दिल्ली की जेलों में लगाए जाएंगे मिलीमीटर वेव स्कैनर, नशीले पदार्थों के साथ विस्फोटक भी लेकर जाना होगा नामुमकिन
जेल प्रशासन की दुविधा यह थी कि यदि कोई शख्स बार-बार जेल आए और बाहर निकले तो हर बार उसे इस मशीन से गुजारने से उसे स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझना पड सकता था जबकि मिलीमीटर वेव स्कैनर में विकिरण संबंधी समस्या नहीं है।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। राजधानी दिल्ली की जेलों में तलाशी के लिए अब मिलीमीटर वेव स्कैनर का इस्तेमाल किया जाएगा। इस स्कैनर से कपड़ों या इसके नीचे छिपाकर रखी गई किसी भी वस्तु का आसानी से पता लगाया जा सकेगा। देश के किसी भी जेल में सुरक्षा जांच से जुड़ी यह अपनी तरह की पहली सुविधा होगी। अभी इस स्कैनर मशीन का इस्तेमाल चुनिंदा हवाई अड्डों पर किया जा रहा है।
फुल बाडी स्कैनर लगाने की योजना
दरअसल, राजधानी दिल्ली की जेलों में आए दिन जिस तरह मोबाइल फोन, सिम कार्ड, नुकीले हथियार, नशीले या मादक पदार्थ की बरामदगी होती रही है, इससे जेल की तलाशी प्रक्रिया पर सवाल उठ रहे थे। इस तरह की घटनाओं पर नकेल कसने के लिए जेल प्रशासन ने कुछ वर्ष पहले फुल बाडी स्कैनर लगाने की योजना बनाई थी।
मिलीमीटर वेव स्कैनर खरीदने की तैयारी
अब योजना को आगे बढ़ाते हुए फुल बाडी स्कैनर की खरीद के लिए मुंबई स्थित परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड (एटामिक एनर्जी रेगुलेटरी बोर्ड, यानी एईआरबी) से जरूरी अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) ले लिया गया। टेंडर भी निकला। तीन कंपनियों ने टेंडर भरे, लेकिन जब जेल अधिकारियों ने इन कंपनियों की ओर से दिए जाने वाले फुल बाडी स्कैनर मशीन का जायजा लिया तो ये उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे। ऐसे में योजना को छोड़ दिया गया। तमाम सोच-विचार के बाद अब मिलीमीटर वेव स्कैनर खरीद का फैसला किया गया है।
दोनों में यह है मुख्य अंतर
फुल बाडी स्कैनर से शरीर के बाहरी-भीतरी हिस्से में मौजूद अवांछित वस्तुओं का पता तो लग जाता है, लेकिन इससे निकलने वाले विकिरण को लेकर चिंताएं रहती हैं। इसकी कार्यप्रणाली भी सरल है। इससे धातु और गैर-धातु, दोनों वस्तुओं का पता लग जाता है।
सुरक्षा जांच के हर मानदंड पर उतरता है खरा
इसमें एक इमेजिंग सिस्टम होता है जो परावर्तित वेवफ्रंट का मानीटर पर त्रिआयामी तस्वीर बना देता है। इससे छिपी हुई वस्तु के आकार-प्रकार को आसानी से देखा जा सकता है। यह स्कैनर गैर-धातु वस्तुओं, जैसे- नशीले पदार्थों, प्लास्टिक विस्फोटकों और रबड़ जैसे पदार्थों से बनी निषिद्ध या अवैध वस्तुओं का पता लगाने में सक्षम है, जिनका मेटल डिटेक्टर भी पता लगा पाता है।
सुरक्षा जांच में लगेगा कम समय
इस मशीन से एक घंटे 200 लोगों की जांच की जा सकती है। अभी परंपरागत जांच के दौरान कैदियों और जेलकर्मियों को मेटल डिटेक्टर को ट्रिगर करने वाले अपने जेवर, जूते, बेल्ट, फोन, उपकरण और किसी भी अन्य वस्तुओं को हटाना पड़ता है। नए स्कैनर की जांच में बिना कुछ निकाले जांच के लिए मशीन से गुजर सकते हैं।
उधर, संदीप गोयल, महानिदेशक, तिहाड़ जेल का कहना है कि मिलीमीटर वेव स्कैनर की खरीद के लिए जल्द टेंडर जारी करने की प्रक्रिया शुरू होगी। शुरुआत में हम तीन मशीन ले रहे हैं। नतीजे बेहतर आने पर खरीद प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाएगी।
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