1993 के इंडियन एयरलाइंस विमान हाइजैक केस के दोषी की समयपूर्व रिहाई के फैसले को दिल्ली हाईकोर्ट ने किया खारिज
दिल्ली हाईकोर्ट ने 1993 के इंडियन एयरलाइंस अपहरण मामले में दोषी हरि सिंह की समयपूर्व रिहाई से इनकार करने के एसआरबी के फैसले को रद्द कर दिया। कोर्ट ने एसआरबी के फैसले को अपर्याप्त तर्कों पर आधारित बताया और मामले को दोबारा विचार के लिए भेजा। कोर्ट ने यह भी कहा कि दोषी के जेल में अच्छे आचरण के संकेत हैं। सुधार की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने वर्ष 1993 में इंडियन एयरलाइंस की उड़ान का हाइजैक करने के मामले में दोषी ठहराए गए हरि सिंह की समयपूर्व रिहाई को नकारने के सजा समीक्षा बोर्ड (एसआरबी) के निर्णय को खारिज कर दिया है।
न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ ने 24 अप्रैल 2024 को हुई एसआरबी बैठक की कार्यवाही को रद करते हुए मामले को दोबारा विचार के लिए एसआरबी को भेजा और निर्देश दिया कि आठ सप्ताह के अंदर निर्णय लिया जाए। पीठ ने कहा कि यह स्पष्ट है कि एसआरबी का निर्णय अपर्याप्त तर्कों पर आधारित है और इसमें याचिकाकर्ता के व्यवहार और सुधार के संबंध में न्यायिक टिप्पणियों जैसे प्रासंगिक पहलुओं पर विचार नहीं किया गया। ऐसे में यह निर्णय कायम नहीं रह सकता।
पीठ ने कहा कि हरि सिंह की जेल में आचरण में सुधार के संकेत हैं। वह अब तक 17 वर्ष 11 माह छह दिन की वास्तविक सजा और 22 वर्ष छह माह 20 दिन की कुल सजा (छूट समेत) काट चुका है।
हरि सिंह को वर्ष 1993 के हाइजैक मामले में दोषी ठहराते हुए वर्ष 2001 में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी।कोर्ट ने कहा कि हर बार एसआरबी ने उसकी रिहाई याचिका को अपराध की गंभीरता के आधार पर खारिज किया, लेकिन बिना ठोस तर्क या विश्लेषण के ऐसा करना उचित नहीं है।
कोर्ट ने कहा कि करीब 18 वर्षों की वास्तविक सजा के दौरान जेल में याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई अनुशासनात्मक उल्लंघन दर्ज नहीं है। इससे प्रतीत होता है कि उसके भीतर आपराधिक प्रवृत्ति नहीं बची है। ऐसे में सुधार की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता।
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