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    Delhi Mayor Election: पीठासीन अधिकारी की नियुक्त अब LG के हाथ में, मुख्यमंत्री की नहीं होगी जरूरत

    Updated: Wed, 13 Nov 2024 11:21 PM (IST)

    Delhi Mayor Election दिल्ली नगर निगम (MCD) में महापौर चुनाव में अब मुख्यमंत्री की भूमिका खत्म हो गई है। उपराज्यपाल ने सीधे गौतमपुरी वार्ड से भाजपा पार्षद सत्या शर्मा को पीठासीन अधिकारी नियुक्त कर दिया है। यह पहली बार हुआ है कि बिना सीएम की संस्तुति के पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति हुई हो। अब आगे भी यही प्रक्रिया अपनाई जाएगी।

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    महापौर चुनाव में पीठासीन अधिकारी नियुक्ति में सीएम की भूमिका खत्म।

    निहाल सिंह, नई दिल्ली। दिल्ली नगर निगम (MCD) में जिस वजह से महापौर का चुनाव करीब सात माह देरी से हो रहा है, अब वह आगे कभी नहीं होगा। अब निगम में महापौर चुनाव में पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति के लिए सीएम की भूमिका खत्म हो गई है।

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    अब उपराज्यपाल ने ही सीधे गौतमपुरी वार्ड से भाजपा पार्षद सत्या शर्मा को पीठासीन अधिकारी नियुक्त कर दिया है। यह पहली बार हुआ है कि बिना सीएम की संस्तुति के पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति हुई हो। अब आगे भी यही प्रक्रिया अपनाई जाएगी।

    पहले इस वजह से फंसा पेंच

    उल्लेखनीय है कि अप्रैल 2024 में महापौर का चुनाव होना था। लेकिन तत्कालीन सीएम अरविंद केजरीवाल के जेल में होने की वजह से निगम द्वारा पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति की फाइल दिल्ली सरकार से होकर सीएम दफ्तर से होते हुए एलजी के पास गई थी। लेकिन 26 अप्रैल को चुनाव से एक दिन पहले एलजी ने पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति करने से यह कहते हुए इनकार कर दिया था क्योंकि उसमें निर्वाचित सरकार के मुखिया के हस्ताक्षर नहीं है।

    शैली ओबेरॉय बनी रहीं मेयर

    एलजी ने अगले आदेश तक वर्तमान महापौर डॉ. शैली ओबेरॉय को ही आगे तक कार्य करने के लिए तय कर दिया था। जब सितंबर में सीएम पद से केजरीवाल ने इस्तीफा दिया और आतिशी सीएम बनी तो फिर से महापौर चुनाव के लिए कार्रवाई शुरू हुई। इसके बाद 14 नवंबर को चुनाव की तारीख तय हो गई।

    सुप्रीम कोर्ट ने एल्डरमैन की नियुक्ति को सही ठहराया

    निगम सूत्रों के अनुसार, चूंकि पांच अगस्त 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने एल्डरमैन की नियुक्ति के मामले में निर्णय दिया था, जिसमें उपराज्यपाल द्वारा नियुक्त एल्डरमैन को सही ठहराया गया गया था। उस आदेश में यह बात भी उल्लेखित थी कि निगम एक्ट में जहां-जहां पर शक्तियां उपराज्यपाल (प्रशासक) को दी गई हैं, उसके लिए एलजी स्वयं अपने विवेक से निर्णय ले सकते हैं।

    पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति की प्रक्रिया

    चूंकि एमसीडी एक्ट के अनुच्छेद 77 (ए) के तहत उपराज्यपाल के पास बतौर प्रशासक यह शक्तियां मौजूद हैं। इसके तहत उपराज्यपाल किसी एक निर्वाचित पार्षद जो कि महापौर व उप महापौर चुनाव का प्रत्याशी न हो उसमें से किसी को भी महापौर चुनाव के लिए पीठासीन अधिकारी नियुक्त करेंगे। सूत्रों ने बताया कि इस बार पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति की फाइल सीधे उपराज्यपाल के पास गई थी।

    वहीं से सत्या शर्मा को जो कि गौतमपुरी वार्ड की पार्षद हैं उन्हें पीठासीन अधिकारी नियुक्त किया गया है। सत्या शर्मा पहले 2023 में जनवरी में भी महापौर चुनाव के लिए पीठासीन अधिकारी नियुक्त हुई थीं।

    भाजपा की प्रतिक्रिया

    आप को संवैधानिक नियुक्तियों पर संदेह जताने की आदत है। इसी वजह से पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति पर सवाल उठाए गए हैं। पिछले अनुभव से ऐसा प्रतीत होता है कि आप नेतृत्व अनुसूचित जाति के महापौर का चुनाव नहीं करना चाहता और चुनाव को भी टालने के लिए किसी न किसी प्रकार का व्यवधान पैदा कर सकते हैं। -प्रवीण शंकर कपूर, प्रवक्ता, भाजपा दिल्ली