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    क्या जानलेवा मांझा के लिए दिल्ली पीड़ित मुआवजा योजना का दिया जा सकता है लाभ- दिल्ली हाईकोर्ट

    चाइनीज मांझे के कारण बेटी को खोने वाले पिता की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई काेर्ट ने पूछा कि दिल्ली राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण (डीएसएलएसए) से पूछा कि क्या पीड़ितों को दिल्ली पीड़ित मुआवजा योजना या अन्य योजनाओं के माध्यम से मुआवजा दिया जा सकता है? पीठ ने चाइनीज मांझे की बिक्री और खरीद पर लगे प्रतिबंध को लागू करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं।

    By Jagran NewsEdited By: GeetarjunUpdated: Fri, 11 Aug 2023 01:10 AM (IST)
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    क्या जानलेवा मांझा के लिए दिल्ली पीड़ित मुआवजा योजना का दिया जा सकता है लाभ- दिल्ली हाईकोर्ट

    नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। चाइनीज मांझे के कारण बेटी को खोने वाले पिता की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई काेर्ट ने पूछा कि दिल्ली राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण (डीएसएलएसए) से पूछा कि क्या पीड़ितों को दिल्ली पीड़ित मुआवजा योजना या अन्य योजनाओं के माध्यम से मुआवजा दिया जा सकता है? न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने साथ ही दिल्ली सरकार व दिल्ली पुलिस से पूछा कि चाइनीज मांझे की बिक्री और खरीद पर लगे प्रतिबंध को लागू करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं।

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    सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए स्थायी अधिवक्ता अनिल सोनी ने अदालत को सूचित किया कि जनवरी 2017 से अगस्त 2022 के बीच दिल्ली सरकार ने प्रतिबंधित चीनी मांझा बेचने, बनाने, भंडारण और परिवहन करने वाले 250 से अधिक व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई करने का दावा किया है। ऐसे में अदालत को बताया जाना चाहिए, उन मामलों में आगे क्या कार्रवाई की गई।

    इतना ही नहीं एक अन्य मामले में एक एकल पीठ ने वर्ष 2022 में अधिकारियों का बयान नोट किया था कि चाइनीज मांझे के खिलाफ अभियान चल रहा है। स्थायी अधिवक्ता अनिल सोनी के बयान पर अदालत ने पुलिस को इस पर स्थिति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया।

    अधिवक्ता अमन रेहान खान के माध्यम से दायर याचिका में याचिकाकर्ता संदीप रोहिल्ला ने कहा कि जून माह में वह स्कूटर पर जा रहे थे, उनकी बेटी आगे बैठी थी, तभी चाइनीज मांझे गला में फंस गया और उनकी गला कटने से उनकी बेटी की मौत हो गई।

    अदालत से तत्काल हस्तक्षेप की मांग करते हुए संदीप के अधिवक्ता रेहान ने तर्क दिया कि सुप्रीम काेर्ट द्वारा चीनी मांझे पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के बाद भी इस आदेश काे लागू करने में सरकार पूरी तरह से विफल रही है। बेटी की मौत के लिए एक करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग करते हुए कहा कि उनकी बेटी की तो असामयिक मृत्यु हो गई, लेकिन उन अधिकारियों पर जवाबदेही तय की जाए, जोकि इस पर प्रतिबंध लागू करने में विफल रहे।

    रेहान ने कहा कि उनके मुवक्किल की बेटी भी मांझे से होने वाली मौत का आंकड़ा बन गई है। ऐसे में वह बिक्री पर प्रतिबंध से जुड़े सुप्रीम कोर्ट व नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेशों का लागू कराने व उनका पालन करने में दिल्ली सरकार व पुलिस की लापरवाही के लिए अदालत के समक्ष आने को मजबूर होना पड़ा।