नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। वर्ष 2024 में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने की व्यवहार्यता का पता लगाने की मांग वाली याचिका पर विचार करने से दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने इनकार कर दिया। मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा कि हम कानून नहीं बनाते, केवल उसका अनुपालन सुनिश्चित करते हैं। ऐसे में निर्देश नहीं दे सकते।
चुनाव का समय तय करना निर्वाचन आयोग का अधिकार क्षेत्र है। हम अपनी सीमाएं जानते हैं। पीठ ने याचिकाकर्ता के आग्रह पर निर्वाचन आयोग व केंद्र से याचिका को प्रतिवेदन के रूप में लेकर विचार करने को कहा है।
याचिकाकर्ता ने दिया था ये तर्क
याचिकाकर्ता भाजपा नेता व अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने पर विचार करने के लिए केंद्र और निर्वाचन आयोग को निर्देश देने की मांग की थी। तर्क था कि पैसे बचाने, सुरक्षा बलों और लोक प्रशासन पर बोझ कम करने के लिए ऐसा किया जाना चाहिए। भारत का विधि आयोग भी यह सुझाव दे चुका है।
निर्वाचन आयोग ने क्या कहा?
इसके लिए जिन विधानसभाओं का कार्यकाल 2023 में खत्म हो रहा है, उन्हें विस्तार दिया जाए। जिनका कार्यकाल 2024 में समाप्त होगा, उनके लिए कटौती की जाए। याचिका पर सोमवार को सुनवाई के दौरान निर्वाचन आयोग की तरफ से वकील सिद्धांत कुमार ने कहा कि आयोग एक साथ चुनाव कराने के लिए सक्षम है, लेकिन मौजूदा कानून में उचित संशोधन होना चाहिए जो केवल संसद द्वारा किया जा सकता है।
साथ ही बताया कि इस पर संसद को विचार करना है। हम कानून के मुताबिक चुनाव कराने के लिए बाध्य हैं। पीठ ने कहा कि निर्वाचन आयोग को शीर्ष अधिकार है। एक अदालत राज्यों की विधानसभाओं के कार्यकाल में कटौती नहीं कर सकती। आयोग एक संवैधानिक निकाय है।