Move to Jagran APP

Delhi हाई कोर्ट का बड़ा फैसला- गुटखा-पान मसाला व तंबाकू के निर्माण, भंडारण व बिक्री पर नहीं रहेगी रोक

Delhi High News दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को एक अहम निर्णय सुनाते हुए राष्ट्रीय राजधानी में गुटखा पान मसाला सुगंधित तंबाकू और इसी तरह के उत्पादों के निर्माण भंडारण वितरण या बिक्री पर रोक लगाने वाली विभिन्न अधिसूचनाओं को रद कर दिया।

By Vineet TripathiEdited By: Prateek KumarPublished: Wed, 28 Sep 2022 10:13 PM (IST)Updated: Wed, 28 Sep 2022 10:13 PM (IST)
Delhi हाई कोर्ट का बड़ा फैसला- गुटखा-पान मसाला व तंबाकू के निर्माण, भंडारण व बिक्री पर नहीं रहेगी रोक
Delhi High News: दिल्ली हाई कोर्ट ने रोक लगाने के संबंध में जारी की गई विभिन्न अधिसूचनाओं को किया रद।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को एक अहम निर्णय सुनाते हुए राष्ट्रीय राजधानी में गुटखा, पान मसाला, सुगंधित तंबाकू और इसी तरह के उत्पादों के निर्माण, भंडारण, वितरण या बिक्री पर रोक लगाने वाली विभिन्न अधिसूचनाओं को रद कर दिया। इस संबंध में खाद्य सुरक्षा आयुक्त द्वारा वर्ष 2015 से अब तक सात अधिसूचनाएं जारी की गई थीं।

loksabha election banner

पीठ ने बताया संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन

न्यायमूर्ति गौरांग कंठ की पीठ ने कहा कि खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम-2006 के प्रविधानों के तहत निर्धारित सामान्य सिद्धांतों का पालन किए बिना साल दर साल अधिसूचनाएं यांत्रिक तरीके से जारी की गईं।अधिसूचनाओं को जारी करने को सही ठहराने के लिए धुआं रहित और धूम्रपान करने वाले तंबाकू के बीच बनाया जाने वाला वर्गीकरण स्पष्ट रूप से संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है। फ्लेवर्ड और सुगंधित दोनों तरह के चबाने वाले तंबाकू उत्पादों के निर्माण और बिक्री के कारोबार में लगी विभिन्न संस्थाओं की याचिकाओं पर उक्त टिप्पणी और आदेश पारित किया। संस्थाओं ने दावा किया था कि उन्होंने कानून के तहत सभी आवश्यक लाइसेंस और अनुमति प्राप्त की है।

याचिकाकर्ताओं ने दी ये दलील

याचिकाकर्ताओं ने इस आधार पर आक्षेपित अधिसूचनाओं को चुनौती दी थी कि उक्त अधिसूचनाएं खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम के विपरीत थी क्योंकि दिल्ली सरकार के खाद्य सुरक्षा आयुक्त को इस अधिनियम के तहत चबाने वाले तंबाकू के निर्माण या बिक्री पर इस तरह का प्रतिबंध लगाने का अधिकार नहीं था। उन्होंने यह भी कहा था कि सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम (सीओटीपीए) के तहत तंबाकू उत्पाद एक अनुसूचित उत्पाद है और इसे एफएसएसए के दायरे में भोजन के रूप में नहीं माना जा सकता है।

वहीं, दूसरी ओर खाद्य सुरक्षा आयुक्त ने तर्क दिया था कि सार्वजनिक स्वास्थ्य और कल्याण के हित में एफएसएसए की धारा 30 (2) (ए) के मद्देनजर आक्षेपित अधिसूचनाएं जारी करना उनके अधिकारों के भीतर था।हालांकि, खाद्य सुरक्षा और मानक (बिक्री पर प्रतिबंध और प्रतिबंध) विनियम, 2011 के विनियमन 2.3.4 का अवलोकन करते हुए पीठ ने कहा कि इरादा किसी भी खाद्य उत्पाद में सामग्री के रूप में तंबाकू या निकोटीन के उपयोग को प्रतिबंधित करने का नहीं था।कोर्ट ने यह भी देखा कि सीओटीपीए भी तंबाकू और तंबाकू उत्पादों की बिक्री और वितरण पर प्रतिबंध नहीं लगाता है।

भावनाओं के आधार पर नहीं तय हो सकते कुछ प्रश्न

पीठ ने धूम्रपान रहित और धूम्रपान दोनों में तंबाकू के उपयोग के हानिकारक प्रभावों पर भी जोर दिया। इसने तंबाकू के किसी भी रूप के उपयोग की निंदा करते हुए कहा कि सार्वजनिक स्वास्थ्य समाज और देश के सबसे महत्वपूर्ण हिस्से में से एक है। हालांकि, निर्विवाद रूप से अदालत इस बात से सहमत है कि तंबाकू और निकोटीन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं। पीठ ने कहा कि वर्तमान मामले में कानून के कुछ प्रश्न शामिल हैं और इन्हें केवल जनता की चेतना और भावनाओं के आधार पर तय नहीं किया जा सकता है।बल्कि, न्यायिक मिसालों के आलोक में कानून की निष्पक्ष व्याख्या के आधार पर इसे तय करने के साथ सुलझाया जाना है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.