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    Delhi News: ढाका में हुए आतंकी हमले पर बनी फिल्म फरजान पर रोक लगाने से हाई कोर्ट ने किया इन्कार

    By Vineet TripathiEdited By: Pradeep Kumar Chauhan
    Updated: Fri, 14 Oct 2022 05:46 PM (IST)

    Delhi News न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की पीठ ने कहा कि मानहानि का दावा अनिवार्य रूप से फिल्म के रिलीज होने के बाद ही किया जा सकता है।बगैर किसी आधार ...और पढ़ें

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    Delhi News: निवेश के बाद फिल्म पर रोक लगाने से प्रतिवादियों को अपूरणीय क्षति होगी।

    नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। बांग्लादेश के ढाका स्थित होली आर्टिसन बेकरी पर हुए आतंकवादी हमले में जान गवाने वाली अबिंटा कबीर, तारिषी जैन पर आधारित फिल्म फरजान पर रोक लगाने को दिल्ली हाई कोर्ट ने ठुकरा दिया है।न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की पीठ ने कहा कि मानहानि का दावा अनिवार्य रूप से फिल्म के रिलीज होने के बाद ही किया जा सकता है।बगैर किसी आधार व बिना फिल्म देखे वादी यह नहीं बता पाए हैं कि फिल्म का कौन सा पहलू मानहानिकारक है।

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    अंबिता कबीर व तारिषी जैन की मां की तरफ दायर अलग-अलग वाद को निरस्त करते हुए पीठ ने कहा कि यह फिल्म लगभग पिछले एक साल से बन रही है, लेकिन इस पर रोक लगाने की मांग आठ से नौ महीने बाद की गई।फिल्म के निर्माण में पहले ही काफी खर्च किया जा चुका है।निवेश के बाद फिल्म पर रोक लगाने से प्रतिवादियों को अपूरणीय क्षति होगी, वह भी तब जब वादी ऐसे तथ्य पेश करने में अक्षम है कि फिल्म के प्रसारण से उन्हें क्या अपूरणीय क्षति होगी।

    ऐसे में फिल्म के प्रसारण पर लगाई गई रोक को हटाया जाता है। रूबा अहमद समेत अन्य की तरफ से दायर याचिका में कहा गया है कि फिल्म को कई मौके पर सत्य घटना पर आधारित बताया गया है।पूरी घटना बांग्लादेश की अदालतों के समक्ष लंबित जांच और चल रहे अदालती मामले का एक हिस्सा हैं और विकृत तथ्यों पर बनाई गई कोई भी फिल्म न्यायालयों के समक्ष चल रहे मामले को बाधित करेगी।

    उन्होंने फिल्म फयाज अयाज हुसैन के नाम पर रखा गया है। यदि ऐसा चित्रण किया जाता है तो यह पूरी तरह से गलत होगा क्योंकि वादी हमले के बाद बचे लोगों से मिले थे और घटना से अच्छी तरह वाकिफ हैं।अगर फिल्म को सच्ची घटनाओं पर आधारित दिखाया गया तो यह हमले के शिकार लोगों को महिमामंडित करने जैसा होगा।

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