Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    लड़की की उम्र का पता लगाने के लिए आधार कार्ड पर दिल्ली HC ने किया भरोसा, यौन उत्पीड़न मामले में आरोपी बरी

    अपहरण व यौन उत्पीड़न के मामले में आरोपित को बरी करने के निचली अदालत के निर्णय को हाईकोर्ट ने बरकरार रखा है। न्यायमूर्ति सुधीर कुमार जैन की पीठ ने लड़की की उम्र का पता लगाने के लिए उसके आधार कार्ड पर भरोसा किया जिसके अनुसार अपराध के दौरान वह बालिग थी। अदालत ने कहा लड़की के आधार कार्ड से पता चलता है कि उसका जन्म एक जनवरी 1994 को हुआ।

    By Vineet TripathiEdited By: GeetarjunUpdated: Tue, 12 Sep 2023 02:25 AM (IST)
    Hero Image
    लड़की की उम्र का पता लगाने के लिए आधार कार्ड पर दिल्ली HC ने किया भरोसा।

    नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। अपहरण व यौन उत्पीड़न के मामले में आरोपित को बरी करने के निचली अदालत के निर्णय को हाईकोर्ट ने बरकरार रखा है। न्यायमूर्ति सुधीर कुमार जैन की पीठ ने लड़की की उम्र का पता लगाने के लिए उसके आधार कार्ड पर भरोसा किया, जिसके अनुसार अपराध के दौरान वह बालिग थी।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    अदालत ने कहा कि निचली अदालत के जुलाई 2016 के आदेश में सही कहा गया है कि स्कूल रिकॉर्ड में लड़की की जन्मतिथि नगर निगम या किसी अन्य वैधानिक प्राधिकरण द्वारा जारी जन्म प्रमाण पत्र पर आधारित नहीं थी।

    अदालत ने कहा कि लड़की के आधार कार्ड से पता चलता है कि उसका जन्म एक जनवरी 1994 को हुआ था। अदालत ने यह भी कहा कि लड़की की अनुमानित उम्र निर्धारित करने के लिए उसका अस्थि-संरक्षण परीक्षण नहीं किया गया था।

    इसके साथ ही अदालत ने कहा कि यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम के तहत व्यक्ति को बरी करने के निचली अदालत के के आदेश में किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।

    याचिका के अनुसार, लड़की की मां ने बेटी की गुमशुदगी की शिकायत की थी। लड़की ने मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान में कहा कि वह अपनी मर्जी से व्यक्ति के साथ गई थी और उससे शादी करने के बाद उन्होंने शारीरिक संबंध बनाए।

    उसने कहा था कि उसका जन्म वर्ष 1994 था और वह तब लगभग 21 वर्ष की थी। अभियोजन पक्ष ने व्यक्ति को बरी करने के निर्णय को चुनौती देते हुए कहा था कि संबंधित स्कूल से जांच के दौरान एकत्र किए गए दस्तावेजों से पता चलता है कि अपराध के समय लड़की नाबालिग थी।

    वहीं, व्यक्ति के वकील ने तर्क दिया कि निचली अदालत ने आधार कार्ड पर सही भरोसा किया था और इसके अनुसार लड़की बालिग थी।