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    बाबा रामदेव से जुड़े अपमानजनक वीडियो मामले में 10 मई को दिल्ली हाई कोर्ट करेगा सुनवाई

    By Vineet TripathiEdited By: JP Yadav
    Updated: Mon, 21 Mar 2022 12:35 PM (IST)

    वर्ष 2019 में एकल पीठ ने बाबा रामदेव से जुड़े वीडियो लिंक व यूआरएल को तत्काल हटाने का आदेश दिया था। कोर्ट ने सभी पक्षकारों को पांच पेज में तीन दिन के अंदर अपना लिखित जवाब दाखिल करने को कहा है।

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    बाबा रामदेव से जुड़े अपमानजनक वीडियो मामले में 10 मई को दिल्ली हाई कोर्ट करेगा सुनवाई

    नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। योग गुरु बाबा रामदेव के खिलाफ अपमानजनक विषयवस्तु वाले वीडियो, लिंक और यूआरएल को तत्काल इंटरनेट की पूरी दुनियां से हटाने के एकल पीठ के फैसले को चुनौती देने वाली फेसबुक, गूगल व ट्विटर की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट 10 मई को सुनवाई करेगा। न्यायमूर्ति राजीव शकधर व न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने कहा कि अवमानना की कार्यवाही शुरू न करने के संबंध में 28 जनवरी 2020 को फेसबुक, गूगल और ट्विटर को दी गई अंतरिम राहत इस बीच जारी रहेगी। इसके साथ ही पीठ ने सभी पक्षकारों को पांच पेज में तीन दिन के अंदर अपना लिखित जवाब दाखिल करने को कहा।

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    गाडमैन-टू-टायकून (द अनटोल्ड स्टोरी आफ बाबा रामदेव) नामक किताब को लेकर बाबा रामदेव द्वारा दाखिल की गई याचिका पर न्यायमूर्ति प्रतिबा एम सिंह की एकल पीठ ने 23 अक्टूबर 2019 को फेसबुक, गूगल व इसके सहयोजक यू-ट्यूब व टि्वटर को बाबा रामदेव से जुड़े आपत्तिजनक विषयवस्तु को इंटरनेट से पूरी तरह से हटाने का निर्देश दिया था।पीठ ने कहा था कि सिर्फ भारत के दर्शकों के लिए उक्त डाटा को हटाना पर्याप्त नहीं है क्योंकि भारत में रह रहे लोगों तक यह अन्य माध्यम से पहुंच सकता है। पीठ ने कहा था कि सोशल मीडिया वेबसाइट पर जिम्मेदारी है कि कुछ हिस्से के बजाए वह पूरी तरह से डाटा को हटाए।

    पीठ ने कहा था कि आइटी एक्ट की धारा 79 (3)(ए) के तहत डाटा को हटाना या अक्षम करना का मतलब भारत में रहने वाले यूजर के लिए हटाना या अक्षम करना नहीं है। पीठ ने कहा था कि जहां तक भारत के बाहर से अपलोड किए जाने का संबंध है ऐसे में सोशल मीडिया प्लेटफार्म यह सुनिश्चत करें कि इससे जुड़े लिंक और यूआरएल को भारत के लोगों के लिए ब्लाक किया जाए और सुनिश्चत किया जाए कि इसे भारत के लोग सर्च न कर सकें।

    उक्त अपमानजनक वीडिया बाबा रामदेव के जीवन पर लिखी गई किताब से जुड़ा है और हाई कोर्ट ने सितंबर 2018 में इसे डिलीट करने का आदेश दिया था। 29 सितंबर को दिए गए फैसले में हाई कोर्ट ने गाडमैन-टू-टायकून (द अनटोल्ड स्टोरी आफ बाबा रामदेव) नामक किताब के लेखक को अपमानजनक तथ्यों को हटाने तक प्रकाशित करने पर रोक लगा दी थी।

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