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    दिल्ली MCD में अफसरों की कमी, कामकाज पर भारी असर; कब होगी खाली पदों पर भर्ती?

    Updated: Sun, 07 Sep 2025 05:43 PM (IST)

    दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) वित्तीय संकट के साथ-साथ अधिकारियों की कमी से भी जूझ रहा है। कई विभागों में विभागाध्यक्षों और उपायुक्तों के पद खाली हैं जिससे कामकाज प्रभावित हो रहा है। पशु चिकित्सा विभाग और विधि विभाग जैसे महत्वपूर्ण विभागों में भी निदेशकों की नियुक्ति नहीं हो पाई है। केंद्र सरकार द्वारा अधिकारियों को वापस बुलाने से स्थिति और गंभीर हो सकती है।

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    दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) वित्तीय संकट के साथ-साथ अधिकारियों की कमी से भी जूझ रहा है। फाइल फोटो

    निहाल सिंह, नई दिल्ली। खराब वित्तीय स्थिति से जूझ रहा दिल्ली नगर निगम अधिकारियों की कमी से भी जूझ रहा है। स्थिति यह है कि एक साल से भी ज़्यादा समय से निगम के पास कई विभागों के प्रमुख नहीं हैं और उपायुक्तों व अतिरिक्त आयुक्तों की कमी है। इस वजह से अतिरिक्त प्रभार देकर अधिकारियों की नियुक्ति की जा रही है।

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    कई विभाग ऐसे हैं जिनमें कई महीनों से विभागाध्यक्ष व अन्य अधिकारी नहीं हैं। साथ ही, कई बार आवेदन मांगने के बाद भी निगम को विभागाध्यक्ष नहीं मिल रहे हैं। अधिकारियों की कमी का मुद्दा एमसीडी की स्थायी समिति की बैठक में भी उठ चुका है, लेकिन फिलहाल इसका स्थायी समाधान होता नहीं दिख रहा है।

    दिल्ली नगर निगम के पशु चिकित्सा सेवा विभाग की बात करें तो डॉ. वीके सिंह 31 अक्टूबर को विभाग से निदेशक पद से सेवानिवृत्त हुए, लेकिन उनके जाने के बाद अभी तक विभाग में निदेशक की नियुक्ति नहीं हो पाई है। अभी यह भी तय नहीं है कि निदेशक के पद पर कौन काम करेगा।

    फिलहाल दो अतिरिक्त निदेशक हैं। जिनमें से एक को पदोन्नत कर निदेशक नियुक्त किया जाना है। यह काम भी अभी तक नहीं हुआ है। इसके साथ ही, निगम के पास लगभग तीन साल से मुख्य विधि अधिकारी भी नहीं है। मुख्य विधि अधिकारी के पद पर कार्यरत अनिल शर्मा पहले डीडीए में कार्यरत थे।

    इसके बाद उन्हें एमसीडी में अतिरिक्त कार्यभार और जिम्मेदारी सौंपी गई। वे 31 अक्टूबर 2024 को निगम से सेवानिवृत्त हो चुके हैं, इसके बावजूद अभी तक इस पर कोई स्थायी नियुक्ति नहीं हुई है। जबकि निगम ने इस पद के लिए कई बार प्रतिनियुक्ति के आधार पर नियुक्ति के लिए आवेदन जारी किए हैं, इसके बावजूद अभी तक यह पद नहीं भरा गया है।

    सलाहकार के तौर पर निगम उनकी सेवाएँ अनुबंध के आधार पर ले रहा है। इसी तरह, निगम के प्रेस एवं सूचना निदेशालय में उप निदेशक का पद भी लंबे समय से खाली पड़ा है। निगम ने हाल ही में इसे प्रतिनियुक्ति के आधार पर भरने के लिए आवेदन मांगे थे, लेकिन निगम के भर्ती नियमों में जिस तरह की शर्तें हैं, उसके कारण निगम को इस पद को भरने में कठिनाई हो सकती है।

    उपायुक्त के पद भी खाली, कनिष्ठ अधिकारियों को दी गई है जिम्मेदारी

    एमसीडी में उपायुक्त की भी कमी है। इसलिए निगम ने कुछ कनिष्ठ अधिकारियों को उपायुक्त की ज़िम्मेदारी सौंपी है। वहीं, पिछले दो महीने से निगम के सिटी एसपी ज़ोन में कोई उपायुक्त नहीं है। करोल बाग़ के उपायुक्त को सिटी एसपी ज़ोन की अतिरिक्त ज़िम्मेदारी दी गई है।

    इससे पार्षदों को परेशानी हो रही है। हाल ही में स्थायी समिति में आप पार्षद राफ़िया ने भी उपायुक्त न होने के कारण करोल बाग़ ज़ोन में बार-बार काम के लिए आने-जाने से होने वाली परेशानियों का मुद्दा उठाया था।

    केंद्र सरकार ने छह अधिकारियों को वापस भेजने को कहा

    निगम पहले से ही अधिकारियों की कमी से जूझ रहा है, ऐसे में निगम को अधिकारियों की कमी का और भी बड़ा संकट झेलना पड़ सकता है क्योंकि केंद्र सरकार ने निगम में प्रतिनियुक्ति पर गए सात वरिष्ठ अधिकारियों को वापस बुला लिया है।

    इन अधिकारियों को 31 अगस्त तक केंद्र सरकार में ज्वाइन करना था, लेकिन अधिकारियों की कमी के कारण असमर्थता जताते हुए निगम ने केंद्र सरकार को पत्र लिखा है, लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं आया है। अगर ये अधिकारी वापस चले जाते हैं, तो निगम के सामने बड़ी समस्या खड़ी हो सकती है।

    हम रिक्त पदों को भरने का प्रयास कर रहे हैं। कुछ उपायुक्तों के साक्षात्कार हो चुके हैं। सक्षम अधिकारियों से अनुमोदन मिलने के बाद समस्या का समाधान हो सकता है। - विनीत वोहरा, अध्यक्ष, नियुक्ति एवं पदोन्नति समिति, एमसीडी

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