Delhi Lok Adalat 2025: ट्रैफिक चालान माफ कराने का मौका, दिल्ली में अब हर महीने लगेगी लोक अदालत
दिल्ली में ट्रैफिक चालान माफ कराने का सुनहरा अवसर आ रहा है। दिल्ली हाई कोर्ट की कमेटी ने हर महीने लोक अदालत लगाने की सिफारिश की है जिससे लंबित चालानों का बोझ कम होगा। पहले यह अदालत हर तीन महीने में लगती थी। चालान भरने के लिए अदालतों की संख्या भी बढ़ाई जाएगी। इस फैसले से अदालतों में लंबित मामलों का निपटारा तेजी से हो सकेगा।

राकेश कुमार सिंह, नई दिल्ली। राजधानी के सभी छह जिला न्यायालयों में वर्षों से लंबित पड़े करीब 4.15 करोड़ से अधिक चालानों को निपटाने के लिए अब हर महीने लोक अदालत लगेगी। पहले लोक अदालत हर तीन माह में लगती थी। इसके अलावा चालान भुगतने के लिए अदालतों की संख्या भी बढ़ाए जाने की तैयारी है।
दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की अध्यक्षता वाली कमेटी ने बीते हफ्ते ही लोक अदालत लगाने और अदालतों की संख्या बढ़ाने की संस्तुति की है। अब आदेश के अनुपालन में कार्रवाई आगे बढ़ाई जा रही है।
हर साल कितने चालान का होता है निपटारा?
राजधानी में 2019 से 2024 तक छह साल में लोक अदालतों और सालभर न्यायालयों के जरिये करीब 60 हजार लंबित चालान ही निपटाए जा सके। यानी हर साल करीब 10 हजार चालानों का निपटारा किया जा रहा था, जिससे न्यायालयों में चालानों का बोझ बढ़ता चला जा रहा था।
दिल्ली पहला राज्य बनेगा जहां हर माह लगेगी लोक अदालत
लंबित चालानों का निपटारा जल्द करने के लिए कदम उठाया गया है। यातायात पुलिस के विशेष आयुक्त अजय चौधरी का कहना है कि जिस गति से हर साल केवल 10 हजार लंबित चालानों का निपटारा हो पा रहा था। उससे इनको समाप्त करने में न्यायालयों को 35 साल से अधिक का समय लग सकता था।
न्यायालयों में चालानों के बढ़ते बोझ काे देखते हुए दिल्ली पुलिस ने दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से कोई रास्ता निकालने का अनुरोध किया था। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने छह सदस्यीय कमेटी का गठन कर उन्हें सुझाव देने को कहा था। 18 मार्च को हाई कोर्ट द्वारा कमेटी का गठन किया गया था, जिसमें न्यायमूर्ति प्रतीक जालान को अध्यक्ष बनाया गया था।
इसके अलावा प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश (मुख्यालय), अतिरिक्त मुख्य सचिव व आयुक्त परिवहन विभाग, विशेष पुलिस आयुक्त, यातायात, संयुक्त सचिव भारत सरकार प्रवीण कुमार राय, दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव शामिल थे।
कमेटी के सदस्यों ने हर मुद्दे पर गहन अध्ययन कर लंबित यातायात चालानों को कम करने और भविष्य में लंबित चालानों की संख्या को भी रोकने के लिए गहन अध्ययन कर रिपोर्ट सौंप दी। जिसके बाद हर माह लोक अदालत लगाने व अदालतों की संख्या बढ़ाने आदि कई दिशा निर्देश दिए गए।
सात महीने में कटे 64 लाख चालान
उक्त निर्देश का पालन करने के लिए दिल्ली सरकार के संबंधित विभाग और यातायात पुलिस तेजी से काम करना शुरू कर दिया है। चालान भुगतने के लिए कोई निर्धारित मापदंड नहीं होने के कारण वाहन चालक धड़ल्ले से यातायात नियमों का उल्लंघन करते हैं और चालान आने पर भुगतने में लापरवाही बरतते हैं। जिससे चालानों का बोझ बढ़ता जा रहा है।
इस साल के चालान के आंकड़ों को देखें तो सात माह में विभिन्न तरह के ट्रैफिक उल्लंघन के आन स्पाट 33,02,644 चालान कटे, जिनमें 32,28,233 चालान लंबित हैं। उसी तरह कैमरों से 30,69,251 चालान कटे, जिनमें 30,00,429 चालान लंबित हैं।
वर्तमान स्थिति
छह जिला न्यायालयों में एक में भी यह सुविधा नहीं है जहां लोग सुबह से शाम तक चालान भुगत सके। हर न्यायालय में केवल दो घंटे के लिए ईवनिंग कोर्ट चलता है। लोक अदालत में व्यावसायिक वाहनों के मालिक अधिकतम दो और आम लोग चार से पांच चालान भुगत सकते हैं।
- दिल्ली-एनसीआर के 4,24849 ऐसे व्यावसायिक वाहन हैं जिन पर यातायात नियमों के विभिन्न तरह के उल्लंघन के न्यूनतम तीन और अधिकतम 855 तक चालान हैं।
- 25 ऐसे व्यावसायिक वाहन हैं जिन पर 300-400 चालान हैं
- आठ वाहनों पर 407 से 562 चालान हैं
- 87 वाहन ऐसे हैं जिन पर 200 से 301 तक चालान हैं
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