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    'HIV पॉजिटिव व्यक्तियों से संबंधित मामलों को मिलेगी प्राथमिकता, नाम भी रखा जाएगा गुप्त', दिल्ली हाईकोर्ट ने दिए निर्देश

    By Sonu SumanEdited By: Sonu Suman
    Updated: Wed, 14 Feb 2024 04:38 PM (IST)

    दिल्ली हाईकोर्ट ने एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति से संबंधित कानूनी कार्यवाही को प्राथमिकता के आधार पर उठाएगा और उसे निपटाएगा। इस कार्रवाई की गोपनीयता सख्ती से बनाए रखी जाएगी। अदालतें यह भी सुनिश्चित करेंगी कि कार्यवाही के रिकॉर्ड में ऐसे व्यक्ति का नाम छद्म नाम रखकर एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति के नाम की गुमनामी और गोपनीयता को सख्ती से बनाए रखा जाए।

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    HIV पॉजिटिव व्यक्तियों से संबंधित मामले को मिलेगी प्राथमिकता।

    पीटीआई, नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति से संबंधित कानूनी कार्यवाही को प्राथमिकता के आधार पर उठाएगा और उसे निपटाएगा। इस कार्रवाई की गोपनीयता सख्ती से बनाए रखी जाएगी।

    7 फरवरी को दिल्ली हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल कंवलजीत अरोड़ा के माध्यम से जारी निर्देश में कहा गया, "एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति से संबंधित या उससे संबंधित किसी भी कानूनी कार्यवाही में अदालतें एचआईवी (रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम 2017 की धारा 34(2) के संदर्भ में प्राथमिकता के आधार पर कार्यवाही करेंगी और उसका निपटान करेंगी।"

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    इसमें आगे कहा गया है कि अदालतें यह भी सुनिश्चित करेंगी कि कार्यवाही के रिकॉर्ड में ऐसे व्यक्ति का नाम छद्म नाम रखकर एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति के नाम की गुमनामी और गोपनीयता को सख्ती से बनाए रखा जाए।

    सुप्रीम कोर्ट ने दिए थे ये निर्देश

    सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर 2023 के अपने फैसले में निर्देश दिया था कि सभी अदालतें, न्यायाधिकरण, आयोग और अर्ध-न्यायिक निकाय, केंद्रीय और राज्य अधिनियमों के तहत स्थापित न्यायिक संस्थाएं अपने कार्यों का निर्वहन करें और विभिन्न केंद्रीय और राज्य कानूनों के तहत एचआईवी अधिनियम की धारा 34 (पहचान का दमन) के प्रावधानों का अनुपालन करने के लिए सक्रिय उपाय करेंगे।

    हाईकोर्ट के न्यायाधीशों को दिया था निर्देश

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सभी उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश इस संबंध में जानकारी संकलित करेंगे, प्रभावित व्यक्तियों की पहचान को अज्ञात रखेंगे और एचआईवी अधिनियम की धारा 34 (2) के प्रावधानों का अनुपालन भी करेंगे। कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल भी इस मामले को देखेंगे और प्रासंगिक दिशानिर्देश तैयार करेंगे, जिन्हें मंजूरी के बाद जारी और लागू किया जाएगा।

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