MCD में ढाई साल बाद Standing और Special समितियों का गठन, जानिए कब तक हो सकते हैं चेयरमैन के चुनाव
दिल्ली नगर निगम में 23 समितियों के सदस्यों का चुनाव हो गया है। महापौर राजा इकबाल सिंह ने सभी सदस्यों को निर्विरोध निर्वाचित घोषित किया। अनुसूचित जाति समिति में सदस्यों की संख्या कम करने पर आप ने विरोध जताया। महापौर ने कहा कि भाजपा सरकार ने उन समितियों का गठन किया है जिन्हें आप ने ढाई साल से नहीं होने दिया था।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली: दिल्ली नगर निगम (MCD) में भाजपा का शासन आने के बाद पहले वार्ड कमेटियों और फिर स्थायी समिति के गठन के बाद ढाई साल बाद तदर्थ और विशेष समितियों के गठन हो गया है।
अब समितियों के सदस्य अपने बीच में किसी एक चेयरमैन और डिप्टी चेयरमैन चुनेंगे। 23 समितियों के सदस्यों के निर्वाचन की प्रक्रिया एमसीडी की सदन की विशेष बैठक में पूरी की गई।
महापौर राजा इकबाल सिंह ने तय सदस्यों की संख्या और प्राप्त नामांकन की संख्या समान होने पर सभी सदस्यों को निर्विरोध निर्वाचित घोषित किया।
इसके साथ ही नेता सदन प्रवेश वाही ने अनुसूचित जाति व जनजाति समिति के साथ ही शिक्षा समिति में तीन-तीन सदस्यों के मनोनयन के लिए महापौर को अधिकृत किया।
अनुसूचित जाति व जनजाति समिति में सदस्यों की संख्या घटी
हालांकि इस बीच आम आदमी पार्टी ने अनुसूचित जाति व जनजाति समिति में कुल सदस्यों की संख्या 35 से घटाकर 21 करने पर विरोध जताया। इसकी वजह हंगामा होता देख महापौर ने बैठक को अगली बैठक तक के लिए स्थगित कर दिया।
सदन की बैठक के बाद महापौर राजा इकबाल सिंह ने बताया कि ढाई साल से आप ने जिन समितियों का गठन नहीं होने दिया था भाजपा की सरकार आने के बाद उनका गठन किया जा रहा है।
हमने पहले वार्ड कमेटियों का गठन कराया। इसके बाद स्थायी समिति का गठन कराया और फिर अब सभी 23 तदर्थ और विशेष के साथ वैधानिक समितियों का गठन हम करने जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सदस्यों का निर्वाचन का कार्य हो गया है। जल्द ही इन समितियों के चेयरमैन और डिप्टी चेयरमैन पद के चुनाव की प्रक्रिया हम शुरू करने जा रहे हैं।
छह-सात अगस्त काे चुने जाएंगे चेयरमैन
जल्द ही इन कमेटियों के चुनाव की अधिसूचना जारी कर दी जाएगी। संभवतः 31 जुलाई तक नामांकन होंगे और 6-7 अगस्त को इन समितियों के चेयरमैन और डिप्टी चेयरमैन का निर्वाचन होगा।
आप द्वारा अनुसूचित जाति और जनजाति समिति में सदस्यों की संख्या कम करने के आरोपों पर जवाब देते हुए महापौर ने कहा कि चूंकि पिछले सदन की बैठक में यह प्रस्ताव पारित हुआ था।
उस समय में नेता प्रतिपक्ष को इस पर चर्चा करनी चाहिए थी लेकिन जब तो उन्होंने चर्चा नहीं की अब विरोध जताकर वह सस्ती लोकप्रियता हासिल करना चाहते हैं।
जबकि नेता प्रतिपक्ष अंकुश नारंग का कहना है कि सत्ता की लालची भाजपा ने सिर्फ अपना चेयरमैन बनाने के लिए एससी कमेटी को 35 से घटाकर 21 सदस्यीय कर दिया है। यह अनूसूचित जाति और जनजाति के अधिकारों पर हमला है।
कौन-कौन सी हैं समितियां
विशेष समिति में आश्वासन, नियुक्तियां और पदोन्नितयां व अनुशासनात्मक, निर्माण, चिकित्सा सहायता एवं जन स्वास्थ्य, पर्यावरण प्रबंधन सेवाएं, उद्यान, विधि एवं सामान्य प्रयोजन, हिंदी, खेल-कूद प्रोत्साहन, उच्चाधिकार प्राप्त संपत्तिकर समिति, निगम लेखा समिति, पार्षदों के लिए आचार संहिता समिति हैं।
जबकि तदर्थ समितियों में लाइसेसिंग, सामुदायिक, मलेरिया निरोधक उपाय, बाढ़ नियंत्रण उपाय, गलियों आदि के नामकरण, सहायता अनुदान, राष्ट्रीय त्यौहार, महिला कल्याण एवं बाल विकास, शिकायत निवारण समिति हैं। वहीं वैधानिक समिति में शिक्षा समिति और ग्रामीण विकास समिति हैं।
इन समितियों की क्या होती है भूमिका
निगम में तदर्थ और विशेष समिति सलाहकार के तौर पर कार्य करती हैं। इन समितियों के चेयरमैन और डिप्टी चेयरमैन को निगम मुख्यालय में दफ्तर मिलता है।
साथ ही कार्य कराने के लिए स्टाफ भी मिलता है। इन समितियों को बैठक में संबंधित नितियों पर सदन को सलाह देने का अधिकार होता है।
इन सलाह और नीतियों को सदन के सामने मंजूरी के लिए भी रखा जाता है। इसी तरह वैधानिक कमेटियों में नीतिया बनाने का अधिकार भी होता है।
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