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    LG ने दिल्ली वक्फ बोर्ड के CEO की नियुक्ति को दी मंजूरी, इस IAS अफसर को मिली जिम्मेदारी

    Updated: Sat, 04 Jan 2025 05:36 PM (IST)

    दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने दिल्ली वक्फ बोर्ड (Delhi Waqf Board CEO) के सीईओ की नियुक्ति को मंजूरी दे दी है। आदेश में कहा गया है कि आईए ...और पढ़ें

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    LG ने दिल्ली वक्फ बोर्ड के CEO की नियुक्ति को दी मंजूरी।

    राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। उपराज्यपाल वीके सक्सेना (Delhi LG VK Saxena) ने आईएएस अधिकारी अजीमुल हक को दिल्ली वक्फ बोर्ड का मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) नियुक्त करने को मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही उन्होंने कानूनी प्रविधानों का पालन किए बिना इस मुद्दे को लापरवाह तरीके से निपटाने का आरोप लगाते हुए आप सरकार की आलोचना की है।

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    उपराज्यपाल ने एक बयान में कहा कि दिल्ली वक्फ बोर्ड (Delhi Waqf Board) में सीईओ का पद 28 नवंबर 2024 से खाली पड़ा था। एलजी ने कहा कि आप सरकार ने एक महीने के बाद सीईओ का अतिरिक्त प्रभार एक अधिकारी को देने का प्रस्ताव भेजा।

    AAP सरकार की लापरवाही से काम रुका

    सरकार की इस लापरवाही के कारण बोर्ड के दैनिक कार्य जैसे इमामों और अन्य पदाधिकारियों को वेतन जारी करना रुक गया। सक्सेना ने कहा कि इमामों व मुतवल्लियों की कठिनाइयों का भी आप सरकार ने ध्यान नहीं रखा।

    उन्होंने कहा कि सीईओ की अनुपस्थिति में वेतन का भुगतान न होने के कारण ये लोग परेशान हैं। एलजी ने कहा कि मैं प्रस्ताव को मंजूरी दे रहा हूं। हालांकि नियुक्ति प्रभावी होने से पहले बोर्ड द्वारा प्रस्ताव की पुष्टि की जानी चाहिए।

    एलजी ने दी सलाह

    इसके अलावा एलजी ने यह सलाह भी दी है कि भविष्य में प्रस्ताव को कानून के प्रावधानों के अनुसार, सख्ती से मेरे विचार के लिए भेजा जाना चाहिए। उन्होंने दावा किया कि अब भी सरकार द्वारा कानूनी प्रावधानों का पालन किए बिना लापरवाही से प्रस्ताव भेजा गया है।

    उनके अनुसार संसद द्वारा अधिनियमित दिल्ली वक्फ अधिनियम, 1995 के अनुसार, सीईओ की नियुक्ति अधिनियम की धारा 23 के अनुसार की जानी है, जिसमें अन्य बातों के अलावा यह प्रविधान है कि बोर्ड द्वारा सीईओ के रूप में नियुक्ति के लिए राज्य सरकार को दो नामों का पैनल सुझाया जाएगा।

    हालांकि राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण (एनसीसीएसए) ने बोर्ड द्वारा विधिवत अनुशंसित नामों के पैनल को रिकॉर्ड में नहीं रखा, बल्कि इसके बजाय अतिरिक्त प्रभार सौंपने के लिए मेरे विचार के लिए एक अधिकारी का नाम प्रस्तुत किया।