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    दिल्ली LG ने ऑथर अरुंधति रॉय और पूर्व कश्मीरी प्रोफेसर के खिलाफ मुकदमा चलाने की दी मंजूरी, जानिए क्या है मामला

    By Jagran NewsEdited By: Geetarjun
    Updated: Tue, 10 Oct 2023 07:20 PM (IST)

    दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना (Delhi LG VK Saxena) ने लेखक अरुंधति रॉय और पूर्व कश्मीरी प्रोफेसर शेख शौकत हुसैन के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने के मामले में मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है। यह मामला वर्ष 2010 का है। राज निवास के अधिकारियों के अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। दोनों पर देश की एकता के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने का आरोप है।

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    दिल्ली LG ने ऑथर अरुंधति रॉय और पूर्व कश्मीरी प्रोफेसर के खिलाफ मुकदमा चलाने की दी मंजूरी

    नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना (Delhi LG VK Saxena) ने लेखक अरुंधति रॉय और पूर्व कश्मीरी प्रोफेसर शेख शौकत हुसैन के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने के मामले में मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है। यह मामला वर्ष 2010 का है। राज निवास के अधिकारियों के अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी।

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    उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने सीआरपीसी की धारा 196 के तहत अरुंधतिरॉय और शेख शौकत हुसैन के खिलाफ मुकदमा चलाने को मंजूरी दे दी है। दोनों पर देश की एकता के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने का आरोप है।

    राजद्रोह का केस चलाने के लिए राज्य की मंजूरी जरूरी

    दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी, CrPC) की धारा 196(1) के तहत कुछ अपराधों जैसे नफरत फैलाने वाले भाषण, धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने, घृणा अपराध, राजद्रोह, राज्य के खिलाफ युद्ध छेड़ने, दूसरों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना आदि के लिए मुकदमा चलाने को राज्य या केंद्र की मंजूरी जरूरी होती है।

    जानकारी के अनुसार, इन दोनों के खिलाफ नई दिल्ली के मेट्रोपॉलिटिन मजिस्ट्रेट ने 27 नवंबर, 2010 को मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया था। उस दौरान 29 नवंबर, 2010 को आईपीसी की धारा 153ए, 153बी और 505 के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था।

    देशद्रोह की धारा जोड़ने की मंजूरी नहीं

    सक्सेना ने प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए माना कि दिल्ली में एक सार्वजनिक समारोह के दौरान भड़काऊ भाषण देने पर अरुंधति रॉय और प्रोफेसर के खिलाफ आईपीसी की धारा 153ए, 153बी और 505 के तहत प्रथम दृष्टया अपराध का मामला बनता है।

    हालांकि राजद्रोह का मामला बनने के बावजूद आईपीसी (देशद्रोह) की धारा 124ए के तहत मंजूरी नहीं दी गई है, क्योंकि 11 मई 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने एक अन्य मामले में निर्देश दिया है कि आईपीसी की धारा 124ए (देशद्रोह) के तहत दर्ज सभी लंबित मामलों, अपीलों और कार्यवाही को स्थगित कर दिया जाए। बाद में देश के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली तीन-सदस्यीय पीठ ने इस मामले को 12 सितंबर 2023 को संविधानपीठ को भेज दिया था।

    दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के मद्देनजर कहा था कि आईपीसी की धारा 124ए के तहत अपराध के लिए अभियोजन की मंजूरी देने के अनुरोध पर फिलहाल फैसला नहीं लिया जा सकता है। दो अन्य आरोपी- कश्मीरी अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी और दिल्लीविश्वविद्यालय के लेक्चरर सैयद अब्दुल रहमान गिलानी, जिन्हें तकनीकी आधार पर संसद हमले के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बरी कर दिया था, की मामले की सुनवाई के दौरान मृत्यु हो गई है।

    21 अक्टूबर 2010 को एक सभागार में राजनीतिक कैदियों की रिहाई के लिए समिति (सीआरपीपी) द्वारा आयोजित सम्मेलन में सार्वजनिक रूप से विभिन्न व्यक्तियों/वक्ताओं द्वारा उत्तेजक भाषण देने के खिलाफ कश्मीर के एक सामाजिक कार्यकर्ता सुशील पंडित ने 28 अक्टूबर 2010 को तिलक मार्ग थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत में कान्फ्रेंस के दौरान कुछ वक्ताओं के बयानों का भी उल्लेख किया था।

    इसके अलावा अरुंधति रॉय, एस.ए.आर गिलानी और एस.ए.एस गिलानी द्वारा दिए गए भाषणों की प्रतिलिपि भी प्रस्तुत की गई थी। शिकायतकर्ता द्वारा पेश की गई एक सीडी और डीवीडी को सीएफएसएल के कंप्यूटर डिवीजन में फोरेंसिक जांच के लिए एक दिसंबर 2017 को भेजा गया था, जिसमें पाया गया कि सीडी/डीवीडी तार्किक रूप से कार्यात्मक और शारीरिक रूप से क्षतिग्रस्त नहीं थी।

    इसके बाद दिल्ली पुलिस द्वारा राय और हुसैन के खिलाफ आईपीसी की धारा 153ए,153बी, 504, 505 और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए), 1967 की धारा 13 के तहत सीआरपीसी कीधारा 196 के तहत अभियोजन की मंजूरी मांगी गई थी। इस कॉन्फ्रेस में रॉय, हुसैन, तहरीक-ए-हुरियत के अध्यक्ष सैयद अली शाह गिलानी और एसएआर गिलानी के अलावा भीमा-कोरेगांव मामले के आरोपी माओवादी समर्थक वरवर राव भी वहां शामिल थे।

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    यहां बता दें कि मामले के दो अन्य आरोपियों कश्मीरी अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी और डीयू के लेक्चरर सैयद अब्दुल रहमान गिलानी की मामले की सुनवाई के दौरान मृत्यु हो गई है। उन्हें तकनीकी आधार पर संसद हमले के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बरी कर दिया था।