Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    दिल्ली हाईकोर्ट ने रद्द की NDMC इंजीनियर की अनिवार्य सेवानिवृत्ति, निष्पक्ष समीक्षा पर दिया जोर

    By Agency Edited By: Rajesh Kumar
    Updated: Sun, 28 Sep 2025 01:57 PM (IST)

    दिल्ली हाईकोर्ट ने एनडीएमसी के इंजीनियर सूरज प्रकाश की अनिवार्य सेवानिवृत्ति रद्द की। कोर्ट ने कहा कि अनिवार्य सेवानिवृत्ति का आदेश देने से पहले अधिकारी के पूरे सेवा रिकॉर्ड पर विचार करना ज़रूरी है। जस्टिस नवीन चावला और जस्टिस मधु जैन की पीठ ने 2019 के आदेश को रद्द कर दिया क्योंकि सूरज प्रकाश के खिलाफ आखिरी दंड 2005 में था।

    Hero Image
    दिल्ली हाईकोर्ट ने एनडीएमसी के इंजीनियर सूरज प्रकाश की अनिवार्य सेवानिवृत्ति रद्द की। फाइल फोटो

    आईएएनएस, नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) के एक इंजीनियर सूरज प्रकाश की अनिवार्य सेवानिवृत्ति को रद्द करते हुए एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है।

    कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि इस तरह के आदेश देने से पहले अधिकारी के पूरे सेवा रिकॉर्ड, जिसमें उनकी प्रदर्शन मूल्यांकन (एसीआर) ग्रेडिंग शामिल है, पर विचार किया जाना चाहिए।

    जस्टिस नवीन चावला और जस्टिस मधु जैन की पीठ ने कहा, “अनिवार्य सेवानिवृत्ति का आदेश देने से पहले अधिकारी के पूरे सेवा रिकॉर्ड को ध्यान में रखना जरूरी है। बाद के वर्षों में अधिकारी का प्रदर्शन पुरानी सजाओं की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण है।” कोर्ट ने 2019 के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें सूरज प्रकाश को अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त किया गया था।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सूरज प्रकाश के खिलाफ आखिरी दंड 2005 में निंदा का था, और उससे पहले 2000 में उन्हें एक बड़ा दंड दिया गया था। हालांकि, 2005 के बाद उनके सेवा रिकॉर्ड में उनकी ईमानदारी को लगातार “संदेह से परे” दर्ज किया गया और उनके प्रदर्शन को “उत्कृष्ट” या “बहुत अच्छा” आंका गया।

    इसके बावजूद, स्क्रीनिंग/समीक्षा समिति ने 2019 में उनकी अनिवार्य सेवानिवृत्ति की सिफारिश करते समय इन सकारात्मक पहलुओं को नजरअंदाज कर दिया। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि सूरज प्रकाश को 2005 से 2019 तक के लंबे समय तक सेवा में कोई दंड नहीं मिला था।

    इसके अलावा, उन्हें एमएसीपी योजना के तहत पदोन्नति और अन्य वित्तीय लाभ भी मिले थे। कोर्ट ने इस बात पर नाराजगी जताई कि समिति ने इन कारकों पर विचार नहीं किया और उनके रिकॉर्ड में समिति की सिफारिशें भी शामिल नहीं थीं।

    कोर्ट का फैसलाजस्टिस चावला की अगुवाई वाली पीठ ने जुलाई 2019 के एक परिपत्र का हवाला देते हुए कहा कि अनिवार्य सेवानिवृत्ति का फैसला अनुशासनात्मक कार्रवाई से बचने का शॉर्टकट नहीं होना चाहिए और न ही यह दंडात्मक प्रकृति का होना चाहिए।

    कोर्ट ने सूरज प्रकाश को तत्काल प्रभाव से सेवा में बहाल करने का आदेश दिया, हालांकि इस अवधि का वेतन छोड़कर, उन्हें सभी परिणामी सेवा लाभ दिए जाएंगे।कोर्ट ने एनडीएमसी को चार सप्ताह के भीतर बहाली के आदेश जारी करने और सूरज प्रकाश को अपने कर्तव्यों को फिर से शुरू करने की अनुमति देने का निर्देश दिया।

    पहले का फैसला

    इससे पहले, जून 2021 में केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) ने एनडीएमसी के 31 अक्टूबर, 2019 के अनिवार्य सेवानिवृत्ति के आदेश को बरकरार रखा था। हालांकि, हाईकोर्ट ने कैट के इस फैसले को पलटते हुए कहा कि यह पुरानी घटनाओं पर आधारित था और हाल के सकारात्मक सेवा रिकॉर्ड को नजरअंदाज किया गया।

    दिल्ली हाईकोर्ट के इस फैसले ने एक बार फिर यह स्पष्ट किया कि अनिवार्य सेवानिवृत्ति जैसे गंभीर फैसले लेते समय अधिकारी के पूरे सेवा रिकॉर्ड और हाल के प्रदर्शन को ध्यान में रखना जरूरी है। यह फैसला न केवल सूरज प्रकाश के लिए राहत लेकर आया, बल्कि भविष्य में इस तरह के मामलों के लिए एक मिसाल भी कायम करता है।