काम के बोझ से मौत के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने जताई चिंता, कहा- यह सामाजिक समस्या
काम के अत्यधिक बोझ के कारण हुई मौत के मामले में चिंता व्यक्त करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने अहम टिप्पणी की। सीबीआइपी के पूर्व सचिव को अग्रिम जमानत देते हुए न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने कहा कि जहरीली कार्य संस्कृति उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं को परेशान कर रही है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। काम के अत्यधिक बोझ के कारण हुई मौत के मामले में चिंता व्यक्त करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने अहम टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि अत्यधिक काम के बोझ और विषाक्त वातावरण के कारण होने वाली मौत एक सामाजिक समस्या है। केंद्रीय सिंचाई एवं बिजली बोर्ड (सीबीआइपी) के पूर्व सचिव को अग्रिम जमानत देते हुए न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने कहा कि जहरीली कार्य संस्कृति उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं को परेशान कर रही है।
इसके लिए सरकार, श्रमिक संघ, स्वास्थ्य अधिकारी और कारपोरेट संस्थाओं को उचित नीतियां बनाने की आवश्यकता है। साथ ही कार्यस्थल पर मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करते हुए अत्यधिक काम और व्यावसायिक तनाव के मुद्दों की जांच की जानी चाहिए। अदालत ने जापान का उदाहरण देते हुए कहा कि जापान सरकार ने इसे अपराध के बजाये एक सामाजिक-आर्थिक समस्या के रूप में स्वीकार किया है। इसके बाद जापान सरकार ने कार्यस्थलों में मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने वाली नीतियों का मसौदा तैयार किया है।
यह था मामला
पूर्व सचिव पर एक महिला प्रबंधक की तरफ से भेजे गए ईमेल पर कार्रवाई न करने का आरोप था। प्रबंधक ने अत्यधिक काम के बोझ के कारण वर्ष 2020 में आत्महत्या कर ली थी। महिला प्रबंधक के पति ने सीबीआइपी के मुख्य प्रबंधक, निदेशक और सचिव के खिलाफ पांच मई 2020 को आदर्श नगर थाने में प्राथमिकी कराई थी। उन्होंने दबाव व उकसावे को आत्महत्या का कारण बताया था।