'रोजगार पाने तक रखरखाव भत्ते की हकदार उच्च शिक्षित महिला...', दिल्ली हाई कोर्ट की अहम टिप्पणी
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि उच्च शिक्षित महिला रोजगार पाने तक पति से रखरखाव भत्ता पाने की हकदार है। कोर्ट ने पति की याचिका खारिज करते हुए कहा कि महिला ने शादी के बाद नौकरी छोड़ी थी और वर्तमान में बेरोजगार है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि अंतरिम भरण-पोषण का आदेश दोनों पक्षों की वित्तीय स्थिति को ध्यान में रखकर बनाया गया था।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। पारिवारिक कोर्ट के निर्णय बरकरार रखते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि एक उच्च शिक्षित महिला जब तक रोजगार या आय का स्रोत विकसित करने में सक्षम नहीं हो जाती तब तक वह पति द्वारा सहायता पाने की हकदार है।
अदालत ने कहा कि निश्चित तौर पर उच्च योग्यता प्राप्त महिला को प्रयास करने पर नौकरी मिल सकती थी, लेकिन इस बात को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि वह वर्तमान में नौकरी नहीं कर रही है।
अदालत ने कहा कि यह भी नहीं कहा जा सकता है कि उसने जानबूझकर नौकरी छोड़ी थी, क्योंकि उसे शादी के बाद ऑस्ट्रेलिया जाने पर नौकरी छोड़नी पड़ी थी।
पति ने पारिवारिक न्यायालय के आदेश को दी थी चुनौती
परिवार न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली पति की याचिका काे खारिज करते हुए पीठ ने कहा कि भरण-पोषण का आदेश केवल अंतरिम था, इसका तात्पर्य यह था कि अंतरिम भरण-पोषण आदेश आय के हलफनामे पर विचार करने के बाद, दोनों पक्षों की वित्तीय क्षमता और जिम्मेदारियों को ध्यान में रखते हुए बनाया जाएगा।
पीठ ने कहा कि अंतरिम भरण-पोषण आदेश अंतरिम भरण-पोषण आवेदन पर निर्णय होने तक महिला को तत्काल राहत प्रदान करता है। अपीलकर्ता ने एक लाख रुपये का अंतरिम रखरखाव देने का निर्देश देने संबंधी पारिवारिक न्यायालय के आदेश को चुनौती दी।
अपीलकर्ता पति ऑस्ट्रेलियाई नागरिक है।उसने तर्क दिया कि प्रतिवादी शैक्षिक महिला है और उसने स्वेच्छा से काम न करने का फैसला किया था। यह भी कहा कि वह उससे किसी भी वित्तीय सहायता के बिना स्वतंत्र रूप से विलासितापूर्ण जीवन शैली जी रही थी।
वहीं, महिला ने तर्क दिया कि उसने शादी के समय नौकरी छोड़ दी थी और वर्तमान में अपने माता-पिता के साथ रह रही है। यह भी कहा कि उच्च योग्यता को उसे अंतरिम भरण-पोषण भत्ता दिए जाने से इनकार करने का आधार माना जा सकता है।
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