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    अब न रुकेगी यमुना की सफाई न ही सीवर-पानी का काम, रेखा सरकार ने दिल्ली जल बोर्ड को लेकर लिया बड़ा फैसला

    दिल्ली जल बोर्ड के अध्यक्ष समेत कई अधिकारियों की वित्तीय शक्ति बढ़ाई गई है। अब यमुना की सफाई और पेयजल आपूर्ति जैसे काम तेजी से होंगे क्योंकि अधिकारियों को छोटे-छोटे कामों के लिए सरकार से अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि इस फैसले से बोर्ड ज्यादा स्वायत्त होगा और काम बेहतर तरीके से कर पाएगा।

    By Santosh Kumar Singh Edited By: Kushagra Mishra Updated: Sat, 05 Jul 2025 08:25 PM (IST)
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    सरकार की अनुमति के बिना जल बोर्ड अपनी परियोजनाओं पर करेगा काम।

    राज्य ब्यूरो, नई दिल्लीः पिछले कई वर्षों तक दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारियों को वित्तीय अधिकार नहीं होने से यमुना की सफाई से संबंधित काम बाधित होने के साथ ही पेयजल आपूर्ति और सीवर से संबंधित समस्याओं का समय पर समाधान नहीं हो पाता था।

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    बोर्ड के अधिकारियों को छोटे काम का भी प्रस्ताव बनाकर दिल्ली सरकार को भेजना पड़ता था। मंत्री की अनुमति मिलने के बाद काम होता था। अब यह स्थिति उत्पन्न नहीं होगी। दिल्ली सरकार ने जल बोर्ड के साथ ही इसके अधिकारियों की वित्तीय अधिकार बढ़ा दिए हैं।

    पूर्व की आम आदमी पार्टी की सरकार ने 5 जून, 2020 को आदेश जारी कर जल बोर्ड के अधिकारियों की वित्तीय अधिकार समाप्त कर दिया था।

    अभी तक मंत्री के अनुमति के बिना नहीं हो सकता था खर्च

    अधिकारी बिना विभागीय मंत्री यानी जलबोर्ड के अध्यक्ष की अनुमति के कोई खर्च नहीं कर सकता था। इस कारण जल आपूर्ति व सीवर से संबंधित शिकायतें बढ़ने लगी थी और भाजपा ने इसे मुद्दा बनाया था। उसके बाद पिछले वर्ष अगस्त में इस आदेश को वापस ले लिया गया था।

    आदेश वापस लेने से अधिकारियों को वित्तीय अधिकार तो प्राप्त हो गए थे लेकिन, जल बोर्ड पर भ्रष्टाचार के आरोप के कारण पर्याप्त फंड आवंटित नहीं हो रहा था। अब यह समस्या दूर हो गई है।

    CM ने कहा- अपने स्तर पर जल बोर्ड करेगा काम

    CM Rekha Gupta ने कहा, यमुना की सफाई, नालों के पानी को शोधित करने वाले संयंत्र लगाने, पेयजल आपूर्ति व अन्य महत्वपूर्ण कार्य जल बोर्ड अपने स्तर पर करेगा।

    अब कैबिनेट में प्रस्ताव लाने की आवश्यकता नहीं होगी। सरकार के निर्णय में बोर्ड के अध्यक्ष, मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) व अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के वित्तीय अधिकारों में भी वृद्धि की गई है।

    यह कदम जल बोर्ड की कार्य प्रणाली को अधिक सक्षम, प्रभावी और उत्तरदायी बनाने के उद्देश्य से उठाया गया है। बोर्ड का अर्थ ही होता है कि वह सक्षम व स्वायत्त हो, तभी उसकी कार्यप्रणाली प्रभावी हो पाएगी।

    पूर्व सरकार ने बोर्ड के सभी वित्तीय अधिकार समाप्त कर दिए थे जिससे यमुना व नालों की सफाई और पेयजल से जुड़ी परियोजनाओं ठप हो गई थी।

    अधिकारियों के वित्तीय अधिकार

    उन्होंने बताया कि 50 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं पर निर्णय लेगा। जल बोर्ड के अध्यक्ष 50 करोड़ रुपये तक, सीईओ 25 करोड़ रुपये और सदस्य (प्रशासन/जल आपूर्ति/जल निकासी) पांच करोड़ रुपये तक का काम अपने स्तर पर कर सकेंगे।

    अन्य अधिकारियों की वित्तीय अधिकार भी बढ़ गए हैं। पहले 50 करोड़ से अधिक की परियोजनाओं के लिए दिल्ली सरकार के कैबिनेट की मंजूरी अनिवार्य थी। बोर्ड के अध्यक्ष को 25 करोड़, सीईओ को पांच करोड़ व सदस्यों को एक-एक करोड़ खर्च करने का अधिकार था।

    क्या होगा लाभ

    • जल बोर्ड सीवेज उपचार संयंत्र (एसटीपी) और विकेंद्रीत उपचार संयंत्र (डीएसटीपी) लगा सकेगा जिससे यमुना की सफाई के काम में तेजी आएगी।
    • आवश्यकता अनुसार नई पाइप लाइनें बिछाने के साथ बूस्टिंग स्टेशन बना सकेगा। अन्य जरूरी काम भी होंगे जिससे पेयजल आपूर्ति सुधरेगी।
    • सीवर लाइन बिछाने व इससे जुड़े अन्य काम भी शीघ्र होंगे।