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    दिल्ली में मकान मालिकों के हक में दिल्ली हाईकोर्ट ने की अहम टिप्पणी, क्या है पूरा मामला

    Updated: Fri, 04 Jul 2025 04:37 PM (IST)

    दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली किराया नियंत्रण अधिनियम को पुराना और शोषणकारी बताते हुए किरायेदारों को बेदखल करने की अनुमति दी। कोर्ट ने कहा कि इस कानून का दुरुपयोग हो रहा है जिससे संपत्ति मालिकों को परेशानी हो रही है। कोर्ट ने एआरसी के आदेश को खारिज करते हुए कहा कि मकान मालिक को परिसर का उपयोग करने का पूरा अधिकार है।

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    किराया कानून दिल्ली हाई कोर्ट ने बताया संपत्ति मालिकों के लिए शोषणकारी। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली किराया नियंत्रण अधिनियम (डीआरसी एक्ट) को पुराना और शोषणकारी कानून बताते हुए एक मामले में किराएदारों को बेदखल करने की अनुमति दी है।

    कोर्ट ने कहा कि इस कानून के घोर दुरुपयोग ने संपत्ति मालिकों को निराशाजनक परिस्थितियों में डाल दिया है, क्योंकि संपन्न किराएदार दशकों से अनुचित तरीके से परिसर पर कब्जा कर रहे हैं।

    न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंबानी अतिरिक्त किराया नियंत्रक (एआरसी) के 2013 के आदेशों के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे थे, जिसमें सदर बाजार में एक संपत्ति के यूके और दुबई स्थित मालिकों की बेदखली याचिकाओं को खारिज कर दिया गया था और किराएदारों के पक्ष में फैसला सुनाया गया था।

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    हाईकोर्ट ने एआरसी के आदेश को खारिज करते हुए कहा कि किराएदार की आर्थिक स्थिति या मकान मालिक की समृद्धि कोई मायने नहीं रखती जब मामला डीआरसी एक्ट की धारा 14 के तहत बेदखली का हो।

    पीठ ने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता मकान मालिक वहां रेस्टोरेंट खोलें या टेकअवे वेंड चलाएं, यह पूरी तरह उनका अधिकार है और उसकी उपयुक्तता पर सवाल नहीं उठाया जा सकता।

    याचिकाकर्ताओं ने इस आधार पर परिसर को बेदखल करने की मांग की कि वे लंदन में दो रेस्तरां चलाते हैं और भारत में व्यवसाय का विस्तार करने के लिए उन्हें जगह की आवश्यकता है।

    एआरसी ने बेदखली से इन्कार करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता लंदन और दुबई में बसे हुए हैं और अपना व्यवसाय चला रहे हैं, और उन्हें अपने जीविका के लिए परिसर की वास्तविक आवश्यकता नहीं है।