करण जौहर के पक्ष में हाई काेर्ट का फैसला, ऑनलाइन प्लेटफाॅर्म्स को भ्रामक पोस्ट्स-मीम्स हटाने का निर्देश
दिल्ली हाई कोर्ट ने फिल्म निर्माता करण जौहर के व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा करते हुए एक महत्वपूर्ण अंतरिम आदेश पारित किया है। अदालत ने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स को करण जौहर से संबंधित भ्रामक और अपमानजनक सामग्री को हटाने का निर्देश दिया है। यह फैसला करण जौहर द्वारा दायर एक याचिका पर आया है जिसमें उन्होंने अपनी छवि और नाम के अनधिकृत उपयोग के खिलाफ सुरक्षा की मांग की थी।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने फिल्म निर्माता और निर्देशक करण जौहर के व्यक्तिगत अधिकारों की सुरक्षा को लेकर दायर याचिका पर अंतरिम आदेश पारित किया है।
अदालत ने विभिन्न ऑनलाइन प्लेटफाॅर्म, वेबसाइट्स और इंटरनेट मीडिया अकाउंट्स को जौहर से जुड़े भ्रामक, अशोभनीय और अपमानजनक सामग्री हटाने के निर्देश दिए हैं।
न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा ने कहा कि जौहर के नाम से चल रहे कई अकाउंट्स और वेबसाइट बिना अनुमति उनके नाम, छवि और आवाज का उपयोग कर रही थीं।
अदालत ने माना कि इस तरह की सामग्री और गतिविधियां न केवल उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा रही हैं बल्कि लोगों को गुमराह करने की भी क्षमता रखती हैं।
हाईकोर्ट ने कहा कि अगर वादी के पक्ष में रोक नहीं लगाई जाती तो उनकी छवि और प्रतिष्ठा को अपूरणीय क्षति होगी।
अदालत ने संबंधित कंपनियों को निर्देश दिया कि वे ऐसे सभी अकाउंट्स, डोमेन और सामग्री तुरंत हटाएं और भविष्य में भी किसी प्रकार का उल्लंघन न होने दें।
अदालत ने यह भी कहा कि जौहर भविष्य में किसी भी नकली अकाउंट या कंटेंट के खिलाफ इंटरनेट मीडिया कंपनियों से संपर्क कर सकेंगे।
करण जौहर ने अपनी याचिका में कहा था कि उनकी अनुमति के बिना न केवल मीम्स, डीपफेक्स और वीडियो बनाए गए।
बल्कि उनके नाम और तस्वीर का इस्तेमाल कर मग और टी-शर्ट जैसे सामान भी बेचे जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें यह अधिकार है कि उनकी छवि, आवाज और व्यक्तित्व का अनधिकृत इस्तेमाल रोका जाए।
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