Delhi News: हाईकोर्ट ने दिल्ली और यूपी पुलिस को क्यों लगाई फटकार? ये है पूरा मामला
दिल्ली हाईकोर्ट ने यूपी और दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई है। क्योंकि नोएडा में एक युवक का शव मिलने पर दोनों ने प्राथमिकी दर्ज नहीं की और एक दूसरे पर दोषा ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस और उत्तर प्रदेश (यूपी) पुलिस को फटकार लगाई कि दिल्ली के एक व्यक्ति के नोएडा में मृत पाए जाने के बाद उन्होंने एक दूसरे पर दोष मढ़ दिया और प्राथमिकी दर्ज नहीं की।
न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी ने मामले में घटनाक्रम पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि दो अलग-अलग पुलिस बलों ने यह नहीं समझा कि महत्वपूर्ण फोरेंसिक और अन्य साक्ष्य अगर तुरंत एकत्र नहीं किए गए तो वे हमेशा के लिए गायब हो जाएंगे।
कोर्ट ने कहा कि उसे स्पष्ट रूप से समझ में आ गया है कि वर्तमान मामला दिल्ली पुलिस और यूपी पुलिस के बीच एक दूसरे पर दोष मढ़ने के सिंड्रोम का उदाहरण है।
अदालत ने दिल्ली पुलिस को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 103 (हत्या) और अन्य संबंधित धाराओं के तहत जीरो एफआइआर दर्ज करने और एक सप्ताह के भीतर यूपी पुलिस को पूर्व द्वारा एकत्र की गई सभी सामग्री और साक्ष्य हस्तांतरित करने का निर्देश दिया।
अदालत का फैसला पीड़िता की बहन की याचिका पर आया, जिसने अपने 20 वर्षीय भाई हर्ष कुमार शर्मा की मौत की जांच की मांग की। मृतक भाई तीन दिसंबर, 2024 को नोएडा के एक कॉलेज से अपने दिल्ली स्थित घर के लिए निकला था पर वो उसी दिन देर रात उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में एक अज्ञात स्थान पर अपनी कार में मृत पाया गया, कार में कार्बन मोनोऑक्साइड सिलेंडर था।
अदालत ने कहा कि यूपी पुलिस के पास हत्या के अपराध के लिए सीधे एफआईआर दर्ज करने के लिए पर्याप्त सामग्री उपलब्ध थी। दिल्ली पुलिस ने कहा कि उनके पास कोई शिकायत नहीं की गई थी कि पीड़ित की मौत किसी गड़बड़ी का नतीजा थी और उसके अधिकार क्षेत्र में कोई अपराध नहीं हुआ था, इसलिए एफआईआर दर्ज करने का कोई कारण नहीं था।
दूसरी ओर, यूपी पुलिस ने तर्क दिया कि संदिग्ध मौत के मामलों में, कानून भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 194 के तहत जांच कार्यवाही करने का आदेश देता है।
यूपी पुलिस ने कहा कि मौत संदिग्ध थी और एक सरकारी अस्पताल में पोस्टमार्टम किया गया और एक कार्यकारी मजिस्ट्रेट के समक्ष जांच कार्यवाही शुरू की गई जो लंबित है, तब तक यह नहीं माना जा सकता कि याचिकाकर्ता के भाई की मौत हत्या का मामला था।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।