Delhi: 10 रुपये के नकली सिक्के बनाने वाले अंतरराज्यीय सिंडिकेट का सदस्य गिरफ्तार, लाखों की मुद्रा हुई थी जब्त
भारतीय मुद्रा के नकली सिक्के बनाने वाले अंतरराज्यीय सिंडिकेट के मुंबई स्थित सदस्य जिग्नेश गाला को स्पेशल सेल ने गिरफ्तार किया है। सिंडिकेेट के पांच सदस्यों को स्पेशल सेल पहले गिरफ्तार कर चुकी है। 10 रुपये के 9.46 लाख रुपये मूल्य के नकली सिक्के जब्त किए गए हैं।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। भारतीय मुद्रा के नकली सिक्के बनाने वाले अंतरराज्यीय सिंडिकेट के मुंबई स्थित सदस्य जिग्नेश गाला को स्पेशल सेल ने गिरफ्तार किया है। सिंडिकेेट के पांच सदस्यों को स्पेशल सेल पहले गिरफ्तार कर चुकी है।
गाला की निशानदेही पर 10 रुपये के 9.46 लाख रुपये मूल्य के नकली सिक्के जब्त किए गए हैं। पिछले वर्ष अप्रैल में पड़के गए एक इसी माड्यूल के सदस्यों की निशानदेही पर चरखी दादरी, हरियाणा स्थित निर्माण इकाई पर छापा मार 10,48,540 रुपये मूल्य के नकली सिक्के जब्त किए गए थे।
जानें पूरा मामला
डीसीपी इंगित प्रताप सिंह के मुताबिक पिछले वर्ष अप्रैल में सेल ने पूरे भारत में नकली सिक्के के निर्माण और प्रसार में शामिल अंतरराज्यीय सिंडिकेट का भंडाफोड़ कर रैकेट के मास्टरमाइंड नरेश कुमार को गिरफ्तार किया था। उससे नकली सिक्के बरामद किया गया। उससे पूछताछ के आधार पर गांव इमलोता, चरखी दादरी, हरियाणा स्थित निर्माण इकाई व गोदाम पर छापा मार सिक्के बनाते हुए चार सदस्यों को गिरफ्तार किया था। वहां से लाखों रुपये मूल्य के सिक्के के अलावा सिक्के बनाने वाली मशीनें और कच्चा माल आदि सामान बरामद किया गया था।
जानें जांच से क्या पता लगा?
जांच से पता चला था कि इस सिंडिकेट द्वारा बड़ी मात्रा में नकली सिक्के का निर्माण किया गया था और मुंबई सहित पूरे देश में विभिन्न स्थानों पर उसकी आपूर्ति की गई थी। पूरे गठजोड़ और सिंडिकेट के सदस्यों का पता लगाने के लिए बैकट्रेल जांच की गई। जिससे मुंबई निवासी जिग्नेश गाला के बारे में जानकारी मिली। एसीपी संजय दत्त व सुनील कुमार के नेतृत्व में इंस्पेक्टर सोमिल शर्मा, एसआई प्रह्लाद, एसआई सवीन खरब, हवलदार प्रमोद कुमार, मनीष कुमार व मुकेश कुमार को मुंबई भेजा गया। वहां मलाड (पूर्व), मुंबई से गाला को दबोच लिया गया।
पूछताछ से पता चला कि वह पिछले आठ वर्षों से नकली सिक्कों की खरीद और आपूर्ति कर रहा था। शुरू में वह सूरत में बैंकों, स्थानीय व्यापारियों, पुरानी मुद्रा के व्यापारियों से मुद्रा सिक्के एकत्र करता था। बाद में उसने उसी सेक्टर में काम करते हुए अज्ञात व्यक्तियों से नकली सिक्के एकत्र करना शुरू कर दिया। मास्टरमाइंड नरेश कुमार से मिलने पर उसने उसे नकली सिक्के की नियमित आपूर्ति की पेशकश की।
नरेश कुमार विभिन्न यात्री बसों में जयपुर से मुंबई तक भारतीय मुद्रा के सिक्कों की खेप पहुंचाता था। बाद में उसने ट्रैवल एजेंटों के जरिए भी ऐसी खेप भेजना शुरू किया। हर खेप में आठ दस लाख रुपये मूल्य के नकली सिक्के शामिल कर देता था। दो वर्षों की अवधि में उसने करीब 15-16 ऐसी खेप प्राप्त की और खुले बाजार में उसे बेच दिया।
जिग्नेश गाला का जन्म कच्छ, गुजरात में हुआ था। जब वह पांच साल का था तब उनके पिता वेलजी गाला मुंबई शिफ्ट हो गए थे। वह केमिस्ट की दुकान पर काम करते हुए विभिन्न बैंकों से अलग-अलग मूल्य के सिक्के एकत्र करता था।
जल्द ही बैंक अधिकारियों के साथ संबंध विकसित होने पर दुकानों, मार्ट और टोल टैक्स से भी सिक्कों की आपूर्ति के लिए बड़े आर्डर मिलने लगे। उस समय तक बढ़ती मांगों और बाजार में परिचालित भारतीय मुद्रा सिक्कों की प्रामाणिकता को प्रमाणित करने के लिए कोई सत्यापन का उपकरण उपलब्ध नहीं होने के कारण उसने अज्ञात स्रोतों से भी नकली सिक्के की खरीद शुरू कर दी और उसे खुले बाजार में आपूर्ति करने लगा।