Delhi MCD Election Update: दिल्ली नगर निगम चुनाव होने में लगेगा लगभग एक साल का समय विधि अधिकारी ने बताई ये हैं वजहें
निगम के पूर्व विधि अधिकारी अनिल गुप्ता बताते हैं कि दिल्ली नगर निगम एक्ट की धारा तीन तीन (ए) और पांच में परिसीमन से संबंधित प्रक्रिया का जिक्र हैं। इन ...और पढ़ें

नई दिल्ली [निहाल सिंह]। केंद्र के आदेश के बाद एमसीडी के वार्डो के परिसीमन का काम सोमवार से शुरू हो जाएगा। सोमवार को समिति की पहली बैठक बुलाई गई है। चूंकि चार माह के भीतर ही परिसीमन रिपोर्ट केंद्रीय गृह मंत्रालय को सौंपी जानी है ऐसे में वर्ष 2011 की जनगणना को आधार बनाकर ही परिसीमन करना होगा। जानकार इस आदेश को सिर्फ वार्डो के परिसीमन तक सीमित नहीं मान रहे हैं। इसमें जोन से लेकर सीटों का आरक्षण भी तय किया जाना है।
निगम के पूर्व विधि अधिकारी अनिल गुप्ता बताते हैं कि दिल्ली नगर निगम एक्ट की धारा तीन, तीन (ए) और पांच में परिसीमन से संबंधित प्रक्रिया का जिक्र हैं। इनमें परिसीमन से लेकर वार्डो के आरक्षण, जोन की सीमा और जोन की संख्या को घटाना और बढ़ाना शामिल है। अब निगम एक है और ऐसे में लोगों के लिए जोनल दफ्तर की संख्या घटाने और बढ़ाने पर फैसला लिया जा सकता है।
फिलहाल एमसीडी में 12 जोन हैं, लेकिन दिल्ली में जिस तेजी से आबादी बढ़ रही है उस लिहाज से जोन की संख्या बहुत कम है। पहले एक मंजिल के मकान थे और अब चार-चार मंजिल तक के मकान हैं। जोन में तैनात कर्मियों की संख्या और संसाधन भी कम हैं। ऐसे में कार्यो की निगरानी के लिए संख्या बढ़ाने पर भी विचार किया जा सकता है।
चुनाव होने में सालभर का लग सकता है समय
अनिल गुप्ता बताते हैं कि भले ही वार्ड परिसीमन के लिए समिति को को चार माह का समय दिया गया, लेकिन चुनाव होने में कम से कम अभी भी एक साल का समय लग सकता है। क्योंकि वार्ड परिसीमन से लेकर आरक्षण करने पर राजनीतिक दलों से लेकर आम नागरिकों के भी सुझाव लिए जाते हैं। ऐसे में अक्सर यह मामले कोर्ट में भी चले जाते हैं। ऐसे में चार माह में परिसीमन समिति की रिपोर्ट सौंप दी जाएगी। इसके बाद केंद्र सरकार इसकी अधिसूचना जारी करेगी और जनता से भी सुझाव लिए जाएंगे।
इस तरह होता है वार्ड परिसीमन
विशेषज्ञों के अनुसार केंद्र की ओर से गठित समिति एमसीडी क्षेत्र में बनने वाले वार्डो की संख्या तय करेगी। इसके बाद भौगोलिक से लेकर जनसंख्या के आधार पर वार्डो की सीमा तय की जाएगी। कौन सा वार्ड किस जोन के अधीन होगा यह भी तय किया जाता है। निगम के एक्ट में अधिकतम 250 वार्ड बनाए जाने का प्रविधान है। ऐसे तय वार्डो में से ही समिति महिलाओं के लिए आरक्षित वार्ड तय किए जाने के साथ अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित वार्ड तय करेगी। समिति को यह भी बताना होता है कि उसने इन सीटों का आरक्षण तय करने का आधार क्या रखा है।
निगमों का एकीकरण 22 मई को हुआ था
पूर्वकालिक दिल्ली के तीनों निगमों की खराब आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए केंद्र सरकार ने लोकसभा से लेकर राज्यसभा में इससे संबंधित संशोधित विधेयक लाकर दिल्ली नगर निगम बनाने का फैसला लिया था। इसके बाद 22 मई को एकीकरण कर दिया गया था।

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