नाबालिग से दुष्कर्म मामले में 20 साल की सजा बरकरार, दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका
दिल्ली उच्च न्यायालय ने नाबालिग से बलात्कार के मामले में एक दोषी की अपील याचिका को खारिज कर दिया है ट्रायल कोर्ट के 20 साल की कारावास की सजा को बरकरार रखा। अदालत ने कहा कि पीड़िता का बयान सुसंगत था और फोरेंसिक सबूतों के साथ दोषसिद्धि को सही ठहराने के लिए पर्याप्त है। दोषी ने पीड़िता को पार्क में ले जाकर यौन उत्पीड़न किया और उसे धमकी दी थी।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में दोषी करार देकर 20 साल के कारावास की सजा देने के ट्रायल कोर्ट के निर्णय को चुनौती देने वाली अपील याचिका दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज कर दी।
ट्रायल कोर्ट के निर्णय को बरकरार रखते हुए अदालत ने कहा कि पीड़िता के बयान में कोई विरोधाभास नहीं है और उसका बयान ट्रायल कोर्ट के निर्णय को बरकरार रखने के लिए पर्याप्त है। अपील याचिका खारिज करते हुए न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी की पीठ ने कहा कि बयान और मामले में दाखिल की गई फोरेंसिक रिपोर्ट आरोपों को साबित करती है और उक्त आदेश में हस्तक्षेप करने का आधार नहीं है।
याचिका के अनुसार दोषी अपीलकर्ता से पीड़िता की मुलाकात उसकी एक दोस्त के माध्यम से हुई थी। फरवरी 2021 में वह एक पार्क में उससे मिलने गई तो अपीलकर्ता घुमाने के बहाने उसे ऑटो में एक पार्क में ले गया। वहां पर उसने उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए और धमकी दी कि अगर उसने इसके बारे में किसी को बताया तो व उसे मार देगा।
इसके बाद धमकी देकर दोषी ने उसके साथ दो बार और शारीरिक संबंध बनाए। पीड़िता ने इस संबंध में घर बताया और फिर मामले में प्राथमिकी हुई। पुलिस ने दोषी के विरुद्ध दुष्कर्म समेत पाक्सो की धाराओं में मामला कर जांच की।
मामले में 13 गवाहों ने अपनी गवाही दी और अभियोजन पक्ष ने कहा कि घटना के दौरान पीड़िता की उम्र 15 साल थी। अभियोजन पक्ष ने पीड़िता सहित अन्य के बयान के साथ फाेरेंसिक साक्ष्य अदालत में पेश किए थे।
ट्रायल कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद अपीलकर्ता को दोषी करार देते हुए 20 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई। साथ ही उस पर पांच हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया था।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।