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    Delhi Weather: जनवरी ने बनाया दिल्ली में ठंड और सूखे का रिकॉर्ड, 16 साल में दूसरा मौका जब एक भी दिन नहीं हुई बारिश

    इस साल तो बर्फबारी होने का पूर्वानुमान भी जनवरी के अंतिम एवं फरवरी के पहले सप्ताह में है। इसलिए सर्दी भी इस साल लंबी खिंचने वाली है। बदलते मौसमी परिदृश्य में ही सोलह साल में दूसरी बार जनवरी का महीना इतना सूखा है। मंगलवार देर रात की बूंदाबांदी छोड़ दें तो माह के 26 दिनों में एक बार भी बारिश नहीं हुई।

    By sanjeev Gupta Edited By: Shyamji Tiwari Updated: Mon, 29 Jan 2024 09:26 AM (IST)
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    जनवरी ने बनाया दिल्ली में ठंड और सूखे का रिकॉर्ड

    संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। वर्ष 2024 की जनवरी पहले दिन से ही ठिठुरन भरी सर्दी का अहसास, तो करा ही रही है, ठंड एवं सूखे के भी नए रिकॉर्ड बना रही है। एक से डेढ़ दशक के दौरान इस माह में शीतलहर एवं शीत दिवस सर्वाधिक रहे हैं, तो दिसंबर के बाद जनवरी में भी बारिश ने दिल्ली से पूरी तरह मुंह मोड़ रखा है।

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    मौसम विज्ञानी इसके लिए जलवायु परिवर्तन के साथ- साथ मजबूत पश्चिमी विक्षोभों के अभाव को बड़ी वजह बता रहे हैं। यूं तो हर साल दिसंबर और जनवरी में ही दिल्ली में कड़ाके की सर्दी पड़ती रही है, लेकिन पिछले दो वर्षों से यह मौसम चक्र बदल रहा है।

    दिसंबर में अब अंतिम दौर में ठंड पड़ने लगी है तो जनवरी में मकर संक्रांति तक नहीं बल्कि उत्तरार्ध तक ठंड बनी रहती है। बर्फबारी भी दिसंबर के बजाए जनवरी में होने लगी है। इस साल तो बर्फबारी होने का पूर्वानुमान भी जनवरी के अंतिम एवं फरवरी के पहले सप्ताह में है।

    क्यों हो रही सामान्य से ज्यादा ठंड?

    इसीलिए सर्दी भी इस साल लंबी खिंचने वाली है। बदलते मौसमी परिदृश्य में ही सोलह साल में दूसरी बार जनवरी का महीना इतना सूखा है। मंगलवार देर रात की बूंदाबांदी छोड़ दें, तो माह के 26 दिनों में एक बार भी बारिश नहीं हुई।

    बचे हुए पांच- छह दिनों में भी बारिश की कोई उम्मीद नहीं है। दिसंबर भी पूर्णतया सूखा ही रहा था। इसी स्थिति के चलते दिल्लीवासियों को सामान्य से कहीं ज्यादा ठंड और कोहरे का सामना करना पड़ रहा है।

    आलम यह है कि नौ साल में पहली बार जनवरी में शीतलहर और शीत दिवस की श्रेणी वाले 10 दिन दर्ज हुए हैं। मालूम हो कि जनवरी में आमतौर पर दिल्ली में 21.7 मिमी बारिश होती है।

    इससे पहले वर्ष 2016 और वर्ष 2011 का जनवरी माह सबसे ज्यादा सूखा साबित हुआ था। 2016 में भी बूंदाबांदी रिकॉर्ड की गई थी तो वर्ष 2011 में 0.5 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई थी। इस बार भी बारिश शून्य है , बस बूंदाबांदी हुई है।

    जनवरी में शीत लहर के हालात

    16 वर्षों के दौरान जनवरी में हुई बारिश का आंकड़ा

     उत्तर भारत के एक बड़े हिस्से में लगातार कोहरे की परत देखने को मिल रही है। आमतौर पर जनवरी के महीने में तीन से पांच पश्चिमी विक्षोभ आते रहे हैं। इसके चलते बूंदाबांदी से लेकर हल्की बारिश तक होती रही है। हवा की रफ्तार भी तेज होती है। इससे लोगों को ठंड और कोहरे से राहत मिलती है। बारिश नहीं होना इसके पीछे एक बड़ा कारण है। जलवायु परिवर्तन के असर से भी इनकार नहीं किया जा सकता।

    -महेश पलावत, उपाध्यक्ष (मौसम विज्ञान एवं जलवायु परिवर्तन), स्काईमेट वेदर