जानकारी होने के बावजूद इनके नहीं पकड़े जाने पर दिल्ली पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं।
नादिर शाह की हत्या में अनवर चाचा फरार
दो हफ्ता पहले ग्रेटर कैलाश एक में जिम संचालक नादिर शाह की हत्या मामले में साबिर पहलवान व अनवर चाचा को मुख्य मास्टर के तौर पर देखा जा रहा है। सूत्रों की मानें तो मंडोली जेल से हाशिम बाबा ने मोबाइल से अनवर चाचा को कॉल कर नादिर की हत्या कराने की बात कही थी।
जिन नंबरों से हाशिम व अनवर की मोबाइल पर बातें हुई थीं। पुलिस को उसके बारे में जानकारी मिल गई है। घटना के बाद से अनवर चाचा अपना मोबाइल बंद कर भूमिगत हो गया है।
खुद का गिरोह बनाकर रंगदारी मांगना शुरू की
स्पेशल सेल के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि साबिर पहलवान व अनवर चाचा का नाम यमुनापार के कुछ पुराने गैंगस्टरों में आता है। कुछ सालों से यमुनापार में आतंक का पर्याय बने कुख्यात गैंगस्टर राजेश केबल वाला, हाशिम बाबा व सलीम पिस्टल पहले इन दोनों गैंगस्टर के लिए ही काम करते थे। बाद में धीरे-धीरे इन्होंने खुद का गिरोह बना रंगदारी वसूलने का धंधा शुरू कर दिया।
राजेश केबल वाला लंबे समय से बैंकाक व सलीम पिस्टल दुबई में ठिकाना बना रखा है। हाशिम को कई साल पहले स्पेशल सेल ने दबोच लिया था वह मंडोली जेल में बंद है। पुलिस का कहना है कि ये तीनों गैंगस्टर भले ही अलग-अलग गिरोह चला रहे हैं लेकिन इनके आपराधिक गुरु साबिर पहलवान व अनवर चाचा ही है।
मौजूदा समय में पर्दे के पीछे से ये दोनों गैंगस्टर, हाशिम बाबा, सलीम पिस्टल व राजेश केबल वाला को चला रहे हैं। हर मामले के मुख्य मास्टर साबिर व अनवर ही होते हैं। अब तक दिल्ली पुलिस संगठित अपराध करने वाले गैंगस्टरों पर नामजद मकोका लगाती थी। इस बार दिल्ली पुलिस ने हाशिम बाबा गिरोह पर मकोका लगा दिया है। ऐसा पहली बार हुआ है। इस मुकदमे के तहत अब हाशिम से गठजोड़ करने वाले गैंगस्टरों व गिरोह के लिए काम करने वाले सभी बदमाशों पर मकोका के तहत कार्रवाई होगी। यमुनापार के गैंगस्टरों का आतंक पहले यमुनापार तक ही सीमित था।
दक्षिण दिल्ली के शाहरूख व अन्य गैंगस्टरों से हाथ मिलाने के बाद हाशिम का आतंक दक्षिण दिल्ली में भी शुरू हो गया है। शाहरूख ने ही पंजाबी गायक व कांग्रेस नेता सिद्धू मूसेवाला की रेकी की थी। शाहरूख जेल में बंद है। नादिर के खिलाफ चार मामले दर्ज हैं। इसकी हत्या में कई नए व पुराने बदमाशों की संलिप्तता व पुलिस-आपराधिक गठजोड़ का भी मामला सामने आया है। नादिर का हत्यारा मधुर व उसके साथ आए राजू को दिल्ली पुलिस अबतक नहीं पकड़ पाई है।
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