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Delhi HC की टिप्पणी, कहा- हमारी जिंदगी संवारने वालों के प्रति डीडीए का व्यवहार असहानुभूतिपूर्ण

अदालत के स्पष्ट आदेश के बावजूद मुआवजा व अनुकंपा नियुक्ति पर डीडीए ने कोई कार्रवाई नहीं की। कोर्ट ने अनुकंपा नियुक्ति करने के लिए डीडीए को 15 दिनों की मोहलत दी है।कहा यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हम उनकी बात कर रहे हैं जो हमारी जिंदगी को बेहतर बना रहे हैं।

By Vineet TripathiEdited By: Prateek KumarPublished: Tue, 15 Nov 2022 04:00 PM (IST)Updated: Tue, 15 Nov 2022 04:00 PM (IST)
Delhi HC की टिप्पणी, कहा- हमारी जिंदगी संवारने वालों के प्रति डीडीए का व्यवहार असहानुभूतिपूर्ण
अदालत के स्पष्ट आदेश के बावजूद मुआवजा व अनुकंपा नियुक्ति पर डीडीए ने कोई कार्रवाई नहीं की।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। अदालत के स्पष्ट आदेश के बावजूद मुआवजा व अनुकंपा नियुक्ति पर डीडीए ने कोई कार्रवाई नहीं की। कोर्ट ने अनुकंपा नियुक्ति करने के लिए डीडीए को 15 दिनों की मोहलत दी है। कोर्ट ने कहा यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हम उनकी बात कर रहे हैं जो हमारी जिंदगी को बेहतर बना रहे हैं। मामले में जिम्मेदारी तय करने के साथ साथ दंड भी दिया जाना चाहिए। कोर्ट ने इस तरह की घटनाओं पर की जाने वाली कार्रवाई से जुड़ी विजलेंस रिपोर्ट भी पेश करने का निर्देश दिया।

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जहरीली गैस के कारण हुई थी दो लोगों की मौत

इससे पहले राष्ट्रीय राजधानी में सीवर के अंदर जहरीली गैस के कारण हुई दो लोगों की मौत के मामले में अदालत के आदेश का अनुपालन न करने व व्यक्तिगत रूप से पेश नहीं होने पर दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के उपाध्यक्ष को लेकर नाराजगी व्यक्त की। मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा व न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा कि अदालत ने पिछली सुनवाई पर डीडीए को पीड़ित परिवार को दस लाख रुपये का मुआवजा व 30 दिन के भीतर अनुकंपा नियुक्ति करने का आदेश दिया था।

हर हाल में हो आदेश का पालन

आदेश का अनुपालन नहीं होने की स्थिति में डीडीए उपाध्यक्ष व्यक्तिगत तौर पर अदालत में पेश होने को भी कहा था। पीठ ने कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण है कि न तो अदालत के आदेश का अनुपालन हुआ और न ही उपाध्यक्ष पेश ही हुए। ऐसे में डीडीए उपाध्यक्ष को मंगलवार को अदालत के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया जाता है। सुनवाई के दौरान डीडीए की तरफ से पेश हुई अधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट के एक निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि मुआवजा राशि दिल्ली सरकार को देनी है। इस पर आपत्ति उठाते हुए अदालत ने कहा कि उक्त तर्क से इस अदालत का आदेश लागू नहीं होता। हमने डीडीए को निर्देश दिया था कि तत्काल पीड़ित परिवार को मुआवजा राशि दी जाए, लेकिन आदेश का अनुपालन नहीं हुआ। पीठ ने मौखिक रूप से यह भी कहा कि आपको पहले पीड़ित परिवार को भुगतान करना था और फिर उक्त धनराशि कानूनी प्रक्रिया के जरिए दिल्ली सरकार से लेनी थी।

पेश नहीं होने पर कोर्ट ने जताई नाराजगी 

इसके साथ ही पीठ ने डीडीए की अधिवक्ता से पूछा कि आपके उपाध्यक्ष कहां हैं, आदेश का अनुपालन नहीं होने की स्थिति में उन्हें व्यक्तिगत रूप से पेश होना था। जवाब नहीं में मिलने पर अदालत ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि मुआवजा देने व अनुकंपा नियुक्ति पर कोई जवाब तक दाखिल नहीं किया। पिछली सुनवाई पर पीठ ने टिप्पणी की थी कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है आजादी के 75 साल भी गरीब कर्मचारियों को मैनुअल तरीके से सीवर की सफाई करने को मजबूर किया जाता हैं।

यह है मामला

बाहरी दिल्ली के मुंडका इलाके में नौ सितंबर को एक सफाईकर्मी और एक सुरक्षा गार्ड की सीवर में जहरीली गैस के कारण मौत हो गई थी। पुलिस ने कहा था कि जब सफाईकर्मी सीवर साफ करने के लिए नीचे गया तो वह बेहोश हो गया और गार्ड ने उसे बचाने के लिए पीछा किया और वह भी बेहोश हो गया। दोनों युवकों को अस्पताल ले जाया गया जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।

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