क्या केंद्र सरकार को Udaipur Files में कट लगाने का अधिकार है? दिल्ली हाई कोर्ट ने उठाया सवाल
दिल्ली हाई कोर्ट ने उदयपुर फाइल्स फिल्म में कट लगाने के मामले में केंद्र सरकार की शक्तियों पर सवाल उठाया है। अदालत ने पूछा कि क्या केंद्र सरकार के पास फिल्म में छह कट लगाने का आदेश देने का अधिकार है। यह सवाल फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान उठाया गया।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। Udaipur Files फिल्म के प्रसारण पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट ने फिल्म में कट की सिफारिश करने के केंद्र सरकार के अधिकार पर सवाल उठाया है।
मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय व न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने पूछा कि क्या केंद्र सरकार के पास अपनी पुनरीक्षण शक्तियों का प्रयोग करते हुए फिल्म में छह कट लगाने का आदेश पारित करने का अधिकार है।
अब अदालत यह जांच करेगी कि क्या केंद्र के पास फिल्म में कट लगाने का आदेश देने का अधिकार है। मामले में बृहस्पतिवार को सुनवाई जारी रहेगी।
अदालत दर्जी कन्हैया लाल हत्याकांड पर आधारित फिल्म के रिलीज पर रोक लगाने की मांग वाली आरोपित मोहम्मद जावेद की याचिका पर सुनवाई कर रही है। याचिका में कहा गया कि फिल्म के प्रसारण से मुकदमे के दौरान उनके मामले पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
मुख्य पीठ ने सवाल तब उठाया जब केंद्र सरकार व केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड की तरफ से पेश हुए एडिशनल सालिसिटर जनरल (एएसजी) सूचित किया कि केंद्र सरकार ने फिल्म के निर्माताओं को एक डिस्क्लेमर के अलावा छह कट लगाने का सुझाव दिया था।
यह भी बताया कि हालांकि फिल्म को पुनः प्रमाणित कर दिया गया है, लेकिन मामला हाई कोर्ट में लंबित होने के कारण इसे निर्माताओं को जारी नहीं किया गया है।
हालांकि, एएसजी तर्काें को विरोध करते हुए कन्हैया लाल की हत्या के आरोपित व याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुई वरिष्ठ वकील मेनिका गुरुस्वामी तर्क दिया कि केंद्र सरकार ने अपनी पुनरीक्षण शक्तियों का प्रयोग सिनेमैटोग्राफ अधिनियम की वैधानिक योजना का उल्लंघन करते हुए किया है।
इस पर पीठ ने एएसजी से पूछा कि छह कट सहित अन्य के संबंध में आदेश पारित करने का केंद्र सरकार के पास कानून के तहत अधिकार है? एएसजी ने तर्क दिया कि फिल्म दो चरणों में फिल्टर की गई है।
पहले सेंसर बोर्ड ने 55 कट सुझाए और फिर समिति ने छह और कट मांगे। इस तरह फिल्म में कुल 61 कट हो गए। हालांकि, पीठ ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा पारित आदेश प्रविधान के अनुरूप नहीं है।
आरोपित याचिकाकर्ता की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता मेनका गुरुस्वामी ने कहा कि इस मुकदमे में 160 गवाहों की जांच होनी बाकी है और फिल्म की रिलीज से उनके मुवक्किल की निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार खतरे में पड़ गया है।
उन्होंने यह भी कहा कि सिनेमैटोग्राफी एक्ट के तहत केंद्र सरकार को फिल्म में कट सुझाना, संवाद हटाना, अस्वीकरण जोड़ना, सेंसर बोर्ड जैसे अस्वीकरणों में बदलाव करने का अधिकार नहीं है।
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