Delhi: गर्भपात कराने वाली नाबालिग लड़की और उसके स्वजन की पहचान चिकित्सकीय रिपोर्ट में ना हो उजागर- HC
दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि गर्भावस्था की समाप्ति की करने वाली नाबालिग लड़की व उसके स्वजन की पहचान पुलिस के लिए पंजीकृत चिकित्सक द्वारा तैयार की जाने वाली रिपोर्ट में उजागर न करने के संबंध में आदेश जारी करे।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि गर्भावस्था की समाप्ति की करने वाली नाबालिग लड़की व उसके स्वजन की पहचान पुलिस के लिए पंजीकृत चिकित्सक द्वारा तैयार की जाने वाली रिपोर्ट में उजागर न करने के संबंध में आदेश जारी करे। नाबालिक लड़की की मां की याचिका पर विचार करते हुए न्यायमूर्ति प्रतिबा एम सिंह की पीठ ने कहा कि वर्तमान स्थिति में चिकित्सक नाबालिग और उसके स्वजन की पहचान उजागर किए बगैर और पुलिस रिपोर्ट दर्ज किए बिना गर्भावस्था को समाप्त करने के लिए अनिच्छुक हैं।
ऐसे में दिल्ली सरकार को निर्देश दिया जाता है कि नाबालिग या उसके स्वजन की पहचान रिपोर्ट में उजागर न की जाए।अदालत ने इसके साथ ही दिल्ली सरकार को इस संबंध में शपथपत्र दाखिल करने का निर्देश देते हुए सुनवाई 10 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी।
पोक्सो अधिनियम की धारा 19(1) के तहत विशेष किशोर पुलिस इकाई या स्थानीय पुलिस को बाल यौन अपराधों की अनिवार्य रिपोर्टिंग देने का प्रविधान है। अदालत ने यह भी कहा कि पुलिस यह भी सुनिश्चित करेगी कि ऐसे मामलों में जो रिपोर्ट दर्ज की गई है, उसमें नाबालिग या उसके स्वजन की पहचान नहीं दी जाएगी।
अदालत ने उक्त निर्देश अधिवक्ता अमित मिश्रा के माध्यम से दायर एक महिला की याचिका पर दिया। महिला ने याचिका में कहा था कि उनकी 14 साल की बेटी के 15 सप्ताह के गर्भ को स्थानीय पुलिस को सूचना दिए बगैर समाप्त करने की अनुमति दी जाए। उन्होंने कहा कि ऐसा न करने से समाज में उनकी बेइज्जती व उत्पीड़न होगा।
एक नाबालिग लड़के के साथ आपसी सहमति से शारीरिक संबंध बनने के कारण किशोरी गर्भवती हुई थी। किशोरी का गर्भ अदालत के एक पूर्व निर्देश पर समाप्त कर दिया गया था। महिला ने याचिका में तर्क दिया कि उनकी बेटी बच्चे को पालने के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार नहीं है और इसे जारी रखने से उसे भारी नुकसान होगा।