Delhi: IMA ने MBBS छात्रों के लिए प्रस्तावित एग्जिट परीक्षा का किया विरोध, स्थगित करने की रखी मांग
आईएमए का कहना है कि यदि मौजूदा स्थिति में नेक्स्ट परीक्षा करना के एनएमसी के मौजूदा प्राविधान पर अमल हुआ तो यह देश के मेडिकल शिक्षा के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। आईएमए का कहना है कि देश के 50 प्रतिशत सरकारी व निजी मेडिकल कॉलेज पिछले दस से 15 वर्ष में शुरू हुए हैं जहां मेडिकल शिक्षा का स्तर एम्स और उन पुराने मेडिकल कालेजों जैसा नहीं है।

नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने देश भर के एमबीबीएस अंतिम वर्ष छात्रों के लिए प्रस्तावित एग्जिट परीक्षा नेक्स्ट का विरोध किया है और इसे स्थगित करने की मांग की है।
आईएमए का कहना है कि देश भर के सभी मेडिकल कॉलेज में मेडिकल शिक्षा का मानक एक समान किए बगैर मौजूदा स्थिति में नेक्स्ट परीक्षा लेना बेहतर विकल्प नहीं होगा। इसलिए आईएमए ने इस मामले पर केंद्र सरकार से हस्तक्षेप करने और नेक्स्ट परीक्षा स्थगित करने की मांग की है।
क्यों विरोध कर रहा आईएमए?
आईएमए का कहना है कि यदि मौजूदा स्थिति में नेक्स्ट परीक्षा करना के एनएमसी (नेशनल मेडिकल कमिशन) के मौजूदा प्राविधान पर अमल हुआ तो यह देश के मेडिकल शिक्षा के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। आईएमए का कहना है कि देश के 50 प्रतिशत सरकारी व निजी मेडिकल कालेज पिछले दस से 15 वर्ष में शुरू हुए हैं, जहां मेडिकल शिक्षा का स्तर एम्स और उन पुराने मेडिकल कालेजों जैसा नहीं है, जहां पर्याप्त संख्या में दक्ष फैकल्टी हैं।
इसलिए पहले सभी मेडिकल कॉलेजों में मेडिकल शिक्षा के स्तर का मानक जैसा करना होगा। मौजूदा स्थिति में नेक्स्ट परीक्षा मेडिकल कालेजों के छात्रों के लिए नुकसानदायक हो सकता है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2019 में एमबीबीएस में दाखिला लेने वाले छात्रों के लिए एग्जिट नेक्स्ट परीक्षा अगले वर्ष फरवरी में होने की संभावना है। यह परीक्षा दो चरणों में होगी।
पहले चरण की नेक्स्ट परीक्षा के आधार पर मेडिकल के छात्रों को डिग्री मिलेगी और प्रेक्टिस के लिए लाइसेंस मिल सकेगा। दूसरे चरण की नेक्स्ट परीक्षा के आधार पर मेडिकल स्नातकोत्तर में दाखिले होंगे। इस नेक्स्ट परीक्षा से पहले इस माह माक नेक्स्ट परीक्षा होगी। यह माक नेक्स्ट परीक्षा आयोजित करने के लिए एम्स ने प्रक्रिया शुरू की है। इसके बाद विरोध में स्वर उठने लगे हैं। आईएमए ने नेक्स्ट परीक्षा के आधार पर मेडिकल स्नातकोत्तर में दाखिले के प्रावधान को भी गलत बताया है।
रिपोर्ट इनपुट- रणविजय सिंह
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