बाप हर रात करता था बेटी से दुष्कर्म, कोर्ट ने आठ साल बाद सुनाया फैसला; दोषी पिता की सजा बरकरार
दिल्ली हाई कोर्ट ने 2017 में एक नाबालिग बेटी से बलात्कार के दोषी पिता की सजा बरकरार रखी। अदालत ने कहा कि निचली अदालत के फैसले में हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है क्योंकि मेडिकल और फोरेंसिक सबूतों से अपराध साबित होता है। पीड़िता और उसकी मां के बयान बदलने के बावजूद डीएनए मिलान ने पिता को दोषी ठहराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने वर्ष 2017 में अपनी नौ साल की नाबालिग बेटी के साथ हर रात बार-बार बलात्कार करने के दोषी पिता की सजा बरकरार रखी है।
न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी की पीठ ने कहा कि निचली अदालत के आदेश में हस्तक्षेप करने की कोई आवश्यकता नहीं है और पिता को मेडिकल व फोरेंसिक रिपोर्ट के आधार पर दोषी ठहराया गया है।
इसके साथ ही अदालत ने पॉक्सो मामले में दोषी पिता की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उसकी दोषसिद्धि और सजा को चुनौती दी गई थी।
अदालत ने कहा कि पीड़िता और उसकी मां की मौखिक गवाही अभियोजन पक्ष के मामले का समर्थन नहीं करती क्योंकि वे अपने बयान से पलट गए थे, फिर भी मेडिकल और फोरेंसिक साक्ष्य पिता को अपराध का दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त हैं।
अदालत ने कहा कि पीड़िता से प्राप्त डीएनए प्रोफाइल पिता के रक्त के नमूने से प्राप्त डीएनए प्रोफाइल से मेल खाता है। रिकॉर्ड की गहन जांच के बाद, अदालत इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि निचली अदालत द्वारा निकाले गए निष्कर्ष में कोई त्रुटि नहीं है।
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