Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    'आम लोग चुकाते हैं नालियों के जाम होने की कीमत', दिल्ली में जलभराव से जुड़े मामले में हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकारा

    Updated: Sat, 07 Dec 2024 05:30 AM (IST)

    दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को जलभराव से जुड़े मामले में दिल्ली सरकार की खिंचाई करते कहा कि नालों को भरा नहीं रहने दिया जा सकता ताकि अगले मानसून में दिल्ली को दोबारा बाढ़ का सामना नहीं करना पड़े। हाई कोर्ट ने साथ ही न्यायिक आदेशों की अनदेखी करने के लिए दिल्ली सरकार के दो वरिष्ठ अधिकारियों को अवमानना का नोटिस जारी किया।

    Hero Image
    दिल्ली में जलभराव से जुड़े मामले में हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकारा (सांकेतिक तस्वीर)

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को जलभराव से जुड़े मामले में दिल्ली सरकार की खिंचाई करते कहा कि नालों को भरा नहीं रहने दिया जा सकता ताकि अगले मानसून में दिल्ली को दोबारा बाढ़ का सामना नहीं करना पड़े। हाई कोर्ट ने साथ ही न्यायिक आदेशों की अनदेखी करने के लिए दिल्ली सरकार के दो वरिष्ठ अधिकारियों को अवमानना का नोटिस जारी किया।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जिम्मेदार सभी नागरिक अधिकारियों की एक बैठक बुलाएं

    न्यायमूर्ति प्रतिबा एम सिंह व न्यायमूर्ति मनमीत पीएस अरोड़ा की पीठ ने कहा कि दिल्ली में नालियों के जाम होने और जलभराव की कीमत लोगों को चुकानी होगी और इसे जारी रहने नहीं दिया जा सकता है। पिछले आदेश का पालन न करने पर कड़ी आपत्ति जताते हुए पीठ ने कहा कि दिल्ली के मुख्य सचिव को निर्देश दिया गया था कि वह तैमूर नगर नाले की सफाई सुनिश्चित करने के लिए एक विशेष टास्क फोर्स बनाने के लिए नाले के लिए जिम्मेदार सभी नागरिक अधिकारियों की एक बैठक बुलाएं।

    पीठ ने टिप्पणी में कहा कि नाले की सफाई सुनिश्चित करना मुख्य सचिव का कर्तव्य था और अदालत मुख्य सचिव को अवमानना का नोटिस जारी करेगी। हालांकि, दिल्ली सरकार के वकील के अनुरोध पर पीठ ने मुख्य सचिव को अवमानना का नोटिस जारी नहीं किया।

    पानी के मुक्त प्रवाह के लिए सभी बाधाओं को दूर करें

    अदालत ने कहा कि नदी में पानी के मुक्त प्रवाह के लिए सभी बाधाओं और कचरे को हटाने को सुनिश्चित करने के लिए एकीकृत नालियां प्रबंधन सेल (आइडीएमसी), दिल्ली के विशेष सचिव के एस. जयचंद्रन को जारी एक निर्देश का भी पालन नहीं किया गया। पीठ ने कहा कि साफ है कि कोर्ट के आदेशों की न सिर्फ अनदेखी की जा रही है, बल्कि खुलेआम उल्लंघन भी किया जा रहा है।

    इसके साथ ही अदालत ने कहा कि विशेष सचिव, आइडीएमसी और दिल्ली सरकार के सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग के प्रशासनिक प्रमुख के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी कर पूछा कि क्यों न उनके खिलाफ अवमानना कार्रवाई शुरू की जाए। अधिकारियों को तीन दिन में जवाब दाखिल करने का निर्देश देते हुए अदालत ने सुनवाई 20 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दी। साथ ही दोनों अधिकारियों को अदालत के समक्ष उपस्थित होने का भी आदेश दिया।

    अदालत ने कहा कि नाले की तस्वीरों से स्पष्ट है कि नाले का कोई भी क्षेत्र साफ नहीं है। कोर्ट यह आदेश जलभराव की समस्या का स्वतः संज्ञान लेकर शुरू की गई दो जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया।

    ताकि अगले मानसून में न करना पड़े बाढ़ का सामना

    कोर्ट पुराने बारापुला ब्रिज क्षेत्र में फ्लाईओवर के निर्माण के लिए जारी बेदखली नोटिस के खिलाफ मद्रासी कैंप के निवासियों की याचिका पर पीठ ने झुग्गीवासियों के वकील से कहा कि हो सकता है कि वे अपने मुवक्किलों के हित के बारे में सोच रहे हों लेकिन अदालत का विचार समग्र रूप से दिल्ली के लोगों और इसके निवासियों की सुरक्षा का है।

    अदालत ने कहा कि कोई किसी को निशाना नहीं बना रहा है, बल्कि अंतिम उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि नाले खुल जाएं ताकि हमें अगले मानसून में बाढ़ का सामना न करना पड़े। यमुना नदी में सीवेज और औद्योगिक कचरे के उत्सर्जन को नियंत्रित करने में विफलता के लिए दिल्ली सरकार की खिंचाई करते हुए पीठ ने कहा कि इसके सीवेज उपचार संयंत्र क्षमता के अनुसार काम नहीं कर रहे हैं।